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कन्हैयालाल हत्याकांड पर एनआईए की ढिलाई: गहलोत बोले- राज्य पुलिस होती तो छह माह में दिला देते सजा

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उदयपुर, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News). पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को उदयपुर सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता कर केंद्र और राज्य सरकार पर कड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि कन्हैयालाल हत्याकांड को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक फैसला नहीं आया. गहलोत का दावा है कि अगर यह केस राज्य पुलिस के पास रहता, तो छह महीने से एक साल में ही आरोपियों को आजीवन कारावास या फांसी की सजा मिल जाती.

पूर्व सीएम ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि केस शुरू से ही एजेंसी के पास है. चालान पेश होने के बावजूद 166 गवाहों में से केवल 15 की गवाही पूरी हुई है. उन्होंने कहा कि इतनी लापरवाही उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. गहलोत ने आरोप लगाया कि हत्या करने वाले दोनों आरोपी भाजपा से जुड़े थे, इस सवाल का पार्टी ने अब तक खंडन नहीं किया. हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के दौरे पर भी इस पर चुप्पी साधी गई.

गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा कि वे लगातार उन्हें समस्याओं पर पत्र लिखते हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता. पूर्व सीएम ने कहा कि पहले लोग मानते थे कि ‘राज देख रहा है’, अब लगता है ‘राज घूम रहा है’. उन्होंने धौलपुर दौरे का उदाहरण देते हुए कहा कि सीएम बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में जाने की बजाय केवल हेलीपैड पर ही लोगों से मिले.

अन्नपूर्णा योजना बंद करने पर भी गहलोत ने सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार गरीबों को थैले में भरा राशन देती थी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी खाली थैला दे रहे हैं. नाम बदल सकते थे, फोटो बदल सकते थे, लेकिन योजना बंद नहीं करनी चाहिए थी.

गहलोत ने केंद्र की जांच एजेंसियों पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग, ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई सरकार के दबाव में काम कर रही हैं. विपक्ष के खिलाफ माहौल बनाने के लिए इनका इस्तेमाल हो रहा है. राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से सवाल पूछा तो आयोग ने एफिडेविट मांग लिया, जबकि उन्हें तथ्य सामने रखने चाहिए थे.

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ पर टिप्पणी करते हुए गहलोत ने कहा कि वे शरीफ व्यक्ति हैं और सीएम को चाहिए कि उनका विशेष ध्यान रखें. उन्होंने याद दिलाया कि राठौड़ ने छात्रों से धरने में शामिल होने का वादा किया था, लेकिन बाद में नहीं पहुंचे. कम से कम मिलकर प्रार्थना पत्र तो ले सकते थे.

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