क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि जहां ज्यादातर सभी ट्रांसपेरेंट स्मार्टफोन कवर समय के साथ पीले पड़ जाते हैं, वहीं Apple के फोन कवर पीले नहीं पड़ते। Apple के साथ-साथ कुछ ब्रांड और भी हैं जैसे कि Spigen आदि जो अपने कवर्स के पीले न पड़ने की गारंटी तक देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ब्रैंडेड कवर्स में ऐसा कौन सा जादू होता है कि वो पीले नहीं पड़ते और आपके कवर्स चंद दिनों में रंग बदल लेते हैं। चलिए डिटेल में समझते हैं।
क्यों बदलता है कवर का रंग?यह जानने से पहले कि Apple जैसे ब्रैंड के फोन कवर्स पीले क्यों नहीं पड़ते? हमें यह जान लेना चाहिए कि फोन के कवर पीले पड़ते ही क्यों हैं? दरअसल यह सारा खेल यूवी किरणों और धूल मिट्टी का है। दरअसल ज्यादातर सस्ते कवर TPU यानी कि थर्मोप्लास्टिक पॉलीयूरेथेन से बने होते हैं, जो कि सस्ते किस्म का प्लास्टिक होता है। यह सूरज की किरणों और हवा में मौजूद ऑक्सीजन से रिएक्ट करते हैं। इसके अलावा समय के साथ इन पर लगने वाले तेल, पसीने से गंदगी इन पर चिपक जाती है। इस वजह से इन सस्ते फोन कवर्स का रंग फीका और पीला पड़ने लगता है। हालांकि अब आप पूछ सकते हैं कि यह तमाम चीजें Apple या दूसरी कंपनियों के महंगे कवर्स के साथ भी होती हैं और बावजूद इसके वह पीले क्यों नहीं पड़ते?
प्रीमियम मटेरियल का इस्तेमालApple या दूसरे ब्रैंड के महंगे कवर्स में सिलिकॉन और प्लास्टिक कवर्स में बेहद शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले पॉलीकार्बोनेट और सिलिकॉन कंपाउंड्स का इस्तेमाल होता है। ये तमाम मटेरियल UV लाइट, ऑक्सिडेशन और धूल से ज्यादा प्रभावित नहीं होते।
एंटी येलोइंग कोटिंगApple या दूसरे ब्रैंड के महंगे कवर्स एक खास तरह की कोटिंग के साथ आते हैं। इसे स्पेशल एंटी-येलोइंग कोटिंग कहा जता है। यह कोटिंग यूवी प्रोटेक्शन लेयर की तरह काम करती है। इस वजह से सूरज की यूवी किरणों और हवा में मौजूद नमी का कवर के रंग पर असर नहीं पड़ता। इस वजह से ये कवर्स जल्दी पीले नहीं पड़ते।
एडवांस मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेसApple या दूसरे ब्रैंड के महंगे कवर्स को प्रोडक्शन के दौरान एक खास प्रोसेस से गुजारा जाता है। दरअसल इन्हें बनाए जाते समय हीट, प्रेशर और केमिकल टेस्टिंग से गुजारा जाता है। इस खास प्रोसेस की वजह से महंगे कवर्स रियल लाइफ में इस्तेमाल होने पर भी जल्दी पीले नहीं पड़ते।
क्यों बदलता है कवर का रंग?यह जानने से पहले कि Apple जैसे ब्रैंड के फोन कवर्स पीले क्यों नहीं पड़ते? हमें यह जान लेना चाहिए कि फोन के कवर पीले पड़ते ही क्यों हैं? दरअसल यह सारा खेल यूवी किरणों और धूल मिट्टी का है। दरअसल ज्यादातर सस्ते कवर TPU यानी कि थर्मोप्लास्टिक पॉलीयूरेथेन से बने होते हैं, जो कि सस्ते किस्म का प्लास्टिक होता है। यह सूरज की किरणों और हवा में मौजूद ऑक्सीजन से रिएक्ट करते हैं। इसके अलावा समय के साथ इन पर लगने वाले तेल, पसीने से गंदगी इन पर चिपक जाती है। इस वजह से इन सस्ते फोन कवर्स का रंग फीका और पीला पड़ने लगता है। हालांकि अब आप पूछ सकते हैं कि यह तमाम चीजें Apple या दूसरी कंपनियों के महंगे कवर्स के साथ भी होती हैं और बावजूद इसके वह पीले क्यों नहीं पड़ते?
प्रीमियम मटेरियल का इस्तेमालApple या दूसरे ब्रैंड के महंगे कवर्स में सिलिकॉन और प्लास्टिक कवर्स में बेहद शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले पॉलीकार्बोनेट और सिलिकॉन कंपाउंड्स का इस्तेमाल होता है। ये तमाम मटेरियल UV लाइट, ऑक्सिडेशन और धूल से ज्यादा प्रभावित नहीं होते।
एंटी येलोइंग कोटिंगApple या दूसरे ब्रैंड के महंगे कवर्स एक खास तरह की कोटिंग के साथ आते हैं। इसे स्पेशल एंटी-येलोइंग कोटिंग कहा जता है। यह कोटिंग यूवी प्रोटेक्शन लेयर की तरह काम करती है। इस वजह से सूरज की यूवी किरणों और हवा में मौजूद नमी का कवर के रंग पर असर नहीं पड़ता। इस वजह से ये कवर्स जल्दी पीले नहीं पड़ते।
एडवांस मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेसApple या दूसरे ब्रैंड के महंगे कवर्स को प्रोडक्शन के दौरान एक खास प्रोसेस से गुजारा जाता है। दरअसल इन्हें बनाए जाते समय हीट, प्रेशर और केमिकल टेस्टिंग से गुजारा जाता है। इस खास प्रोसेस की वजह से महंगे कवर्स रियल लाइफ में इस्तेमाल होने पर भी जल्दी पीले नहीं पड़ते।
You may also like

Bihar Chunav 2025: प्रशांत किशोर ने असदुद्दीन ओवैसी को दी सलाह, सीमांचल के बजाए अपना किला संभालें

सीईसी की एसआईआर घोषणा पर टीएमसी का बयान- 'हम हमेशा एक पारदर्शी मतदाता सूची के पक्ष में'

ढूंढ लीजिए इन 13 में से कोई एक दस्तावेज, SIR में आधार से नहीं चलेगा काम, जुड़ गया एक और डॉक्यूमेंट

साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में श्रेयस अय्यर का खेल पाना है मुश्किल, ये खिलाड़ी बना सकते हैं टीम में जगह

₹3000000 का बीमा, दुल्हन से था ज्यादा प्यारा… इस आदमी की` सच्चाई जान ठनक गया बीमा कंपनियों का माथा




