सिंगर फाल्गुनी पाठक, जिन्हें 'क्वीन ऑफ डांडिया' कहा जाता है उन्होंने 'मैंने पायल है छनकाई', 'याद पिया की आने लगी' जैसे सुपरहिट म्यूजिक एल्बम दिए हैं। नवरात्रि में वह हर सार देश के कुछ हिस्सों में लाइव परफॉर्मेंस भी देती हैं। उनके इस शो की फीस भी खूब महंगी होती है। हालांकि वह कभी बॉलीवुड में नहीं आईं। इसके पीछे क्या वजह रही, इसके बारे में उन्होंने राज शमानी को दिए इंटरव्यू में बताया है। साथ ही मां के निधन पर भी बात की है।
फाल्गुनी पाठक से राज ने सवाल किया, 'बॉलीवुड में क्यों नहीं गाते? ऑफर्स तो बहुत आए होंगे।' इस पर सिंगर ने कहा, 'मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उस तरफ। क्योंकि पहले तो मुझे ऐसा लगता था कि मेरी आवाज जो है वो बॉलीवुड के लिए बनी नहीं है शायद। बहुत ज्यादा सॉफ्ट है। मतलब ऐसा कुछ उसमें वैरिएशन्स वगैरह नहीं है।'
बॉलीवुड में न आने का फाल्गुनी ने बताया कारण
फाल्गुनी ने आगे कहा, 'तुमको बॉलीवुड में गाने के लिए तुम्हें उसके लिए काम करना होगा। मतलब तुमको ऐसे टोन काम करना पड़ता है फिर। दूसरी चीज ये है कि तुमको... अभी तो ऐसा नहीं होता लेकिन पहले स्टूडियोज में जाकर बैठे रहो। वेट करो। मिलो म्यूजिक डायरेक्टर से और वो मेरे स्वभाव में नहीं है दरअसल।'
फाल्गुनी को नहीं पसंद चमचागीरी
फाल्गुनी ने कहा कि वह चापलूसी नहीं कर सकतीं, 'मेरा जो चल रहा है ठीक है। मतलब जा-जाकर बैठे रहना, वो जी-हुजूरी करना। मेरा नेचर नहीं है। पहले ऐसा होता था ना। अभी तो नहीं है ऐसा। मैं हमेशा से खुश हूं और जो कर रही हूं उससे भी खुश हूं।
फाल्गुनी 15 साल की थी, जब मां गुजरीं
मां के निधन के बारे में फाल्गुनी ने बताया, 'मैंने अपनी मां को खोया, जब मैं 15 साल की थी। मैं अपनी मां के बहुत करीब थी। मतलब मैं स्कूल से घर में आई हूं तो सबसे पहले मेरी मम्मी दिखनी चाहिए। स्कूल बैग किधर, मम्मी किधर है, उनको देखूं तब मुझे शांति होती थी। और अचानक से एक दिन मेरा 10वीं पास होकर कॉलेज ठीक शुरू हुआ ही था। एक या 1.5 महीने हुए थे और तभी उनका निधन हो गया। मैं कॉलेज में थी और तभी मुझे ये न्यूज मिली थी। उन्हें हार्ट अटैक आया था।'
फाल्गुनी पाठक से राज ने सवाल किया, 'बॉलीवुड में क्यों नहीं गाते? ऑफर्स तो बहुत आए होंगे।' इस पर सिंगर ने कहा, 'मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उस तरफ। क्योंकि पहले तो मुझे ऐसा लगता था कि मेरी आवाज जो है वो बॉलीवुड के लिए बनी नहीं है शायद। बहुत ज्यादा सॉफ्ट है। मतलब ऐसा कुछ उसमें वैरिएशन्स वगैरह नहीं है।'
बॉलीवुड में न आने का फाल्गुनी ने बताया कारण
फाल्गुनी ने आगे कहा, 'तुमको बॉलीवुड में गाने के लिए तुम्हें उसके लिए काम करना होगा। मतलब तुमको ऐसे टोन काम करना पड़ता है फिर। दूसरी चीज ये है कि तुमको... अभी तो ऐसा नहीं होता लेकिन पहले स्टूडियोज में जाकर बैठे रहो। वेट करो। मिलो म्यूजिक डायरेक्टर से और वो मेरे स्वभाव में नहीं है दरअसल।'
फाल्गुनी को नहीं पसंद चमचागीरी
फाल्गुनी ने कहा कि वह चापलूसी नहीं कर सकतीं, 'मेरा जो चल रहा है ठीक है। मतलब जा-जाकर बैठे रहना, वो जी-हुजूरी करना। मेरा नेचर नहीं है। पहले ऐसा होता था ना। अभी तो नहीं है ऐसा। मैं हमेशा से खुश हूं और जो कर रही हूं उससे भी खुश हूं।
फाल्गुनी 15 साल की थी, जब मां गुजरीं
मां के निधन के बारे में फाल्गुनी ने बताया, 'मैंने अपनी मां को खोया, जब मैं 15 साल की थी। मैं अपनी मां के बहुत करीब थी। मतलब मैं स्कूल से घर में आई हूं तो सबसे पहले मेरी मम्मी दिखनी चाहिए। स्कूल बैग किधर, मम्मी किधर है, उनको देखूं तब मुझे शांति होती थी। और अचानक से एक दिन मेरा 10वीं पास होकर कॉलेज ठीक शुरू हुआ ही था। एक या 1.5 महीने हुए थे और तभी उनका निधन हो गया। मैं कॉलेज में थी और तभी मुझे ये न्यूज मिली थी। उन्हें हार्ट अटैक आया था।'
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