UP Bijli Bill Rahat Yojana : लखनऊ-उत्तर प्रदेश की बिजली बिल राहत योजना में अब सख्ती का दौर शुरू हो गया है। अगर आपने पहले, दूसरे या तीसरे चरण में पंजीयन कराया और फिर भी पूरा बिल जमा नहीं किया, तो आपको डिफाल्टर घोषित कर दिया जाएगा। ऐसे में योजना का कोई फायदा नहीं मिलेगा, बल्कि छूट गई रकम और डिफाल्टर अवधि का अतिरिक्त चार्ज भी चुकाना पड़ेगा।
तीन चरणों में छूट का फॉर्मूला
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि योजना को तीन चरणों में बांटा गया है। मान लीजिए आप पहले चरण में पंजीयन कराते हैं। पंजीयन के 30 दिनों के अंदर अगर पूरा बिल जमा कर दिया, तो 25% की छूट मिलेगी। लेकिन 31वें दिन भुगतान किया तो दूसरे चरण की 20% छूट ही मिलेगी। तीसरे चरण में भुगतान पर सिर्फ 15% छूट। अगर 28 फरवरी 2026 तक भी बिल नहीं चुकाया, तो डिफाल्टर हो जाएंगे। छूट खत्म, साथ ही डिफाल्टर अवधि का ब्याज भी बिल में जोड़ दिया जाएगा।
दूसरे चरण में पंजीयन करने वालों को 30 दिनों में भुगतान पर 20% छूट, उसके बाद तीसरे चरण में 15%। तीसरे चरण में पंजीयन वाले 30 दिनों में भुगतान करें तो 15% छूट, वरना सीधे डिफाल्टर। साफ है, जितनी जल्दी भुगतान, उतनी ज्यादा बचत।
मासिक किश्त वालों के लिए स्पेशल नियम
पुराने बकाया के साथ मौजूदा मासिक बिल भी नियमित जमा करने वालों के लिए खास फॉर्मूला तैयार किया गया है। अगर कोई 750 रुपये मासिक किश्त चुनता है, तो चालू महीने का बिल भी साथ-साथ चुकाना होगा। बिल 15 तारीख तक नहीं मिला तो 25 तारीख तक बकाया किश्त के साथ प्रोविजनल बिल जमा करना पड़ेगा।
प्रोविजनल बिल की रकम कैटेगरी के हिसाब से फिक्स है। ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता से 300 रुपये, शहरी से 400 रुपये। 1-2 किलोवाट ग्रामीण से 600, शहरी से 800। कमर्शियल ग्रामीण से 600, शहरी से 900 रुपये हर महीने। प्रोविजनल बिल और किश्त दोनों जमा करने पर माना जाएगा कि सब नियमित है। एक भी मिस हुआ तो डिफाल्टर। असली खपत के हिसाब से बाद में एडजस्टमेंट होगा। बिल की जानकारी रजिस्टर्ड मोबाइल पर एसएमएस या व्हाट्सएप से मिलेगी।
एक महीना चूकने पर 50 रुपये, दो महीने पर 150, तीन महीने पर 300 रुपये पेनाल्टी। तीन बार चूकने के बाद पूरा डिफाल्टर। 500 रुपये मासिक किश्त वालों के लिए भी यही सिस्टम।
बिल में गड़बड़ी? जांच का इंतजाम
योजना के दौरान अगर बिल में कोई गलती लगे, तो डिस्कॉम लेवल पर डायरेक्टर (कमर्शियल) की अगुवाई में स्पेशल सेल जांच करेगा। शिकायत करने पर सुधार होगा।
मीटर नहीं है? नॉर्मेटिव बेसिस पर कैलकुलेशन
जिनके मीटर नहीं लगे या बिल ज्यादा आ रहा है, उनके लिए नॉर्मेटिव खपत से हिसाब। 144 यूनिट प्रति किलोवाट प्रति महीना। मासिक औसत 650 रुपये, पहले चरण की 25% छूट के बाद 488 रुपये।
उदाहरण के तौर पर, एक किलोवाट ग्रामीण कनेक्शन 1 फरवरी 2024 का है। 1 दिसंबर 2025 तक बकाया 17,600 रुपये। 22 महीने में बांटें तो 800 रुपये किश्त। लेकिन फिक्स लिमिट 650 से ज्यादा होने पर 650 ही लेंगे। 22 किश्तें 650 की बनेंगी, यानी करीब 3300 रुपये का फायदा।
कर्मचारियों और एजेंसियों को इनाम
योजना में विभागीय अफसर-कर्मचारी और कलेक्शन एजेंसियों को भी फायदा। सफलता के बाद डिस्कॉम वाइज रिव्यू। टॉप 10 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, 20 सब-डिविजनल ऑफिसर, 30 जूनियर इंजीनियर को सर्टिफिकेट और इनाम।
कलेक्शन एजेंसियों को हर पंजीयन पर 100 रुपये, एकमुश्त जमा पर 5% कमीशन। जितना कलेक्शन, उतना प्रोत्साहन।
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