मुंबई: महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति और महाविकास आघाड़ी (MVA) का एकजुट रह पाना मुश्किल लग रहा है। एमवीए में अगर राज ठाकरे की एंट्री होती है तो कांग्रेस के बाहर जाने की अटकलें लग रही हैं क्योंकि कांग्रेस किसी भी कीमत पर राज ठाकरे की उत्तर भारतीयों के बीच निगेटिव इमेज से डैमेज नहीं उठाना चाहती है। इसी प्रकार से महायुति के लिए कई जिलों में दिक्कत है। रायगढ़ जिले में अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी और एक नाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना आमने-सामने है। इस विवाद की वजह है। रायगढ़ के पालक यानी संरक्षक मंत्री का पद। इसे दोनों पार्टियों नहीं छोड़ना चाहती हैं। ऐसी स्थिति में एनसीपी के अंदर   उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी से गठबंधन की चर्चा सामने आई है, राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि अजित पवार महायुति (ग्रैंड अलायंस) तोड़कर उद्धव ठाकरे के साथ आएं।   
   
   
बीजेपी के सामने मुश्किल स्थिति
रायगढ़ जिले में महायुति के टूटने के संकेत मिल रहे हैं। चुनावी कार्यक्रमों की घोषणा से पहले ही यहां अजीत की राकां ने विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) में शामिल शिवसेना यूबीटी के साथ गठबंधन के संकेत दे दिए हैं। रायगढ़ जिले में अजीत पवार की राकां, यूबीटी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर बहुत ही अप्रत्याशित होगा, क्योंकि अजित पवार राज्य सरकार में डिप्टी सीएम हैं। इसकी चर्चा पूरे महाराष्ट्र में होगी। बीजेपी ने मुंबई बीएमसी चुनाव साथ लड़ने और कुछ स्थानों पर अलग लड़ने का ऐलान किया है। महाराष्ट्र में अभी स्थानीय निकाय चुनावों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन रायगढ़ की राजनीति ने सियासी पारा चढ़ा दिया है।
   
     
सुनील तटकरे Vs भरत गोगावले
रायगढ़ में लंबे समय से अजित पवार के करीबी और इकलौते लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे और शिंदे की पार्टी के फायरब्रांड नेता भरत गोगावले के बीच जुबानी जंग जारी है। चर्चा है कि गोगावले समर्थक विधायक महेंद्र थोरवे भी कई बार सुनील तटकरे और एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अजीत पवार पर तीखा हमला बोलते रहे हैं। इसलिए अब अजीत गुट ने थोरवे को सबक सिखाने के लिए यूबीटी से हाथ मिलाने का निर्णय लिया है। दावा किया गया है कि रायगढ़ में दोनों दलों की एक बैठक में इसमें बैठक में सीटों के बंटवारे, उम्मीदवारों के चयन और साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति तय की गई। रायगढ़ लोकसभा सीट पर अजित पवार का कब्जा है, जबकि जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में दो शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और एक अजित पवार की एनसीपी और एक बीजेपी के पास है। रायगढ़ में नए राजनीतिक समीकरणों पर दोनों दलों ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है।
बीजेपी के सामने मुश्किल स्थिति
रायगढ़ जिले में महायुति के टूटने के संकेत मिल रहे हैं। चुनावी कार्यक्रमों की घोषणा से पहले ही यहां अजीत की राकां ने विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) में शामिल शिवसेना यूबीटी के साथ गठबंधन के संकेत दे दिए हैं। रायगढ़ जिले में अजीत पवार की राकां, यूबीटी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर बहुत ही अप्रत्याशित होगा, क्योंकि अजित पवार राज्य सरकार में डिप्टी सीएम हैं। इसकी चर्चा पूरे महाराष्ट्र में होगी। बीजेपी ने मुंबई बीएमसी चुनाव साथ लड़ने और कुछ स्थानों पर अलग लड़ने का ऐलान किया है। महाराष्ट्र में अभी स्थानीय निकाय चुनावों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन रायगढ़ की राजनीति ने सियासी पारा चढ़ा दिया है।
सुनील तटकरे Vs भरत गोगावले
रायगढ़ में लंबे समय से अजित पवार के करीबी और इकलौते लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे और शिंदे की पार्टी के फायरब्रांड नेता भरत गोगावले के बीच जुबानी जंग जारी है। चर्चा है कि गोगावले समर्थक विधायक महेंद्र थोरवे भी कई बार सुनील तटकरे और एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अजीत पवार पर तीखा हमला बोलते रहे हैं। इसलिए अब अजीत गुट ने थोरवे को सबक सिखाने के लिए यूबीटी से हाथ मिलाने का निर्णय लिया है। दावा किया गया है कि रायगढ़ में दोनों दलों की एक बैठक में इसमें बैठक में सीटों के बंटवारे, उम्मीदवारों के चयन और साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति तय की गई। रायगढ़ लोकसभा सीट पर अजित पवार का कब्जा है, जबकि जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में दो शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और एक अजित पवार की एनसीपी और एक बीजेपी के पास है। रायगढ़ में नए राजनीतिक समीकरणों पर दोनों दलों ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है।
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