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0% Making Charge वाले गहनों में छिपा है ये बड़ा झांसा, जानें कैसे बचें

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0% Making Charge : फेस्टिव और शादियों का सीजन आते ही देशभर में सोने-चांदी की खरीदारी जोरों पर होती है। खासकर दशहरा और दिवाली जैसे मौकों पर लोग बड़ी संख्या में गहनों की दुकानों की ओर रुख करते हैं। इस समय ज्वेलर्स ग्राहकों को लुभाने के लिए 0% मेकिंग चार्ज जैसे शानदार ऑफर्स देते हैं, जो पहली नजर में काफी आकर्षक लगते हैं। लेकिन हकीकत इससे अलग है। इन ऑफर्स की आड़ में ज्वेलर्स कई तरह के छिपे हुए चार्ज वसूलते हैं, जो ग्राहकों की जेब पर भारी पड़ते हैं।

निवेश विशेषज्ञ सीए सार्थक अनुजा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में यह खुलासा किया है कि कैसे 0% मेकिंग चार्ज के बहाने ज्वेलर्स ग्राहक से ज्यादा पैसे वसूलते हैं। आइए जानते हैं वो पांच तरीके जिनसे आप अनजाने में ठगे जा सकते हैं, और कैसे इनसे बचा जा सकता है।

सोने की दर में हेराफेरी

अक्सर लोग गूगल पर सोने की जो रेट देखते हैं, वही बाजार में मिलने की उम्मीद करते हैं। लेकिन ज्वेलर्स अपनी दुकान पर उस रेट से ₹150-₹200 प्रति ग्राम ज्यादा वसूलते हैं। मान लीजिए आपने 50 ग्राम सोने की ज्वेलरी खरीदी, तो आपको ₹10,000 तक ज़्यादा चुकाने पड़ सकते हैं।

ये रकम सीधे आपके बिल में जुड़ जाती है, जबकि इसकी जानकारी शायद ही कोई ग्राहक लेता है। 0% मेकिंग चार्ज (0% Making Charge) का ऑफर देखकर आप खुश तो हो जाते हैं, लेकिन gold rate (गोल्ड रेट) में ये छिपी चाल आपको महंगा पड़ जाता है।

वेस्टेज चार्ज की चाल

ज्वेलर्स अक्सर कहते हैं कि ज्वेलरी बनाने में सोना खराब होता है, जिसे वे वेस्टेज चार्ज (Wasteage Charge) के नाम पर वसूलते हैं। असल में ये चार्ज 2-3% होना चाहिए, लेकिन मुश्किल डिज़ाइन का हवाला देकर वे इसे 5% तक बढ़ा देते हैं और सबसे बड़ी बात, ये चार्ज आज की ऊंची सोने की कीमतों पर लगाया जाता है, जिससे बिल और ज्यादा हो जाता है।

0% मेकिंग चार्ज (0% Making Charge) का लालच दिखाकर वे वेस्टेज चार्ज (Wasteage Charge) को बढ़ा-चढ़ाकर ले लेते हैं, जो ग्राहकों को बाद में झटका देता है।

कीमती स्टोन की असली कीमत

0% मेकिंग चार्ज वाले गहनों में अक्सर स्टोन लगे होते हैं, जिनकी कीमत वास्तविकता से कई गुना ज्यादा बताई जाती है। उदाहरण के तौर पर, एक साधारण स्टोन की कीमत कई हजार रुपये तक बढ़ा दी जाती है। नतीजा ये होता है कि जो छूट दी जा रही है, वह इन स्टोन्स की बढ़ी हुई कीमत से वसूल ली जाती है। gold rate (गोल्ड रेट) पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन स्टोन कीमतों में ये छिपा खेल आपको 0% मेकिंग चार्ज (0% Making Charge) के फायदे को ही मिटा देता है।

बायबैक में नुकसान

अक्सर ग्राहक सोचते हैं कि वे बाद में ज्वेलरी को वापस बेचकर अच्छी कीमत पा सकते हैं। लेकिन हकीकत में, 0% मेकिंग चार्ज वाले गहनों का बायबैक (Buyback) 90% के बजाय सिर्फ 70-80% तक ही होता है। यानी अगर आपने ₹1 लाख की ज्वेलरी खरीदी, तो वापसी पर आपको ₹20,000-₹30,000 तक का नुकसान हो सकता है। वेस्टेज चार्ज (Wasteage Charge) और बायबैक (Buyback) की ये शर्तें पहले से छिपी रहती हैं, जो लंबे समय में महंगा साबित होता है।

थोक छूट का फायदा न देना

ज्वेलर्स थोक में सोना सस्ते दामों में खरीदते हैं, लेकिन इसका लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचाते। यानी जो सोना वे ₹5,800 प्रति ग्राम में खरीदते हैं, वही आपको ₹6,200 प्रति ग्राम में बेचते हैं, जबकि वे दावा करते हैं कि उन्होंने मेकिंग चार्ज नहीं लिया। 0% मेकिंग चार्ज (0% Making Charge) का दावा करते हुए gold rate (गोल्ड रेट) में ये अंतर रखना उनका बड़ा धंधा है।

कैसे बचें इन झांसे से?

सोने की खरीदारी करते समय कुछ खास बातों का ध्यान जरूर दें जैसे BIS केयर ऐप पर जाकर हमेशा HUID कोड चेक करें। बिल ध्यान से पढ़ें, उसमें हर चार्ज साफ लिखा होना चाहिए। कीमत की तुलना करें और सिर्फ एक दुकान पर भरोसा न करें। स्टोन की कीमत पूछें, और वजन की अलग से पुष्टि करें। वेस्टेज चार्ज (Wasteage Charge) और बायबैक (Buyback) की डिटेल्स पहले ही क्लियर कर लें।

त्योहारों का मौसम खुशियां लाता है, लेकिन अगर आप बिना जानकारी के खरीदारी करते हैं तो ये खुशियाँ नुकसान में बदल सकती हैं। इसलिए जब भी आप 0% मेकिंग चार्ज (0% Making Charge) वाला ऑफर देखें, तो सतर्क रहें और सोच-समझकर ही गहनों की खरीदारी करें। इसके साथ ही बायबैक (Buyback) शर्तें पहले ही जान लें और ज्वैलर्स से लिखित में डिटेल लें जिससे बाद में परेशानी ना हो।

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