नई दिल्ली : लाल किला धमाके के तार पाकिस्तान से जुड़ते नजर आ रहे हैं। इसे आतंकी हमला साबित होने में बस कुछ ही फासला रह गया है। जांच एजेंसियां सारे तार जोड़ रही हैं, जिसका एक सिरा पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद तक जाता दिख रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर आतंकी हमले की पुष्टि हो जाती है, तो क्या भारत ऑपरेशन सिंदूर 2.0 के साथ करारा जवाब देगा? इन सबके बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'दोषियों को नहीं बख्शेंगे' वाला बयान भी मायने रखता है, जो उन्होंने भूटान की धरती से अंग्रेजी में दिया था। कुछ ऐसा ही अंग्रेजी में बयान पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले दिया था। आसान लहजे में इस मैसेज को भी समझेंगे।
भारत-पाकिस्तान क्या एक और युद्ध की ओर बढ़ रहे
यूरेशियन टाइम्स पर छपे एक लेख के अनुसार, दोनों देशों के बीच अगले दौर की दुश्मनी के अशुभ संकेत सबके सामने हैं। वास्तव में, इस साल मई से अब तक हुए सैन्य घटनाक्रमों का सरसरी तौर पर जिक्र करने से ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि दोनों देश युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, चाहे वह बार-बार होने वाले सैन्य अभ्यास हों, बार-बार होने वाले हथियारों के परीक्षण हों, बार-बार NOTAM की घोषणाएं हों, या सेना और नागरिक नेतृत्व, दोनों की ओर से आने वाले बयान हों।
पीएम मोदी के अंग्रेजी में भाषण देने के मायने
भूटान की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली बम धमाके को लेकर सख्त अल्टीमेटम देते हुए कहा-भारतीय जांच एजेंसियां इस साजिश की तह तक जाएंगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वह हिंदी में बोल रहे थे, मगर अचानक उन्होंने अंग्रेजी में जोर देकर कहा कि 'All Those Responsible Will Be Brought To Justice'। इसी साल पहलगाम हमले के बाद भी पीएम मोदी ने बिहार के मधुबनी मं कहा था कि भारत आतंकवादी और उसके समर्थकों को ढूंढेगा, पकगेड़ा और सजा देगा। इस दौरान भी उन्होंने भाषण देते हुए अचानक हिंदी से अंग्रेजी में कुछ लाइनें बोली थीं। उस वक्त भी उन्होंने कहा था-Today from the soil of Bihar, I say to the whole world, India will identify, track, and punish every terrorist and their backers. We will pursue them to the ends of the earth...। यानी भारत हर आतंकी और उनके आकाओं की पहचान करेगा, उन्हें खोजेगा और उन्हें सजा देगा. हम उन्हें धरती के किसी भी कोने तक खदेड़ेंगे.' इसके बाद ही ऑपरेशन सिंदूर हुआ था। मोदी के अंग्रेजी में दिए गए बयान को माना जाता है कि यह उनका पूरी दुनिया को साफ और सख्त संदेश देने का अंदाज है।
बड़ा सवाल: पहली गोली कौन चलाएगा
लेख के अनुसार, भारत-पाकिस्तान युद्ध के अगले दौर की तैयारियां 10 मई को अचानक युद्धविराम की घोषणा के बाद से ही ज़ोर-शोर से चल रही थीं। चार दिनों तक चले सैन्य टकराव के बाद, जिसमें 1971 के बाद से दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा हवाई युद्ध हुआ था, और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर मिसाइलें और ड्रोन दागे थे। ऐसे में लाल किले के पास हुआ विस्फोट इस तनाव को और बढ़ा सकता है। दोनों परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच युद्ध की रेखाएं पहले ही खींच दी गई हैं। अब असली सवाल यह है कि पहली गोली कौन चलाएगा?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत ने किए 20 युद्धाभ्यास
