नई दिल्ली: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई और सूक्ष्म प्रदूषक कणों (पीएम 2.5) का स्तर पिछले पांच वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। दिवाली के बाद के 24 घंटों में पीएम 2.5 की औसत सांद्रता 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई, जो त्योहार से पहले के स्तर 156.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तीन गुना से भी ज्यादा है।
साल 2021 से 2025 की अवधि के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि दिवाली की रात और अगली सुबह के दौरान पीएम 2.5 का मान लगातार बढ़ता रहा, और दिवाली के बाद 2025 में 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का स्तर 2021 के बाद से सबसे प्रदूषण वाला रहा।
2023 में 319.7 पहुंच गया था पीएम
आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्षों में, औसत पीएम 2.5 का स्तर 2021 में 163.1 से बढ़कर 454.5, 2022 में 129.3 से बढ़कर 168, 2023 में 92.9 से बढ़कर 319.7 और 2024 में 204 से बढ़कर 220 हो गया।
शोध और सलाहकार समूह ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ द्वारा किए गए अध्ययन में इस वृद्धि के लिए मुख्य रूप से पटाखों से होने वाले स्थानीय उत्सर्जन, एक मीटर प्रति सेकंड से कम की स्थिर हवाओं और तापमान में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया गया है।
पटाखों के उत्सर्जन के कारण खराब हुई हवा
दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में प्रोफेसर एस के ढाका ने बताया कि पीएम 2.5 की उच्च सांद्रता दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय पटाखों के उत्सर्जन के कारण है। हवा की गति बेहद कम थी, जिससे फैलाव की कोई गुंजाइश नहीं थी।
उन्होंने कहा कि ‘तथाकथित’ हरित पटाखों ने भी कण निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनकी गुणवत्ता और संरचना की जांच करने की आवश्यकता है।
‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ की संस्थापक और निदेशक आरती खोसला ने कहा, ‘‘ यह निराशाजनक है कि वर्षों तक पटाखे फोड़ने के हानिकारक प्रभावों को देखने के बाद भी, हम वही गलती दोहराते हैं।’’ ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ की शोध प्रमुख पलक बाल्यान ने कहा कि इस साल की दिवाली हाल के वर्षों में सबसे प्रदूषित दिवाली रही।
साल 2021 से 2025 की अवधि के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि दिवाली की रात और अगली सुबह के दौरान पीएम 2.5 का मान लगातार बढ़ता रहा, और दिवाली के बाद 2025 में 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का स्तर 2021 के बाद से सबसे प्रदूषण वाला रहा।
2023 में 319.7 पहुंच गया था पीएम
आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्षों में, औसत पीएम 2.5 का स्तर 2021 में 163.1 से बढ़कर 454.5, 2022 में 129.3 से बढ़कर 168, 2023 में 92.9 से बढ़कर 319.7 और 2024 में 204 से बढ़कर 220 हो गया।
शोध और सलाहकार समूह ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ द्वारा किए गए अध्ययन में इस वृद्धि के लिए मुख्य रूप से पटाखों से होने वाले स्थानीय उत्सर्जन, एक मीटर प्रति सेकंड से कम की स्थिर हवाओं और तापमान में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया गया है।
पटाखों के उत्सर्जन के कारण खराब हुई हवा
दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में प्रोफेसर एस के ढाका ने बताया कि पीएम 2.5 की उच्च सांद्रता दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय पटाखों के उत्सर्जन के कारण है। हवा की गति बेहद कम थी, जिससे फैलाव की कोई गुंजाइश नहीं थी।
उन्होंने कहा कि ‘तथाकथित’ हरित पटाखों ने भी कण निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनकी गुणवत्ता और संरचना की जांच करने की आवश्यकता है।
‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ की संस्थापक और निदेशक आरती खोसला ने कहा, ‘‘ यह निराशाजनक है कि वर्षों तक पटाखे फोड़ने के हानिकारक प्रभावों को देखने के बाद भी, हम वही गलती दोहराते हैं।’’ ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ की शोध प्रमुख पलक बाल्यान ने कहा कि इस साल की दिवाली हाल के वर्षों में सबसे प्रदूषित दिवाली रही।
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