Next Story
Newszop

क्या है वियाग्रा? जानिए उस दवा की कहानी जो गलती से बन गई दुनिया की सबसे चर्चित मेडिसिन

Send Push
क्या है वियाग्रा? जानिए उस दवा की कहानी जो गलती से बन गई दुनिया की सबसे चर्चित मेडिसिन

वियाग्रा, जिसे आमतौर पर ‘छोटी नीली गोली’ के नाम से जाना जाता है, दुनियाभर में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (लिंग में तनाव न बन पाने की समस्या) के इलाज के लिए बेहद लोकप्रिय दवा है। आज करोड़ों पुरुष इस मेडिसिन का उपयोग करते हैं, लेकिन इसकी खोज एक संयोग से हुई थी। असल में इसे शुरुआत में हृदय रोग (एंजाइना) के इलाज के लिए बनाया जा रहा था, लेकिन ट्रायल के दौरान इसके ऐसे प्रभाव सामने आए, जिनकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी।

वियाग्रा की खोज कैसे हुई?

1990 के दशक की शुरुआत में दवा निर्माता कंपनी फाइजर के वैज्ञानिक एंजाइना (हृदय में ब्लड फ्लो की कमी से होने वाला दर्द) के लिए एक नई दवा बना रहे थे। इस रिसर्च के दौरान उन्होंने एक कंपाउंड पर काम किया जिसका नाम था सिल्डेनाफिल (Sildenafil)।

सिल्डेनाफिल PDE5 (फॉस्फोडिएस्टरेज टाइप 5) नामक एंजाइम को ब्लॉक करता है, जो शरीर में रक्त धमनियों को संकुचित करता है। इसका असर था कि ब्लड वेसल्स फैलने लगे और ट्रायल में भाग लेने वाले पुरुषों में अनपेक्षित रूप से इरेक्शन आने लगा।

शुरुआत में वैज्ञानिकों को नहीं थी इसकी कल्पना

दवा पर काम करने वाले वैज्ञानिक सर साइमन कैंपबेल ने एक इंटरव्यू में बताया, “हमारी टीम युवा थी और हम इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं थे। हमें नहीं पता था कि इस दिशा में भी कोई ज़रूरत है।”

जब ट्रायल के वॉलंटियर्स ने दवा लौटाने से किया इनकार

जब क्लीनिकल ट्रायल समाप्त हुआ, तो कुछ वॉलंटियर्स ने अपनी दवाएं लौटाने से मना कर दिया। उन्होंने इसे लेना जारी रखने की इच्छा जताई। इस प्रतिक्रिया ने रिसर्च टीम को यह समझने पर मजबूर कर दिया कि यह दवा हार्ट डिजीज की तुलना में इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए ज्यादा कारगर है। इसके बाद इसे ब्रांड नाम वियाग्रा के तहत बाजार में लाया गया।

वियाग्रा कैसे करता है काम?

वियाग्रा यानी सिल्डेनाफिल, पुरुषों के लिंग में ब्लड वेसल्स के स्मूद मसल सेल्स में एक कंपाउंड साइकलिक GMP के टूटने को रोकता है। इससे यौन उत्तेजना के समय ब्लड फ्लो बढ़ता है और तनाव (इरेक्शन) बना रहता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन से पीड़ित पुरुषों में यही साइकलिक GMP पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता।

सुपरहिट साबित हुई वियाग्रा

वर्ष 1998 में वियाग्रा को FDA से मंजूरी मिली और एक हफ्ते के भीतर 10 लाख से अधिक लोगों को यह प्रिस्क्राइब की गई। आज फाइजर के मुताबिक दुनियाभर में 6.2 करोड़ से ज्यादा पुरुष इसका उपयोग करते हैं।

बाद में हुए क्लीनिकल ट्रायल्स से यह भी सामने आया कि सिल्डेनाफिल का इस्तेमाल पल्मोनरी आर्टिरियल हाइपरटेंशन जैसी गंभीर हृदय स्थितियों में भी किया जा सकता है, जो इसके शुरुआती उद्देश्य से मेल खाता है।

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now