भारत ने युद्धविराम की घोषणा के बाद से 6 महीनों में करीब 20 युद्धभ्यासों में हिस्सा लिया है। यह औसतन प्रति माह 3 से अधिक या हर 10 दिन में 1। इनमें से कई बहुपक्षीय या द्विपक्षीय युद्धाभ्यास महीनों पहले से तय थे। हालांकि, कई युद्धाभ्यास ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदली हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध किए गए थे। पहला युद्ध अभ्यास 10 मई के युद्धविराम के ठीक एक पखवाड़े बाद शुरू हुआ था। 26 मई को, भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडो और अमेरिकी विशेष अभियान बलों ने चंडीगढ़ एयर बेस पर टाइगर क्लॉ अभ्यास (26 मई - 10 जून, 2025) में भाग लिया। इसके बाद से अमेरिका, फ्रांस और श्रीलंका जैसे देशों के साथ भी ड्रिल की गई।
भारत ने किए कई घरेलू युद्धाभ्यास
इस बीच, भारत ने पाकिस्तान के साथ अगले संभावित युद्ध के लिए अपने सशस्त्र बलों को तैयार करने हेतु कई घरेलू युद्ध अभ्यास भी किए। अगस्त में, भारत ने अरुणाचल प्रदेश में घरेलू भारतीय सेना अभ्यास, युद्ध कौशल 3.0 का आयोजन किया, जिसमें युद्धाभ्यास के लिए एआई-संचालित ड्रोन और एआर/वीआर जैसी अगली पीढ़ी की तकनीक को एकीकृत किया गया, जिसमें पूर्वी कमान के 5,000 सैनिक शामिल थे। इसके बाद भारतीय नौसेना द्वारा थल सेना और वायु सेना के साथ मिलकर त्रि-सेवा अभ्यास (टीएसई-2025) त्रिशूल का आयोजन किया गया, जिसमें राजस्थान के थार रेगिस्तान, गुजरात के कच्छ की खाड़ियों और उत्तरी अरब सागर में हजारों सैनिकों को तैनात किया गया। अब पूर्वोत्तर में वायुसेना का 8 दिनों तक अभ्यास चलेगा।
अग्नि-5 और ब्रह्मोस, राफेल का प्रदर्शन
इन सभी अभ्यासों के बारे में एक बड़ा पहलू यह है कि इसमें उन हथियार प्रणालियों का उपयोग किया गया है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में अच्छा प्रदर्शन किया था। जैसे राफेल, SU-30MKI लड़ाकू जेट, ब्रह्मोस मिसाइल, हेरोन यूएवी समेत तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और बहु-डोमेन हाइब्रिड युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया गया। वहीं, ओडिशा के व्हीलर द्वीप से परमाणु क्षमता संपन्न और 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-5 एकीकृत मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) का टेस्ट भी किया गया।
भारत-पाकिस्तान क्या एक और युद्ध की ओर बढ़ रहे
यूरेशियन टाइम्स पर छपे एक लेख के अनुसार, दोनों देशों के बीच अगले दौर की दुश्मनी के अशुभ संकेत सबके सामने हैं। वास्तव में, इस साल मई से अब तक हुए सैन्य घटनाक्रमों का सरसरी तौर पर जिक्र करने से ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि दोनों देश युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, चाहे वह बार-बार होने वाले सैन्य अभ्यास हों, बार-बार होने वाले हथियारों के परीक्षण हों, बार-बार NOTAM की घोषणाएं हों, या सेना और नागरिक नेतृत्व, दोनों की ओर से आने वाले बयान हों।
Complex scenarios and synchronised multi-domain operations involving 20-25 surface and subsurface assets including amphibious platforms of the Indian Navy, more than 40 aircraft with associated ground based assets of Indian Air Force, over 30,000 personnel and equipment of the… pic.twitter.com/ckCBtM8zvw
— ANI (@ANI) November 10, 2025
पीएम मोदी के अंग्रेजी में भाषण देने के मायने
भूटान की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली बम धमाके को लेकर सख्त अल्टीमेटम देते हुए कहा-भारतीय जांच एजेंसियां इस साजिश की तह तक जाएंगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वह हिंदी में बोल रहे थे, मगर अचानक उन्होंने अंग्रेजी में जोर देकर कहा कि 'All Those Responsible Will Be Brought To Justice'। इसी साल पहलगाम हमले के बाद भी पीएम मोदी ने बिहार के मधुबनी मं कहा था कि भारत आतंकवादी और उसके समर्थकों को ढूंढेगा, पकगेड़ा और सजा देगा। इस दौरान भी उन्होंने भाषण देते हुए अचानक हिंदी से अंग्रेजी में कुछ लाइनें बोली थीं। उस वक्त भी उन्होंने कहा था-Today from the soil of Bihar, I say to the whole world, India will identify, track, and punish every terrorist and their backers. We will pursue them to the ends of the earth...। यानी भारत हर आतंकी और उनके आकाओं की पहचान करेगा, उन्हें खोजेगा और उन्हें सजा देगा. हम उन्हें धरती के किसी भी कोने तक खदेड़ेंगे.' इसके बाद ही ऑपरेशन सिंदूर हुआ था। मोदी के अंग्रेजी में दिए गए बयान को माना जाता है कि यह उनका पूरी दुनिया को साफ और सख्त संदेश देने का अंदाज है।
