पटना: बिहार की राजधानी पटना से सटे नौबतपुर नगर पंचायत में निगरानी विभाग ने जांच के बाद बड़ा खुलासा किया है। इस मामले में निगरानी विभाग ने एक केस भी दर्ज किया है। मामला करोड़ों के घोटाले से जुड़ा है। बड़ी बात ये है कि जिन 7 लोगों पर FIR दर्ज की गई है, उनमें मुख्य आरोपी नौबतपुर नगर पंचायत के पूर्व और तत्कालीन अध्यक्ष कौशल कौशिक ही हैं। ये वही कौशल कौशिक हैं, जिनके ऊपर 6 साल पहले और घोटालों का भी आरोप लगा था, मुकदमे तक दर्ज हुए थे और पुलिस ने उन्हें पटना शहर से दबोच कर जेल तक भेज दिया था। क्या है नया मामला, जानिएअब इस नए मामले में निगरानी विभाग ने कौशल कौशिक के ऊपर 8 मई 2025 को FIR नंबर 25/2025 दर्ज किया है। इसकी कॉपी भी NBT बिहार के पास है। इस FIR में साफ-साफ लिखा गया है कि अलग-अलग मामलों में कौशल कौशिक और 7 लोगों ने मिलकर आवास तो आवास, गरीबों के शौचालय तक में धांधली की। इस घोटाले के सामने आने के बाद एक बार फिर से नौबतपुर नगर पंचायत में आने वाले सभी गांवों में चर्चा शुरू हो गई है। FIR में क्या लिखा है, जानिए 13 पेज की इस FIR में निगरानी विभाग ने नौबतपुर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष कौशल कौशिक को बड़े घोटाले का दोषी पाया है। इसमें एक दो नहीं बल्कि पूरे 10 आरोप और उनकी पुष्टि तक हैं। इसमें नौबतपुर नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष कौशल कौशिक सहित सात लोगों पर सरकारी रुपयों की बंदरबांट का आरोप है। आपको हम सिलसिलेवार बताते हैं कि आरोपों के अनुसार किस योजना में कितना घोटाला किया गया। आरोप नंबर 1IHSDP एक स्लम आधारित और स्लम के विकास की योजना है। हास्यास्पद स्थिति ये है कि नौबतपुर नगर पंचायत में कोई स्लम एरिया है ही नहीं। गलत सूचना के आधार पर नौबतपुर में स्लम क्षेत्र दिखा कर भारत सरकार से IHSDP के जरिए 49 करोड़ का प्रोजेक्ट अप्रूव करा पैसों की लूट-खसोट की गई। इन पैसों से आवास से लेकर सामुदायिक भवन और शौचालय तक बनाने का काम था। इस आरोप की जांच करने पर निगरानी विभाग ने पाया कि इस मामले में तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष कौशल कौशिक, तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी अनिता भारती दोषी प्रतीत होते हैं। आरोप नंबर 2इसी योजना यानी IHSDP का DPR बनाने के लिए बिना टेंडर आमंत्रित किए और बगैर पारदर्शिता के सरयू बाबू इंजीनियर्स फॉर रिसोर्स डेवलपमेंट, पटना को काम दे दिया गया। इस एजेंसी को भी नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष कौशल कौशिक ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए 94.83 लाख रुपये का भुगतान कराया। जांच में पाया गया कि इस घपले में भी कौशल कौशिक और अनिता भारती दोषी पाए गए। आरोप नंबर 3इसी योजना में नगर पंचायत नौबतपुर ने टेक्निकल सपोर्ट प्रदान करने के लिए बिहार विज्ञापन नीति 2008 और बिहार वित्त नियमावली 2005 का उल्लंघन करते हुए बिना टेंडर के फिर से उसी कंपनी सरयू बाबू इंजीनियर्स फॉर रिसोर्स डेवलपमेंट, पटना पर मेहरबानी कर दी गई। इस बार इस एजेंसी को करोड़ों रुपयों की राशि का भुगतान किया गया। जांच में पाया गया कि इस काम के लिए एजेंसी को 1,28,61,000 रुपयों का भुगतान किया गया। इसमें भी निगरानी विभाग ने कौशल कौशिक और अनिता भारती को दोषी पाया है। आरोप नंबर 4इसी योजना में सामुदायिक भागीदारी तय करने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर महिलाओं की नेबरहुड NB और सामुहिक विकास समिति का गठन NGO के माध्यम से किया जाना था, लेकिन इसमें भी नियमों को ताक पर रख दिया गया। इसमें एक नए NGO की एंट्री हुई, जिसका नाम महात्मा फुले वेलफेयर सोसायटी, नेऊरा है। आप चौंक जाएंगे कि इस NGO का मालिक नौबतपुर नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष कौशल कौशिक का करीबी था। जहां 500 रुपये प्रति समूह भुगतान करना था, वहां इसक बदले 800 रुपये यानी 300 रुपये बढ़ाकर भुगतान किया गया। इसकी निगरानी जांच में कौशल कौशिक (तत्कालीन अध्यक्ष), अनिता भारती (तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी), मीतू कुमारी (उपाध्यक्ष) सुरेंद्र प्रसाद (सदस्य), राजकुमार पासवान (सदस्य) को भी दोषी पाया गया है। नौबतपुर नगर पंचायत आज तक झेल रहा दंश इसी तरह से अगले 6 यानि कुल 10 आरोपों में करीब 3 करोड़ रुपयों से ज्यादा के घोटालों की पुष्टि हुई है। नौबतपुर जैसे छोटे से नगर पंचायत के लिए करोड़ों की ये रकम मायने रखती है। वर्तमान नगर पंचायत की बात करें तो इन घोटालों के चलते कौशल कौशिक के बाद चुने गए अध्यक्षों को विकास कार्योें के लिए पैसे निकालने में नाकों चने चबाने पड़े। जनता की नाराजगी झेलनी पड़ी सो अलग। चर्चा तो ये भी है कि दोषी वर्तमान पंचायत अध्यक्ष के चलते नए अध्यक्ष के हाथ अपने आप बंध गए। सूत्रों ने बताया कि विकास के इरादे के बावजूद पिछले अध्यक्ष के कारनामों ने पूरे नगर पंचायत में विकास के काम को ऐसा घाव दिया, जो अब तक बरकरार है।
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