इस्लामाबाद: पाकिस्तान के नौसेना प्रमुख एडमिरल नावीद अशरफ ने भारत के साथ लगती समुद्री सीमा पर स्थित विवादित सर क्रीक क्षेत्र में स्थित पाकिस्तान की अग्रिम चौकियों का दौरा किया है। पाकिस्तानी नेवी चीफ का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब भारत की तीनों सेनाएं इस इलाके में युद्धाभ्यास करने जा रही हैं। 30 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक होने वाले त्रिशूल नामक इस अभ्यास के लिए भारत ने इस क्षेत्र में नोटिस-टू-एयरमेन (NOTAM) जारी किया है। भारत की घोषणा ने पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। भारत की तीनों सेनाओं के अभ्यास से ठीक पहले विवादित सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तानी नेवी चीफ के दौरे को भारत सतर्कता से देख रहा है।   
   
भारत के बॉर्डर पर पाकिस्तान का फोकस
एडमिरल अशरफ ने इस दौरान सर क्रीक से जिवानी तक पाकिस्तानी की समुद्री सीमाओं के हर इंच की रक्षा की शपथ ली, जो इस क्षेत्र पर पाकिस्तान के बढ़ते रणनीतिक फोकस को दिखाता है। एडमिरल अशरफ ने आधिकारिक तौर पर तीन अत्याधुनिक 2400TD होवरक्रॉफ्ट को पाकिस्तान की नौसेना में शामिल किया। ब्रिटेन से हासिल ये प्लेटफॉर्म मुश्किल तटीय इलाके में पाकिस्तानी नौसेना को परिचालन क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि देते हैं।
   
होवरक्राफ्ट क्यों है पाकिस्तान के लिए खास?
होवरक्राफ्ट को उथले पानी, रेत के टीले, दलदली और दलदली तटीय क्षेत्रों से जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों पर एक साथ चलने के लिए डिजाइन किया गया है। सर क्रीक का इलाका अपनी इन्हीं विशेषताओं के लिए जाना जाता है। निरीक्षण के दौरान एडमिरल अशरफ ने अधिकारियों और जवानों को संबोधित किया। उन्होंने पानी और जमीन पर चलने वाले इन होवरक्राफ्ट के शामिल होने को पाकिस्तान नौसेना के समुद्री सीमाओं, तटीय क्षेत्र और विशेष रूप से क्रीक्स क्षेत्र की रक्षा को मजबूत करने के अटूट संकल्प का प्रतीक बताया।
   
पाकिस्तानी नेवी चीफ ने नए होवरक्राफ्ट को सभी विरोधियों के खिलाफ प्रभावी और निर्णायक प्रतिक्रिया देने में सक्षम बताया और कहा कि पाकिस्तानी नौसेना की रक्षा क्षमताएं मजबूत बनी हुई हैं। इस बीच भारत के शीर्ष खुफिया सूत्रों ने एडमिरल अशरफ की यात्रा की कड़ी निंदा की है। इसे विवादित समुद्री क्षेत्रों में सैन्य आक्रामकता दिखाने का पाकिस्तान का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया गया है। भारत इसे उकसावे और सोची-समझी चाल के रूप में देख रहा है।
   
सर क्रीक का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की चाल
इस शक्ति प्रदर्शन को कच्छ की खाड़ी और व्यापक अरब सागर के पास भारत की बढ़ी हुई नौसैनिक गतिविधि के खिलाफ पाकिस्तान के उपाय के रूप में देखा जा रहा है। इस हाई प्रोफाइल दौरे के पीछे दो मुख्य उद्देश्य नजर आते हैं- पहला तनाव बढ़ाना और दूसरा सर क्रीक विवाद का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की इस्लामाबाद की रणनीति का खुला संकेत देना शामिल है।
  
भारत के बॉर्डर पर पाकिस्तान का फोकस
एडमिरल अशरफ ने इस दौरान सर क्रीक से जिवानी तक पाकिस्तानी की समुद्री सीमाओं के हर इंच की रक्षा की शपथ ली, जो इस क्षेत्र पर पाकिस्तान के बढ़ते रणनीतिक फोकस को दिखाता है। एडमिरल अशरफ ने आधिकारिक तौर पर तीन अत्याधुनिक 2400TD होवरक्रॉफ्ट को पाकिस्तान की नौसेना में शामिल किया। ब्रिटेन से हासिल ये प्लेटफॉर्म मुश्किल तटीय इलाके में पाकिस्तानी नौसेना को परिचालन क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि देते हैं।
होवरक्राफ्ट क्यों है पाकिस्तान के लिए खास?
होवरक्राफ्ट को उथले पानी, रेत के टीले, दलदली और दलदली तटीय क्षेत्रों से जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों पर एक साथ चलने के लिए डिजाइन किया गया है। सर क्रीक का इलाका अपनी इन्हीं विशेषताओं के लिए जाना जाता है। निरीक्षण के दौरान एडमिरल अशरफ ने अधिकारियों और जवानों को संबोधित किया। उन्होंने पानी और जमीन पर चलने वाले इन होवरक्राफ्ट के शामिल होने को पाकिस्तान नौसेना के समुद्री सीमाओं, तटीय क्षेत्र और विशेष रूप से क्रीक्स क्षेत्र की रक्षा को मजबूत करने के अटूट संकल्प का प्रतीक बताया।
पाकिस्तानी नेवी चीफ ने नए होवरक्राफ्ट को सभी विरोधियों के खिलाफ प्रभावी और निर्णायक प्रतिक्रिया देने में सक्षम बताया और कहा कि पाकिस्तानी नौसेना की रक्षा क्षमताएं मजबूत बनी हुई हैं। इस बीच भारत के शीर्ष खुफिया सूत्रों ने एडमिरल अशरफ की यात्रा की कड़ी निंदा की है। इसे विवादित समुद्री क्षेत्रों में सैन्य आक्रामकता दिखाने का पाकिस्तान का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया गया है। भारत इसे उकसावे और सोची-समझी चाल के रूप में देख रहा है।
सर क्रीक का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की चाल
इस शक्ति प्रदर्शन को कच्छ की खाड़ी और व्यापक अरब सागर के पास भारत की बढ़ी हुई नौसैनिक गतिविधि के खिलाफ पाकिस्तान के उपाय के रूप में देखा जा रहा है। इस हाई प्रोफाइल दौरे के पीछे दो मुख्य उद्देश्य नजर आते हैं- पहला तनाव बढ़ाना और दूसरा सर क्रीक विवाद का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की इस्लामाबाद की रणनीति का खुला संकेत देना शामिल है।
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