बड़ा सवाल: पहली गोली कौन चलाएगा
लेख के अनुसार, भारत-पाकिस्तान युद्ध के अगले दौर की तैयारियां 10 मई को अचानक युद्धविराम की घोषणा के बाद से ही ज़ोर-शोर से चल रही थीं। चार दिनों तक चले सैन्य टकराव के बाद, जिसमें 1971 के बाद से दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा हवाई युद्ध हुआ था, और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर मिसाइलें और ड्रोन दागे थे। ऐसे में लाल किले के पास हुआ विस्फोट इस तनाव को और बढ़ा सकता है। दोनों परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच युद्ध की रेखाएं पहले ही खींच दी गई हैं। अब असली सवाल यह है कि पहली गोली कौन चलाएगा?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत ने किए 20 युद्धाभ्यास
भारत ने युद्धविराम की घोषणा के बाद से 6 महीनों में करीब 20 युद्धभ्यासों में हिस्सा लिया है। यह औसतन प्रति माह 3 से अधिक या हर 10 दिन में 1। इनमें से कई बहुपक्षीय या द्विपक्षीय युद्धाभ्यास महीनों पहले से तय थे। हालांकि, कई युद्धाभ्यास ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदली हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध किए गए थे। पहला युद्ध अभ्यास 10 मई के युद्धविराम के ठीक एक पखवाड़े बाद शुरू हुआ था। 26 मई को, भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडो और अमेरिकी विशेष अभियान बलों ने चंडीगढ़ एयर बेस पर टाइगर क्लॉ अभ्यास (26 मई - 10 जून, 2025) में भाग लिया। इसके बाद से अमेरिका, फ्रांस और श्रीलंका जैसे देशों के साथ भी ड्रिल की गई।
Indian Army Drone Warfare Ready 🇮🇳
— News IADN (@NewsIADN) November 4, 2025
Today the Army Chief visited Ambala to review Strike Corps capabilities including swarm drones, kamikaze drones, anti-drone systems and other UAS related modern-warfare drills. pic.twitter.com/0ELTChvJB1
भारत ने किए कई घरेलू युद्धाभ्यास
इस बीच, भारत ने पाकिस्तान के साथ अगले संभावित युद्ध के लिए अपने सशस्त्र बलों को तैयार करने हेतु कई घरेलू युद्ध अभ्यास भी किए। अगस्त में, भारत ने अरुणाचल प्रदेश में घरेलू भारतीय सेना अभ्यास, युद्ध कौशल 3.0 का आयोजन किया, जिसमें युद्धाभ्यास के लिए एआई-संचालित ड्रोन और एआर/वीआर जैसी अगली पीढ़ी की तकनीक को एकीकृत किया गया, जिसमें पूर्वी कमान के 5,000 सैनिक शामिल थे। इसके बाद भारतीय नौसेना द्वारा थल सेना और वायु सेना के साथ मिलकर त्रि-सेवा अभ्यास (टीएसई-2025) त्रिशूल का आयोजन किया गया, जिसमें राजस्थान के थार रेगिस्तान, गुजरात के कच्छ की खाड़ियों और उत्तरी अरब सागर में हजारों सैनिकों को तैनात किया गया। अब पूर्वोत्तर में वायुसेना का 8 दिनों तक अभ्यास चलेगा।
अग्नि-5 और ब्रह्मोस, राफेल का प्रदर्शन
इन सभी अभ्यासों के बारे में एक बड़ा पहलू यह है कि इसमें उन हथियार प्रणालियों का उपयोग किया गया है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में अच्छा प्रदर्शन किया था। जैसे राफेल, SU-30MKI लड़ाकू जेट, ब्रह्मोस मिसाइल, हेरोन यूएवी समेत तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और बहु-डोमेन हाइब्रिड युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया गया। वहीं, ओडिशा के व्हीलर द्वीप से परमाणु क्षमता संपन्न और 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-5 एकीकृत मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) का टेस्ट भी किया गया।
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