जयपुर: जयपुर शहर के अलग-अलग मार्गों पर बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत बनाए गए कॉरिडोर को अब हटाना शुरू कर दिया है। इसे सिस्टम को बीआरटीएस कॉरिडोर कहा जाता है। हालांकि यह बीआरटीएस शहर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने लिए बनाया गया था। प्लानिंग यह थी कि भविष्य में जब जयपुर शहर में वाहनों का दबाव बढ़ेगा। तब बीआरटीएस कॉरिडोर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों का आवागमन होगा। ऐसा होने से यातायात सुगम हो जाएगा। अधिकारियों ने आगामी 10-20 वर्षों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बीआरटीएस की प्लानिंग की थी लेकिन यह प्लानिंग फेल साबित हुई। वर्ष 2008 में बनाए गए बीआरटीएस को अब हटाया जा रहा है। पहले बनाने में करोड़ों रुपये खर्च हुए थे और अब हटाने में करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। 269 करोड़ में बना, अब 40 करोड़ रुपये हटाने में लगेंगेजयपुर शहर के अजमेर रोड, सीकर और न्यू सांगानेर रोड पर बीआरटीएस कॉरिडोर बनाए जाने का काम वर्ष 2008 में शुरू किया गया था। इसे बनाने में करीब दो से तीन साल का समय लगा। तीनों मुख्य मार्गों पर बनाए गए बीआरटीएस की कुल लागत 269 करोड़ रुपये थी। यानी 269 करोड़ रुपये खर्च करके राज्य सरकार ने बीआरटीएस का निर्माण पूरा किया था। जब ये प्लानिंग बेकार साबित हुई तो इसे हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। तीनों मार्गों से बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने में राज्य सरकार को करीब 40 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। यानी अफसरों की खराब प्लानिंग के कारण कुल 309 करोड़ रुपये बर्बाद हो गए। डिप्टी सीएम ने बजट भाषण में की थी घोषणापिछले दिनों वित्त मंत्री के रूप में डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने जयपुर शहर में बने बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की घोषणा की थी। इससे करीब दो महीने पहले जेडीए की बैठक में भी इसे हटाने का फैसला लिया गया था। जेडीए के अफसरों ने भी सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट में बताया गया कि यह बीआरटीएस अनुपयोगी है। शहरी यातायात व्यवस्था के सुधार में इसका कोई योगदान नहीं रहा। बीआरटीएस की वजह से यातायात अवरुद्ध हो रहा है। सड़कों की चौड़ाई कम हो गई है। तमाम कारणों को देखते हुए जेडीए ने अपनी रिपोर्ट भेजी थी। इस पर मंथन के बाद सरकार ने इसे हटाने का निर्णय लिया। शनिवार 19 अप्रैल से बीआरटीएस को हटाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया। सेफ्टी ऑडिट में फेल हुआ था यह सिस्टम2016 में जयपुर विकास प्राधिकरण ने न्यू सांगानेर रोड स्थित बीआरटीएस कॉरिडोर की सेफ्टी ऑडिट कराई थी। इसमें 11 चौराहों पर बड़ी खामियां मिली थी। वर्ष 2017 में भी बीआरटीएस कॉरिडोर की जांच कराई गई। कुल 43 तय मानकों में से 39 मानकों पर बीआरटीएस कॉरिडोर फेल साबित हुआ था। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान की टीम ने भी जयपुर के बीआरटीएस कॉरिडोर का निरीक्षण किया। इस टीम ने पाया कि बीआरटीएस का उपयोग ही नहीं हो रहा है। इसमें बसें नहीं चल रही है और 70 फीसदी लोगों ने इसे हटाने की सहमति दी। अब यह कॉरिडोर हटेगा तब सड़कें काफी चौड़ी हो सकेगी और यातायात पहले से ज्यादा सुगम हो जाएगा।
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