News India Live, Digital Desk: हिंदू धर्म में रामायण का हर किरदार हमें कोई न कोई सीख ज़रूर देता है. रावण, जिसे अक्सर बुराई के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है, लेकिन वो सिर्फ एक शक्तिशाली राजा ही नहीं, बल्कि एक महापंडित, ज्ञानी और बहुत बड़ा शिव भक्त भी था. जब भगवान राम और रावण के युद्ध में रावण अपनी अंतिम साँसें गिन रहा था, तब राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उसके पास ज्ञान लेने भेजा था. ये एक ऐसी घटना है, जो शायद हर किसी को हैरान कर देती है कि भला एक शत्रु से भी कोई सीख ले सकता है!मरते हुए रावण ने लक्ष्मण को दिए 3 अमूल्य ज्ञान:शुभ कार्य कभी मत टालो, अशुभ तुरंत कर दो:रावण ने लक्ष्मण से कहा, "लक्ष्मण, हमेशा शुभ कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए, उन्हें कभी टालना नहीं चाहिए. वहीं, अगर कोई बुरा या अशुभ काम करना हो, तो उसे जितना हो सके, टाल देना चाहिए." रावण ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने भगवान राम को पहचानने और उनकी शरण में जाने का शुभ काम देर से किया, और भगवान राम से दुश्मनी लेने का अशुभ काम तुरंत कर दिया, जिसका नतीजा ये हुआ कि आज वो मृत्यु शय्या पर पड़ा है. यह ज्ञान सिखाता है कि अच्छे काम में देर करना हमेशा नुकसानदायक होता है.अपने रहस्य किसी को मत बताओ:रावण का दूसरा ज्ञान था, "कभी भी अपने जीवन का कोई भी गुप्त रहस्य अपने दुश्मन को या यहां तक कि उन लोगों को भी मत बताओ जिन पर तुम्हें पूरा भरोसा न हो." रावण ने कहा कि उसकी मृत्यु का रहस्य विभीषण (उसका ही भाई) जानता था, जिसने उसे भगवान राम को बता दिया और इसी वजह से उसका अंत हुआ. इस सीख का मतलब है कि अपने सबसे कमजोर बिंदु या रणनीतियों को किसी भी ऐसे व्यक्ति से छिपाना चाहिए जो उनका दुरुपयोग कर सकता हो.किसी को कभी कम मत समझो, दुश्मन को भी:रावण ने कहा, "कभी भी किसी को, खासकर अपने शत्रु को, कम नहीं आंकना चाहिए." उसने स्वीकार किया कि उसने श्रीराम को सिर्फ एक राजकुमार और साधारण मानव समझा, जबकि वे भगवान विष्णु के अवतार थे. उसने कहा कि यही उसकी सबसे बड़ी भूल थी. यह ज्ञान बताता है कि अहंकार छोड़कर हर व्यक्ति या स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए, चाहे वो कितना भी छोटा या साधारण क्यों न दिखे.रावण के ये अंतिम वचन बताते हैं कि भले ही कोई कितना भी बुरा क्यों न हो, उसमें भी ज्ञान के मोती छिपे हो सकते हैं. भगवान राम का लक्ष्मण को रावण के पास भेजना सिर्फ एक नैतिक शिक्षा नहीं थी, बल्कि यह हमें यह सिखाती है कि हमें हमेशा ज्ञान की तलाश में रहना चाहिए, चाहे वह कहीं से भी मिले. ये सीख आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी हजारों साल पहले थीं.
You may also like
दीपावली से पहले नवादा में होटलों-दुकानों में छापेमारी, मिलावटी खाद्य पदार्थ किए गए नष्ट
दिल्ली टेस्ट जीतने के बाद भी नाखुश टीम इंडिया, हेड कोच गौतम गंभीर ने इस बात पर जताई नाराजगी
बाबा केदारनाथ धाम में पहली बार स्वयंसेवकाें का पथ संचलन
कुल्लू की देव परंपरा को याद कर कंगना रनौत ने ऋषभ शेट्टी को कहा शुक्रिया
'मुर्गी-चोर को Y सिक्योरिटी? आजम खान का तंज, बोले- बिना गारंटी नहीं लूंगा!'