भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, यहां देवी-देवताओं के कई प्राचीन मंदिर हैं। इन सभी मंदिरों की अपनी अलग खासियत और रहस्य है, जिसे देखने और सुनने के बाद लोग हैरान रह जाते हैं। रहस्यों से भरे इन मंदिरों में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां अश्वत्थामा खुद पूजा करने आते हैं। ये वही अश्वत्थामा हैं, जिन्हें महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने आजीवन भटकने का श्राप दिया था।
कहां है वो मंदिर?
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में असीरगढ़ किले में एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है, इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण रामायण काल यानी 14वीं शताब्दी में हुआ था। माना जाता है कि श्राप के बाद अश्वत्थामा पिछले 5 हजार सालों से बुरहानपुर के इसी किले में भटक रहे हैं।
सबसे पहले शिव की पूजा करते हैं अश्वत्थामा
मान्यता है कि असीरगढ़ किले के शिव मंदिर में सबसे पहले अश्वत्थामा ब्रह्म मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने जाते हैं। यहां के पुजारियों का मानना है कि मंदिर के कपाट खुलने से पहले सुबह भोलेनाथ की पूजा करते हैं। हर सुबह शिवलिंग पर ताजे फूल और रोली चढ़ना अपने आप में एक रहस्य है। स्थानीय निवासी अश्वत्थामा से जुड़ी कई कहानियां सुनाते हैं। लोगों का कहना है कि जिसने भी अश्वत्थामा को देखा, उसकी मानसिक स्थिति हमेशा के लिए खराब हो गई, यानी जो भी अश्वत्थामा को देखता है, वह पूरी तरह पागल हो जाता है।
किले से जुड़े अन्य रहस्य
कहा जाता है कि पुरातत्व टीम ने किले के पश्चिमी हिस्से में खुदाई की थी। इस दौरान उन्हें कई खास चीजें मिलीं। जिस जगह पर खुदाई की गई, वहां जमीन के नीचे एक खूबसूरत महल मिला। कहा जाता है कि महल रानी के लिए बनवाया गया होगा। इस रानी महल में 20 गुप्त कमरे मिले हैं। पुरातत्व विभाग के मुताबिक, महल 100 गुणा 100 के क्षेत्रफल में बना है। इस महल में नहाने का कुंड भी है। साथ ही खुदाई में एक जेल भी मिली है। जेल में लोहे की खिड़कियां हैं। साथ ही दरवाजे भी मिले हैं।
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