सुशांत सिंह राजपूत की मौत को पांच साल बीत चुके हैं। लेकिन उनकी डेथ मिस्ट्री को सुलझाने में जुटी CBI की जांच ने रिया चक्रवर्ती की लाइफ पूरी तरह से बदल दी। उन्होंने न सिर्फ लोगों के ताने सुने। बल्कि जेल में भी सजा काटी। उन्होंने अब खुलासा किया कि जब सबकुछ बिखर गया था तो हनुमान चालीसा ने उन्हें शक्ति और शांति दी थी।
एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती की लाइफ जून, 2020 से एकदम बदल गई थी। वह रोज खबरों की हेडलाइन बनी रहती थीं उनके नाम से कई तरह के चौंकाने वाले दावे किए जाते थे। हालांकि अब उन्हें CBI ने क्लीनचिट दे दी है। जिससे उन्होंने राहत की सांस ली है।
रिया चक्रवर्ती पढ़ती हैं हनुमान चालीसा
एक्ट्रेस ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' से बातचीत में बताया कि जब वह सुशांत की मौत मामले में मानसिक और भावनात्मक रूप से बुरी तरह टूट गई थीं तो उन्हें सिर्फ एक चीज ने आगे बढ़ने में मदद की थी, और वह हनुमान चालीसा थी। उन्होंने बताया, 'मैंने इसे 2020 में पढ़ना शुरू किया था और अब मैं हर दिन कम से कम एक या दो बार हनुमान चालीसा का कम से कम सात बार पाठ करती हूं। और ये एक तरह का मेडिटेशन है।'
रिया चक्रवर्ती आभारी हैं
रिया ने बताया कि उनके मुश्किल समय में ये भरोसा ही उनकी लाइफलाइन बना था। उनके मुताबिक, 'मैं सुबह उठती थी और पास को सोने से पहले कहती थी कि मैं किस बात के लिए आभारी हूं। कभी-कभी तो ये भी एहसास नहीं होता था कि आभारी होने लायक कुछ है भी या नहीं। लेकिन मैं ऐसी होती थी कि जैसे मैं चल रही हूं, मेरे हाथ-पैर काम कर रहे हैं, मेरी आंखें काम कर रही हैं, तो इसके लिए शुकिया।'
एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती की लाइफ जून, 2020 से एकदम बदल गई थी। वह रोज खबरों की हेडलाइन बनी रहती थीं उनके नाम से कई तरह के चौंकाने वाले दावे किए जाते थे। हालांकि अब उन्हें CBI ने क्लीनचिट दे दी है। जिससे उन्होंने राहत की सांस ली है।
रिया चक्रवर्ती पढ़ती हैं हनुमान चालीसा
एक्ट्रेस ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' से बातचीत में बताया कि जब वह सुशांत की मौत मामले में मानसिक और भावनात्मक रूप से बुरी तरह टूट गई थीं तो उन्हें सिर्फ एक चीज ने आगे बढ़ने में मदद की थी, और वह हनुमान चालीसा थी। उन्होंने बताया, 'मैंने इसे 2020 में पढ़ना शुरू किया था और अब मैं हर दिन कम से कम एक या दो बार हनुमान चालीसा का कम से कम सात बार पाठ करती हूं। और ये एक तरह का मेडिटेशन है।'
रिया चक्रवर्ती आभारी हैं
रिया ने बताया कि उनके मुश्किल समय में ये भरोसा ही उनकी लाइफलाइन बना था। उनके मुताबिक, 'मैं सुबह उठती थी और पास को सोने से पहले कहती थी कि मैं किस बात के लिए आभारी हूं। कभी-कभी तो ये भी एहसास नहीं होता था कि आभारी होने लायक कुछ है भी या नहीं। लेकिन मैं ऐसी होती थी कि जैसे मैं चल रही हूं, मेरे हाथ-पैर काम कर रहे हैं, मेरी आंखें काम कर रही हैं, तो इसके लिए शुकिया।'
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