इस्लामाबाद: डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका को चौंकाने वाला प्रस्ताव दिया है। ये प्रस्ताव अरब सागर में बंदरगाह बनाने को लेकर है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने अरब सागर में एक बंदरगाह के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। पाकिस्तान ऐसा अमेरिका के साथ अपने रिश्ते को सुधारने के लिए, या कम से कम डोनाल्ड ट्रंप को अपने पाले में बनाए रखने के लिए कर रहा है। यह नागरिक बंदरगाह बलूचिस्तान के ग्वादर जिले के पासनी कस्बे में स्थित होगा। इस क्षेत्र में पहले से ही ग्वादर बंदरगाह है, जिसे चीन ने बनाया हुआ है और चीन ही ऑपरेट करता है।
सबसे खास बात ये है कि पासनी पोर्ट, ईरान के चाबहार पोर्ट के काफी करीब होगा, जिसे भारत ने बनाया है और भारत की स्ट्रैटजी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के सलाहकारों ने शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क कर 1.2 अरब डॉलर तक के प्रस्ताव की पेशकश की है।
पासनी में अमेरिका बनाएगा बंदरगाह?
पाकिस्तान ने जो पेशकश की है उसके मुताबिक, अमेरिका पासनी बंदरगाह पर एक टर्मिनल का निर्माण कर उसे ऑपरेट करेगा, ताकि पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों तक उसकी आवाजाही आसानी से हो सके। ये पूरा क्षेत्र अशांत बलूचिस्तान प्रांत और अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगा हुआ है। यह स्थान ईरान के चाबहार पोर्ट से महज 300 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे भारत ईरान के साथ मिलकर विकसित कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ एक रेल नेटवर्क को भी फंड करे, जो पासनी को पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांतों में स्थित खनिज क्षेत्रों से जोड़ेगा। हालांकि रिपोर्ट में इस नये बंदरगाह के सैन्य संचालन, या अमेरिकी सैन्य अड्डे का कोई जिक्र नहीं है।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने पेशकश उस वक्त की है, जब सितंबर में असीम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात की थी। इस दौरान असीम मुनीर ने डोनाल्ड ट्रंप को पाकिस्तान का खनन क्षेत्र सौंपने की बात कही थी। यमुनीर ने पाकिस्तान की खनिज संपदा को प्रदर्शित करते हुए ट्रंप को दुर्लभ खनिजों से भरा एक लकड़ी का बॉक्स भेंट किया था। इसके फौरन बाद अमेरिका की एक धातु कंपनी ने पाकिस्तान में 500 मिलियन डॉलर का समझौता किया।
भारत के लिए कितनी परेशानी?
अमेरिका अगर पाकिस्तान के ऑफर के बाद पासनी में पोर्ट बनाता है तो निश्चित तौर पर ये ईरान के लिए बहुत बड़ा खतरा और पाकिस्तान के लिए परेशानी बढ़ाने वाला होगा। हालांकि ये उतना आसान नहीं होगा, जितना दिख रहा है, क्योंकि सवाल ये हैं कि क्या चीन, अपने ग्वादर पोर्ट के बदल में पाकिस्तान को इजाजत देगा, कि वो अमेरिका को बंदरगाह बनाने दे? फिर भी अगर अमेरिका पोर्ट बनाता है तो यह भारत और ईरान, दोनों के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकता है। भारत का चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट उसे पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक सीधा रास्ता देता है, जबकि पासनी पोर्ट उस रूट के बेहद करीब होगा।
पाकिस्तान के पास पहले से ही ग्वादर पोर्ट है, जो पासनी से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर स्थित है। इसीलिए समझा जा सकता है कि पाकिस्तान अमेरिका को क्यों लुभाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान, अपनी महत्ता बनाए रखने के लिए ऐसा कर रहा है। वो अमेरिका को अपने पोर्ट प्रोजेक्ट में शामिल कर अगले कई सालों तक इस क्षेत्र में बनाए रखना चाहता है, ताकि वो भारत के खिलाफ अमेरिका का इस्तेमाल कर सके।
सबसे खास बात ये है कि पासनी पोर्ट, ईरान के चाबहार पोर्ट के काफी करीब होगा, जिसे भारत ने बनाया है और भारत की स्ट्रैटजी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के सलाहकारों ने शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क कर 1.2 अरब डॉलर तक के प्रस्ताव की पेशकश की है।
पासनी में अमेरिका बनाएगा बंदरगाह?
पाकिस्तान ने जो पेशकश की है उसके मुताबिक, अमेरिका पासनी बंदरगाह पर एक टर्मिनल का निर्माण कर उसे ऑपरेट करेगा, ताकि पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों तक उसकी आवाजाही आसानी से हो सके। ये पूरा क्षेत्र अशांत बलूचिस्तान प्रांत और अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगा हुआ है। यह स्थान ईरान के चाबहार पोर्ट से महज 300 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे भारत ईरान के साथ मिलकर विकसित कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ एक रेल नेटवर्क को भी फंड करे, जो पासनी को पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांतों में स्थित खनिज क्षेत्रों से जोड़ेगा। हालांकि रिपोर्ट में इस नये बंदरगाह के सैन्य संचालन, या अमेरिकी सैन्य अड्डे का कोई जिक्र नहीं है।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने पेशकश उस वक्त की है, जब सितंबर में असीम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात की थी। इस दौरान असीम मुनीर ने डोनाल्ड ट्रंप को पाकिस्तान का खनन क्षेत्र सौंपने की बात कही थी। यमुनीर ने पाकिस्तान की खनिज संपदा को प्रदर्शित करते हुए ट्रंप को दुर्लभ खनिजों से भरा एक लकड़ी का बॉक्स भेंट किया था। इसके फौरन बाद अमेरिका की एक धातु कंपनी ने पाकिस्तान में 500 मिलियन डॉलर का समझौता किया।
भारत के लिए कितनी परेशानी?
अमेरिका अगर पाकिस्तान के ऑफर के बाद पासनी में पोर्ट बनाता है तो निश्चित तौर पर ये ईरान के लिए बहुत बड़ा खतरा और पाकिस्तान के लिए परेशानी बढ़ाने वाला होगा। हालांकि ये उतना आसान नहीं होगा, जितना दिख रहा है, क्योंकि सवाल ये हैं कि क्या चीन, अपने ग्वादर पोर्ट के बदल में पाकिस्तान को इजाजत देगा, कि वो अमेरिका को बंदरगाह बनाने दे? फिर भी अगर अमेरिका पोर्ट बनाता है तो यह भारत और ईरान, दोनों के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकता है। भारत का चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट उसे पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक सीधा रास्ता देता है, जबकि पासनी पोर्ट उस रूट के बेहद करीब होगा।
पाकिस्तान के पास पहले से ही ग्वादर पोर्ट है, जो पासनी से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर स्थित है। इसीलिए समझा जा सकता है कि पाकिस्तान अमेरिका को क्यों लुभाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान, अपनी महत्ता बनाए रखने के लिए ऐसा कर रहा है। वो अमेरिका को अपने पोर्ट प्रोजेक्ट में शामिल कर अगले कई सालों तक इस क्षेत्र में बनाए रखना चाहता है, ताकि वो भारत के खिलाफ अमेरिका का इस्तेमाल कर सके।
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