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गाजा में सैनिक भेजने के लिए पाकिस्तान ने प्रति जवान मांगे 10 हजार डॉलर, इजरायल बोला 100 में लड़ो- दावा

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इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने अमेरिका को वचन दिया है कि वो हमास से लड़ने के लिए 20 हजार सैनिकों को गाजा भेजेगा। लेकिन अब ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने गाजा में अपने सैनिकों को भेजने के बदले प्रति सैनिक 10 हजार डॉलर मांगे हैं। लेकिन इजरायल ने प्रति सैनिक 100 डॉलर देने का ऑफर दिया है। मोसाद और सीआईए के साथ पिछले दिनों पाकिस्तान सेना के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें फैसला लिया गया कि पाकिस्तान की सेना गाजा में हमास से हथियार छीनने के लिए 20 हजार जवानों को भेजेगी।

सूत्रों के हवाले से कई रिपोर्ट्स में दावा किया गाय है, पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख असीम मुनीर ने गाजा में भेजे जाने वाले सैनिकों के लिए इजरायल सरकार से प्रति-सैनिक 10,000 अमेरिकी डॉलर की मांग की है। पाकिस्तानी पत्रकार आसमा शिरजई ने ये दावा किया है। उनके मुताबिक, इजरायल ने इस प्रस्ताव पर सिर्फ 100 अमेरिकी डॉलर प्रति सैनिक देने का प्रस्ताव रखा है।

गाजा में किराए पर सैनिकों को लड़ने भेजेगा पाकिस्तान
आपको बता दें कि पिछले महीने पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने मिस्र का दौरा किया था। जिसको लेकर कई रिपोर्ट् में दावा किया गया है कि वहां उनकी मोसाद और सीआईए के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद ही इजरायली प्रधानमंत्री ने अपनी कैबिनेट को बताया था कि हमास के खिलाफ गाजा में पाकिस्तान, इंडोनेशिया के सैनिकों को तैनात किया जाएगा। मिस्र में हुई बैठक में पाकिस्तान के सेना प्रमुख गाजा में सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो गये हैं। इनका काम हमास का निरस्त्रीकरण, यानि उससे सारे हथियार छीनना या नष्ट करना है। यानि खुले शब्दों में कहें तो इजरायल की जगह अब पाकिस्तानी सैनिक हमास से लड़ेंगे।


हैरानी की बात ये है कि इजरायल को पाकिस्तान मान्यता नहीं देता है। फिर भी वो गाजा में लड़ने के लिए अपने सैनिकों को भेजेगा। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इससे साफ हो गया है कि पाकिस्तान के सैनिक किराए के सैनिक हैं। आप पैसे फेंककर उनसे कोई काम करवा सकते हैं। जो पाकिस्तान, फिलीस्तीनियों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहा था, वही पाकिस्तान अब गाजा जाकर फिलीस्तीनियों का नरसंहार करेगा। ठीक उसी तरह, जब 1970 के दशक में जिया-उल हक ने किया था। उस समय मिस्र में हमास के आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तान की सेना ने हजारों फिलीस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया था।

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