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दुनिया में सिर्फ दो ही सुपरपावर... ट्रंप और जिनपिंग के 'G-2 प्लान' से सवालों के घेरे में क्वाड, भारत के लिए खतरे की घंटी?

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वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दक्षिण कोरिया के बूसान शहर में लंबे अंतराल के बाद मुलाकात हुई है। इस मुलाकात के बाद चीन अमेरिका को रेअर अर्थ की सप्‍लाई करने के लिए तैयार हो गया है, वहीं अमेरिका ने भी ड्रैगन पर लगे 10 फीसदी टैरिफ को घटा दिया है। एक्‍सपर्ट का मानना है कि दोनों देशों के रिश्‍ते में आई यह तेजी भारत के लिए चिंता का सबब बन सकती है। यही नहीं चीन से निपटने के लिए बनाए गए क्‍वाड का अस्तित्‍व भी खतरे में आ सकता है। दरअसल, इसके पीछे ट्रंप का बयान जिम्‍मेदार माना जा रहा है। ट्रंप ने जिनपिंग से मुलाकात के ठीक पहले कहा, 'G-2 की बैठक बहुत जल्‍द शुरू होने जा रही है।' ट्रंप के इस बयान के बाद दुनिया में उनके 'G-2 प्‍लान' को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है। आइए समझते हैं पूरा मामला...

डोनाल्‍ड ट्रंप ने जिनपिंग के साथ मुलाकात के बाद चीन पर लगे अमेरिकी टैरिफ को घटाकर अब 47 फीसदी कर दिया है। यह 'दोस्‍त' भारत और ब्राजील के 50 फीसदी से कम हो गया है। भारत और ब्राजील अब सबसे ज्‍यादा अमेरिकी टैरिफ वाले देश बन गए हैं। एक्‍सपर्ट का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच रेअर अर्थ और ट्रेड टैरिफ को लेकर हुए समझौते से ज्‍यादा असर जी-2 प्‍लान का पड़ेगा। ट्रंप ने अमेरिका और चीन के बीच बातचीत को 'जी-2' बताया और इसका असर पूरे इलाके पर पड़ने जा रहा है। ट्रंप ने जी-2 के साथ यह भी कहा कि अमेरिकी और चीन दोनों ही दुनिया की लीड करने वाले अर्थव्‍यवस्‍थाएं हैं। दोनों देशों को अपने रिश्‍ते सुधारना चाहिए।

जी-2 पर भारत को एक्‍सपर्ट ने दी चेतावनी
कई विश्‍लेषकों का कहना है कि ट्रंप बहुध्रुवीय विश्‍व की बजाय चीन के साथ मिलकर 'जी-2' बनाना चाहते हैं ताकि दुनिया में सिर्फ इन्‍हीं देशों का ही प्रभाव रहे। यह भारत की नीति के ठीक उलट है। अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर ने द हिंदू से बातचीत में कहा, 'भारत ने हमेशा से ही दो ताकतों या जी-2 के बीच में साझा प्रभुत्‍व की बजाय बहुध्रुवीय विश्‍व का सपोर्ट किया है।' मीरा ने कहा कि यह सोचना जरूरी है कि क्‍या इससे दुनिया को 'प्रभाव वाले क्षेत्रों' में बांटा जाएगा, क्‍योंकि इससे न केवल भारत की प्रतिष्‍ठा को चुनौती मिलेगी बल्कि क्‍वॉड की व्‍यवहार्यता को भी चुनौती मिलेगी।


वहीं विदेशी मामलों के विशेषज्ञ सी राजामोहन का मानना है कि ट्रंप ऐसी ट्रेड प्रधान नीति पर चल रहे हैं जिससे इलाके की व्‍यवस्‍था बदलने जा रही है। भारत को अमेरिका के उद्देश्‍यों और चीन के मंसूबों को लेकर लंबे समय समय से चली आ रही अपनी नीति का परीक्षण करना होगा। उन्‍होंने कहा कि जी-2 चाल के बीच भारत जैसी म‍िडिल पावर के लिए रणनीतिक स्‍पेस मौजूद है। उन्‍होंने कहा कि ट्रंप के जी-2 राग और चीन से रिश्‍ते सुधारने से एशिया में अमेरिका के उन दोस्‍त देशों जैसे जापान और फ‍िलीपीन्‍स की बेचैनी बढ़ जाएगी जो चीन की दादागिरी से परेशान हैं। सी राजामोहन ने कहा कि दुनिया के अन्‍य हिस्‍सों की तरह से ही भारत को अमेरिका-चीन रिश्‍ते के नए चरण को स्‍वीकार करना होगा। भारत को अपनी विदेश नीति और राष्‍ट्रीय सुरक्षा पर ज्‍यादा तेजी से फोकस करना होगा।
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