नई दिल्लीः देश भर में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो चोरी की लग्जरी गाड़ियों को नई पहचान देकर ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म से लेकर रिटेल स्टोर तक में बेच रहा है। ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म पर पुरानी गाड़ियों की खरीद-फरोख्त करने वाली एक नामी कंपनी ने यह खुलासा किया है। दावा है कि यह गिरोह ऑर्गनाइज्ड तरीके से इस पूरे काले धंधे को अंजाम दे रहा है। इसलिए चोरी की गाड़ी की पहचान करना काफी मुश्किल होता है। इसी गैंग की तरफ से पांच लग्जरी गाड़ियां उसे बेची गई, जो उसके पास मौजूद है। क्राइम ब्रांच ने सोमवार को मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
इसके पीछे एक संगठित गिरोह कर रहा कामशुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि इसके पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा है। पहली लेयर गाड़ी चोरों की है, जो दिल्ली-एनसीआर और आसपास के राज्यों से फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो समेत अन्य लग्जरी गाड़ियां उठाते हैं। दूसरी लेयर चोरी की गई गाड़ी से मिलती-जुलती मेक, मॉडल और रंग वाले वीकल की डिटेल हासिल करते हैं। गैंग की तीसरी लेयर इसके चेसिस और इंजन नंबर को चोरी की गाड़ी में गुदवाते हैं। असली वाली गाड़ी का नंबर प्लेट भी लगा देते हैं। चौथी लेयर क्लोन गाड़ी तैयार करने के बाद फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), आधार कार्ड, पैन कार्ड समेत अन्य मालिकाना दस्तावेज तैयार करते हैं।
अलग-अलग फोन नंबर का करते हैं इस्तेमालअब गिरोह की पांचवीं लेयर गाड़ी को बेचने का काम करती है। गैंग के के मेंबर गाड़ी के इंस्पेक्शन और उसके बाद के कम्युनिकेशंस के दौरान अलग-अलग फोन नंबर का इस्तेमाल करते हैं। गाड़ी बेचने के बाद ये उन नंबरों को डि-एक्टिवेट या बंद कर देते हैं। आशंका है कि सिम खरीदने में भी यह गिरोह फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करता है। यह जालसाजी इतनी सफाई से की जाती है कि एम-परिवहन जैसे सरकारी पोर्टल्स और अन्य ऑफिशल डेटाबेस में चेक करने पर वो बिल्कुल असली जैसे दिखते हैं। कंपनी ने क्लोन की गई चोरी की ऐसी ही पांच गाड़ियां पकड़ ली, जिनमें तीन फॉर्च्यूनर और दो स्कॉर्पियो हैं।
फर्जीवाड़ा कर बैंक में खाते
1. जाली पैन कार्ड से खोले खातेशुरुआती जांच में पता चला कि यह गैग जाली आधार और पैन कार्ड के जरिए विभिन्न बैंको मे अकाउंट खोलता है। बैंक के अधिकारियो की मिलीभगत से इसे अंजाम देने की आशंका जताई गई है। इन अकाउंट्स में इस्तेमाल होने वाले फोन नंबर भी फर्जी एड्रेस और दस्तावेजों से लिए जाते हैं।
2. लोन NOC भी देते हैं जालीचोरी की गाड़ी को जिसकी पहचान दी होती है, अगर उस पर किसी बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन होता है तो उसका NOC भी जाली बनाते हैं। इसी तरह अगर चोरी की गाड़ी पकड़ी जाती है और उस पर लोन होता है तो किस्त नहीं चुकाने पर लोन देने वाली संस्था जब्त कर लेती है।
3. बेचने के लिए प्लैटफॉर्मई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म के अलावा कार्स-24 समेत कई रिटेल स्टोर पर दिल्ली-एनसीआर से चोरी की जारी रही लग्जरी गाड़ियों को गिरोह की तरफ से बेचने का काम किया जा रहा है। अगर किसी जगह किसी वजह से लेन-देन नही हो पाता है तो उस गाड़ी को किसी अन्य आउटलेट पर बेचने की कोशिश की जाती है।
इसके पीछे एक संगठित गिरोह कर रहा कामशुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि इसके पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा है। पहली लेयर गाड़ी चोरों की है, जो दिल्ली-एनसीआर और आसपास के राज्यों से फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो समेत अन्य लग्जरी गाड़ियां उठाते हैं। दूसरी लेयर चोरी की गई गाड़ी से मिलती-जुलती मेक, मॉडल और रंग वाले वीकल की डिटेल हासिल करते हैं। गैंग की तीसरी लेयर इसके चेसिस और इंजन नंबर को चोरी की गाड़ी में गुदवाते हैं। असली वाली गाड़ी का नंबर प्लेट भी लगा देते हैं। चौथी लेयर क्लोन गाड़ी तैयार करने के बाद फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), आधार कार्ड, पैन कार्ड समेत अन्य मालिकाना दस्तावेज तैयार करते हैं।
अलग-अलग फोन नंबर का करते हैं इस्तेमालअब गिरोह की पांचवीं लेयर गाड़ी को बेचने का काम करती है। गैंग के के मेंबर गाड़ी के इंस्पेक्शन और उसके बाद के कम्युनिकेशंस के दौरान अलग-अलग फोन नंबर का इस्तेमाल करते हैं। गाड़ी बेचने के बाद ये उन नंबरों को डि-एक्टिवेट या बंद कर देते हैं। आशंका है कि सिम खरीदने में भी यह गिरोह फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करता है। यह जालसाजी इतनी सफाई से की जाती है कि एम-परिवहन जैसे सरकारी पोर्टल्स और अन्य ऑफिशल डेटाबेस में चेक करने पर वो बिल्कुल असली जैसे दिखते हैं। कंपनी ने क्लोन की गई चोरी की ऐसी ही पांच गाड़ियां पकड़ ली, जिनमें तीन फॉर्च्यूनर और दो स्कॉर्पियो हैं।
फर्जीवाड़ा कर बैंक में खाते
1. जाली पैन कार्ड से खोले खातेशुरुआती जांच में पता चला कि यह गैग जाली आधार और पैन कार्ड के जरिए विभिन्न बैंको मे अकाउंट खोलता है। बैंक के अधिकारियो की मिलीभगत से इसे अंजाम देने की आशंका जताई गई है। इन अकाउंट्स में इस्तेमाल होने वाले फोन नंबर भी फर्जी एड्रेस और दस्तावेजों से लिए जाते हैं।
2. लोन NOC भी देते हैं जालीचोरी की गाड़ी को जिसकी पहचान दी होती है, अगर उस पर किसी बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन होता है तो उसका NOC भी जाली बनाते हैं। इसी तरह अगर चोरी की गाड़ी पकड़ी जाती है और उस पर लोन होता है तो किस्त नहीं चुकाने पर लोन देने वाली संस्था जब्त कर लेती है।
3. बेचने के लिए प्लैटफॉर्मई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म के अलावा कार्स-24 समेत कई रिटेल स्टोर पर दिल्ली-एनसीआर से चोरी की जारी रही लग्जरी गाड़ियों को गिरोह की तरफ से बेचने का काम किया जा रहा है। अगर किसी जगह किसी वजह से लेन-देन नही हो पाता है तो उस गाड़ी को किसी अन्य आउटलेट पर बेचने की कोशिश की जाती है।
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