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कालाष्टमी: अप्रैल में कालाष्टमी कब है? इस शुभ योग में पूजा करें

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कालाष्टमी व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन रुद्रावतार कालभैरव की पूजा की जाती है। इस बार कालाष्टमी व्रत अप्रैल में पड़ेगा। अप्रैल माह में कालाष्टमी व्रत के दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं। इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्ध योग आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करने में सहायक होंगे। इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे, उसमें सफलता मिलने की संभावना सबसे अधिक होगी। कालाष्टमी का व्रत रखने और कालभैरव की पूजा करने से व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। उसकी वीरता और शक्ति बढ़ती है। काल भैरव की कृपा से व्यक्ति रोग, दोष, तंत्र-मंत्र आदि नकारात्मकता से मुक्त हो जाता है। जानिए काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

कालाष्टमी शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस बार यह वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रविवार, 20 अप्रैल को शाम 7 बजे से प्रारंभ होगा। यह तिथि 21 अप्रैल को शाम 6.58 बजे तक मान्य रहेगी। पूजा मुहूर्त के आधार पर, अप्रैल महीने का कालाष्टमी व्रत 20 अप्रैल, रविवार को है। 20 अप्रैल को कालाष्टमी व्रत के दिन कालभैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 11.58 बजे से 12.42 बजे तक है। निशिता मुहूर्त के दौरान काल भैरव की पूजा और मंत्रों का जाप करना चाहिए। तंत्र एवं मंत्र सिद्धि प्राप्ति के लिए निशिता मुहूर्त को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय सिद्ध योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ होगा।

 

शुभ कालाष्टमी योग

ज्योतिष के अनुसार, वैशाख माह की कालाष्टमी सिद्ध और शिव के मिलन का प्रतीक है। शाम 7 बजे से शिववास योग बन रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव जगत जननी माता पार्वती के साथ कैलाश पर निवास करेंगे। शिववास योग में भगवान कालभैरव की पूजा करने से भक्त को दोहरा लाभ मिलेगा। साथ ही सभी अधूरे कार्य भी पूरे किए जाएंगे। वहीं सिद्ध योग में भगवान कालभैरव की पूजा करने से शुभ कार्यों में सफलता मिलेगी।

पूजा विधि

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ब्रह्म प्रहर में उठें। इस समय भगवान शिव को प्रणाम करके अपने दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। सभी कार्य पूर्ण करने के बाद गंगाजल से स्नान करें। इसके बाद कुल्ला करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद भक्तिपूर्वक देवों के देव महादेव की पूजा करें। भगवान शिव को सफेद रंग के फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं। पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही शाम के समय भगवान शिव की आरती करें। यदि समय मिले तो मंदिर जाकर भगवान कालभैरव के दर्शन अवश्य करें।

 

कालाष्टमी पर क्या करें?

इस दिन आप जानवरों को खाना खिला सकते हैं। इससे काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस दिन गरीबों को अनाज दान करें। इससे मन से नकारात्मक विचार दूर हो जाते हैं।

इस दिन कालभैरव के मंत्रों का जाप करें। इससे भूत-पिशाच का भय दूर होता है।

कालाष्टमी के दिन मांस न खाएं। इस दिन किसी के साथ अनुचित व्यवहार न करें।

इस दिन शिवपुराण का पाठ करें।

इस दिन शिव की भक्ति से शांति मिलती है।

कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।

भैरव बाबा को प्रसन्न करने का यह एक विशेष उपाय है।

इस दिन भगवान कालभैरव को गुड़, दही और हलवे का भोग लगाएं।

कालाष्टमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

ॐ काल भैरवाय नमः।

ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवै फट्..

ॐ हॅं शं नं गं कां शं महाकाल भैरवाय नमः..

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