भारत वर्षों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत है। इस दिशा में भारत ने जर्मनी, जापान और ब्राजील के साथ मिलकर G4 समूह के तहत अभियान भी चलाया है। हाल ही में जब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने मुस्लिम देशों को स्थायी सदस्यता देने की मांग की, तो भारत ने उसे सिरे से खारिज कर दिया। अब भारत को संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक सकारात्मक संकेत मिला है।
UNSC विस्तार पर विचार, भारत बना प्रमुख दावेदार17 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतरसरकारी वार्ता (IGN) के अध्यक्ष राजदूत तारिक अलबनई ने संकेत दिया कि यदि सुरक्षा परिषद का विस्तार होता है, तो भारत निश्चित रूप से उसका प्रमुख दावेदार होगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलबनई ने कहा, “अगर UNSC को वास्तव में वैश्विक प्रतिनिधित्व वाला मंच बनाना है, तो हर देश की आवाज सुनी जानी चाहिए। भारत आज एक बड़ा और अहम राष्ट्र है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
भारत को कुवैत का समर्थनकुवैत के स्थायी प्रतिनिधि तारिक अलबनई ने कहा कि उनका देश भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों की संख्या 21 से बढ़ाकर 27 की जाती है, तो भारत उस सूची में सबसे प्रमुख दावेदारों में शामिल होगा। उन्होंने यह भी स्मरण किया कि 2024 में उन्होंने ऑस्ट्रिया के सह-अध्यक्ष राजदूत अलेक्जेंडर मार्शिक के साथ भारत का दौरा किया था, जहां उन्होंने UNSC सुधारों को लेकर उच्च स्तरीय चर्चा की थी।
चीन और पाकिस्तान का विरोध जारीजहां भारत को अमेरिका, फ्रांस और रूस जैसे स्थायी सदस्य देशों का समर्थन मिल रहा है, वहीं चीन और पाकिस्तान इसका विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान नहीं चाहता कि सुरक्षा परिषद में विस्तार हो, जिससे भारत की राह खुल सके। वहीं चीन को आशंका है कि भारत की स्थायी सदस्यता से एशिया में उसका रणनीतिक वर्चस्व कम हो सकता है।
भारत और G4 समूह पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सुरक्षा परिषद में धर्म के आधार पर स्थायी सदस्यता का विचार अस्वीकार्य है।
भारत की बढ़ती भूमिका और वैश्विक पहचानभारत आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और अंतरराष्ट्रीय शांति अभियानों, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल विकास, वैश्विक स्वास्थ्य और तकनीकी प्रगति जैसे क्षेत्रों में उसकी भागीदारी उल्लेखनीय रही है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्था में भारत को स्थायी सदस्यता देना विश्व प्रतिनिधित्व को अधिक न्यायसंगत और संतुलित बनाएगा।
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