बक्सर: राजपुर विधानसभा बिहार के बक्सर जिले की एक महत्वपूर्ण सीट है। ये सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है और बक्सर लोकसभा के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र समतल और उपजाऊ मैदानी भागों वाला है, जो कृषि के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है। राजपुर सोन नदी के निकट स्थित है, जबकि इटाढ़ी गंगा नदी के समीप बसा हुआ है। इस क्षेत्र के आसपास सासाराम, बक्सर, डेहरी-ऑन-सोन, बिक्रमगंज और उत्तर प्रदेश का बलिया शहर प्रमुख है।
11 बार में सिर्फ दो बार कांग्रेस जीतीपरिसीमन के बाद राजपुर विधानसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई। अब तक यहां 11 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। दिलचस्प बात ये है कि मतदाताओं ने कभी किसी एक राजनीतिक दल को यहां स्थायी बढ़त नहीं बनाने दी। 1977 में पहली जीत जनता पार्टी को मिली। इसके बाद 1980 में कांग्रेस का खाता खुला। 1985 और 1990 में दो चुनाव भाजपा के नाम रहे। इसके बाद 1995 में सीपीआई को पहली बार जीत का मौका मिला। पांच साल बाद 2000 में राजपुर की जनता ने बसपा को चुना।
बक्सर के राजपुर में हर बार उलटफेरहालांकि, 2005 के बाद राजपुर की जनता ने पार्टियों को बदलने का ये सिलसिला रोका और 2015 तक अगले चार चुनावों में जदयू को विजयी बनाया। ये जरूर है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिला। कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने जदयू के संतोष कुमार निराला को पराजित कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। ये जीत कांग्रेस के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि पार्टी ने 1980 के बाद पहली बार इस सीट पर विजय प्राप्त की थी।
कांग्रेस की सीट पर जेडीयू से मुकाबलादिलचस्प ये भी है कि अब तक लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद को इस सीट पर कभी सफलता नहीं मिली है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस के सामने अपनी पिछली जीत को दोहराने की चुनौती होगी, वहीं जदयू के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है, जिसके लिए यह चुनाव 2020 की हार का बदला लेने का मौका भी होगा। राजपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने अपना विश्वास दोहराते हुए विश्वनाथ राम को टिकट दिया है। यहां से जदयू ने संतोष कुमार निराला को उतारा है, जबकि जन सुराज ने धनंजय कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
इनपुर- आईएएनएस
11 बार में सिर्फ दो बार कांग्रेस जीतीपरिसीमन के बाद राजपुर विधानसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई। अब तक यहां 11 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। दिलचस्प बात ये है कि मतदाताओं ने कभी किसी एक राजनीतिक दल को यहां स्थायी बढ़त नहीं बनाने दी। 1977 में पहली जीत जनता पार्टी को मिली। इसके बाद 1980 में कांग्रेस का खाता खुला। 1985 और 1990 में दो चुनाव भाजपा के नाम रहे। इसके बाद 1995 में सीपीआई को पहली बार जीत का मौका मिला। पांच साल बाद 2000 में राजपुर की जनता ने बसपा को चुना।
बक्सर के राजपुर में हर बार उलटफेरहालांकि, 2005 के बाद राजपुर की जनता ने पार्टियों को बदलने का ये सिलसिला रोका और 2015 तक अगले चार चुनावों में जदयू को विजयी बनाया। ये जरूर है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिला। कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने जदयू के संतोष कुमार निराला को पराजित कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। ये जीत कांग्रेस के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि पार्टी ने 1980 के बाद पहली बार इस सीट पर विजय प्राप्त की थी।
कांग्रेस की सीट पर जेडीयू से मुकाबलादिलचस्प ये भी है कि अब तक लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद को इस सीट पर कभी सफलता नहीं मिली है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस के सामने अपनी पिछली जीत को दोहराने की चुनौती होगी, वहीं जदयू के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है, जिसके लिए यह चुनाव 2020 की हार का बदला लेने का मौका भी होगा। राजपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने अपना विश्वास दोहराते हुए विश्वनाथ राम को टिकट दिया है। यहां से जदयू ने संतोष कुमार निराला को उतारा है, जबकि जन सुराज ने धनंजय कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
इनपुर- आईएएनएस
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