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Flight Ticket Cancellation: कैंसिलेशन चार्ज खत्म, 21 दिन में रिफंड की गारंटी... ये नियम तो फ्लाइट टिकट बुकिंग का सीन ही चेंज कर देंगे

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नई दिल्ली: भारत के विमानन नियामक डीजीसीए ने हवाई टिकटों के रिफंड नियमों में बड़े बदलावों का प्रस्ताव दिया है। इनका मकसद यात्रियों के लिए प्रक्रिया को आसान, पारदर्शी और तेज बनाना है। यह कदम हवाई यात्रियों के अधिकारों को मजबूत करने और एयरलाइंस की जवाबदेही बढ़ाने के बड़े प्रयास का हिस्सा है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन यानी डीजीसीए के ये नियम फ्लाइट टिकट बुकिंग , कैंस‍िलेशन और र‍िफंड का सीन चेंज करने का दम रखते हैं।

ये नए नियम सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (सीएआर) कहे जाएंगे। इनके जरिये रिफंड प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और यात्रियों का भरोसा फिर से कायम होगा। यात्री अक्सर रिफंड में देरी, छिपी हुई फीस और अस्पष्ट कैंसिलेशन नीतियों से परेशान रहते हैं।

48 घंटे में ट‍िकट कैंस‍िलेशन पर कोई चार्ज नहींइस नए नियम के तीन मुख्य फायदे हैं। पहला, यात्रियों को टिकट बुक करने के 48 घंटे के अंदर बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के टिकट कैंसिलेशन या बदलने की सुविधा मिल सकती है। यह एक 'लुक-इन' पीरियड की तरह होगा। हालांकि, अगर यात्री किसी दूसरी फ्लाइट में जाते हैं जिसका किराया ज्यादा है तो उन्हें अतिरिक्त किराया देना होगा। यह सुविधा घरेलू उड़ानों के लिए तब लागू नहीं होगी जब बुकिंग उड़ान से पांच दिन पहले की गई हो। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए यह नियम तब लागू नहीं होगा जब बुकिंग उड़ान से 15 दिन पहले की गई हो। 48 घंटे के बाद एयरलाइन की अपनी कैंसिलेशन पॉलिसी के अनुसार चार्ज लगेगा।

21 द‍िन में र‍िफंड की गारंटी
दूसरा, रिफंड अब जल्दी मिलेगा और कोई छिपी हुई कटौती नहीं होगी। डीजीसीए के ड्राफ्ट नियमों के अनुसार, रिफंड 21 वर्किंग डेज (कामकाजी दिनों) के अंदर पूरा करना होगा। इससे यात्रियों को होने वाली देरी खत्म हो जाएगी। इसके अलावा, अगर यात्री देर से कैंसल करते हैं या 'नो-शो' (बिना बताए फ्लाइट मिस करने वाले) माने जाते हैं तब भी एयरलाइंस को वैधानिक टैक्स (सरकारी कर) और एयरपोर्ट फीस वापस करनी होगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डीजीसीए ने साफ किया है कि एयरलाइंस बुकिंग के 24 घंटे के अंदर अपनी वेबसाइट पर बताए गए छोटे नाम सुधारों के लिए कोई चार्ज नहीं ले सकतीं।

एयरलाइंस की ज्‍यादा ज‍िम्‍मेदारी
तीसरा, एजेंटों और मेडिकल कैंसिलेशन के लिए नियम अधिक निष्पक्ष होंगे। अगर टिकट ट्रैवल एजेंट के जरिए बुक किया गया है तो रिफंड की जिम्मेदारी सीधे एयरलाइंस की होगी। इससे जवाबदेही तय होगी और मामले जल्दी सुलझेंगे। मेडिकल इमरजेंसी के कारण कैंसिलेशन होने पर एयरलाइंस केवल तभी क्रेडिट शेल (भविष्य की यात्रा के लिए वाउचर) दे सकती हैं जब यात्री इसके लिए सहमत हो। इसे यात्रियों पर जबरन नहीं थोपा जा सकता।

यह नया नियम यात्रियों को अधिक अधिकार देगा और एयरलाइंस को अधिक जवाबदेह बनाएगा। इससे हवाई यात्रा का अनुभव बेहतर होने की उम्मीद है।
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