मुंबई: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई पर पिछले महीने जूता उछालने की घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा था। इस घटना पर राजनीति भी खूब गरमाई थी। सोमवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया गवई ने कहा था कि आजकल सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है, इसकी जानकारी इस कोर्ट के जजों को है। उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक नकली वीडियो के बारे में यह टिप्पणी की, जिसमें उनके कोर्ट रूम में जूता फेंकने की कोशिश को गलत तरीके से दर्शाया गया है। सीजेआई की इस अहम टिप्पणी के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है।
पीठासीन जस्टिस की सहमति जरूरी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि सुनवाई का सीधा प्रसारण न्यायाधीश की मंजूरी के अधीन होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू किए जाने के महीनों बाद अब एक नोटिस जारी किया है। इसमें साफ कहा है कि सीधा प्रसारण पीठासीन न्यायाधीश की सहमति के अधीन होगा। सोमवार को जारी नोटिस में बताया गया कि अदालत का न्यायाधीश सीधा प्रसारण की गई रिकॉर्डिंग की प्रतियों तक पहुंच को मंजूरी देने के लिए अधिकृत नामित अधिकारी होता है।
सीजेआई की टिप्पणी के बाद निर्णय
बॉम्बे हाईकोर्ट के अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण और रिकॉर्डिंग नियमों के अनुसार, सभी कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण केवल ‘न्यायाधीशों की सहमति के अधीन’ ही किया जाएगा। हाईकोर्ट ने यह निर्णय भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने सोशल मीडिया पर प्रसारित छेड़छाड़ किए गए एक वीडियो पर चिंता जताई थी, जिसके बाद यह नोटिस जारी किया गया। छेड़छाड़ किये गये वीडियो में न्यायालय कक्ष में जूता फेंकने की घटना को गलत तरीके से दिखाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई है LIVE
इस साल जुलाई में न्यायिक पारदर्शिता और अदालती सुनवाई तक जनता की पहुंच बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट ने अपनी पांच पीठों का सीधा प्रसारण शुरू किया था। जहां कुछ पीठों ने सीधा प्रसारण से परहेज किया वहीं कुछ एकल पीठों ने अपनी कार्यवाही की सीधा प्रसारण शुरू कर दिया। उच्चतम न्यायालय, पिछले साल से अपनी सभी कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण कर रहा है। बॉम्बे हाईकोर्ट का नया कॉम्पलेक्स भी बन रहा है। देश के कई अन्य हाईकोर्ट का भी अपना यू-ट्यूब चैनल है। जहां पर सुनवाई की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग होती है। (एजेंसी इनपुट के साथ)
पीठासीन जस्टिस की सहमति जरूरी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि सुनवाई का सीधा प्रसारण न्यायाधीश की मंजूरी के अधीन होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू किए जाने के महीनों बाद अब एक नोटिस जारी किया है। इसमें साफ कहा है कि सीधा प्रसारण पीठासीन न्यायाधीश की सहमति के अधीन होगा। सोमवार को जारी नोटिस में बताया गया कि अदालत का न्यायाधीश सीधा प्रसारण की गई रिकॉर्डिंग की प्रतियों तक पहुंच को मंजूरी देने के लिए अधिकृत नामित अधिकारी होता है।
सीजेआई की टिप्पणी के बाद निर्णय
बॉम्बे हाईकोर्ट के अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण और रिकॉर्डिंग नियमों के अनुसार, सभी कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण केवल ‘न्यायाधीशों की सहमति के अधीन’ ही किया जाएगा। हाईकोर्ट ने यह निर्णय भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने सोशल मीडिया पर प्रसारित छेड़छाड़ किए गए एक वीडियो पर चिंता जताई थी, जिसके बाद यह नोटिस जारी किया गया। छेड़छाड़ किये गये वीडियो में न्यायालय कक्ष में जूता फेंकने की घटना को गलत तरीके से दिखाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई है LIVE
इस साल जुलाई में न्यायिक पारदर्शिता और अदालती सुनवाई तक जनता की पहुंच बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट ने अपनी पांच पीठों का सीधा प्रसारण शुरू किया था। जहां कुछ पीठों ने सीधा प्रसारण से परहेज किया वहीं कुछ एकल पीठों ने अपनी कार्यवाही की सीधा प्रसारण शुरू कर दिया। उच्चतम न्यायालय, पिछले साल से अपनी सभी कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण कर रहा है। बॉम्बे हाईकोर्ट का नया कॉम्पलेक्स भी बन रहा है। देश के कई अन्य हाईकोर्ट का भी अपना यू-ट्यूब चैनल है। जहां पर सुनवाई की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग होती है। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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