हमने और आपने हमेशा तस्वीरों में ताजमहल को देखा है,लेकिन उसके पीछे बहने वाली यमुना नदी को अक्सर एक पतली सी धारा या सूखे हुए मैदान के रूप में ही पाया है। लेकिन आज कुदरत ने हमें एक ऐसा नज़ारा दिखाया है,जो पिछले45सालों में किसी ने नहीं देखा था।जी हाँ,यमुना नदी का पानी उफान पर है और आगरा में यह विश्व के सातवें अजूबे,ताजमहल की पिछली दीवारों को छूने लगा है।क्यों और कैसे हुआ यह करिश्मा?पहाड़ों पर हुई भारी बारिश और हथिनीकुंड बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी के कारण यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। दिल्ली में तबाही मचाने के बाद,पानी का यह सैलाब जब आगरा पहुँचा,तो उसने एक ऐतिहासिक और दुर्लभ दृश्य बना दिया।1978के बाद यह पहली बार है जब यमुना का पानी ताजमहल की दीवारों तक पहुँचा है।कैसा दिख रहा है यह नज़ारा?ताजमहल के पीछे बना ताज व्यू गार्डन और दशहरा घाट पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं। यमुना नदी का पानी स्मारक की लाल पत्थर की चारदीवारी को छू रहा है। यह दृश्य जितना अद्भुत है,उतना ही चिंताजनक भी।हालांकि,पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI)का कहना है कि इससे ताजमहल की मुख्य इमारत को कोई खतरा नहीं है,क्योंकि इसे बनाते समय ही ऐसी स्थितियों का ध्यान रखा गया था।दिलचस्प बात यह है कि विशेषज्ञों का मानना है कि ताजमहल को मुगलों ने इसी तरह देखने के लिए डिज़ाइन किया था - जिसके ठीक बगल से एक भरी-पूरी नदी बह रही हो,जिसमें उसका अक्स दिखाई दे। आज सालों बाद,प्रकृति ने हमें ताजमहल का वो असली रूप दिखाया है,जिसकी कल्पना शाहजहां ने की होगी।यह घटना हमें प्रकृति की ताकत और ताजमहल की अजर-अमर सुंदरता,दोनों का एक साथ एहसास करा रही है।
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