चीन की मेडिकल डिग्री क्या कहलाती है?

भारत की तरह की चीन में भी मेडिकल डिग्री का नाम 'बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी' (MBBS) है। यहां पर भी स्टूडेंट्स को डॉक्टर बनने के लिए MBBS करना पड़ता है। हालांकि, कुछ यूनिवर्सिटीज, जो स्थानीय छात्रों को चीनी भाषा में पढ़ाती हैं, वहां बैचलर ऑफ मेडिसिन (BMed) या बैचलर ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन की डिग्री दी जाती है। विदेशी छात्रों के लिए यहां MBBS की डिग्री ही है, जिसे पूरा होने में छह साल लगते हैं। (Pexels)
चीन के मेडिकल कोर्स का करिकुलम कैसा है?
चीन के मेडिकल कोर्स का करिकुलम भी लगभग भारत जैसा ही है। यहां पर शुरुआती पांच साल प्री-क्लिनिकल और फाउंडेशनल ईयर के तौर पर जाने जाते हैं। चीन के MBBS करिकुलम में बेसिक मेडिकल साइंसेज (एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, पैथोलॉजी), बिहेवरिल साइंसेज, ह्यूमैनिटीज और मेडिकल एथिक्स शामिल हैं। इसी तरह से स्टूडेंट्स को प्रीवेंटिव मेडिसिन और पब्लिक हेल्थ के बारे में भी पढ़ाया जाता है।
मेडिकल कोर्स के दौरान स्टूडेंट जनरल मेडिसिन, सर्जरी, पीडियाट्रिक्स, गायनोकोलॉजी और आब्सटेट्रिक्स के बारे में भी जानते हैं। छात्रों को चीनी भाषा भी सिखाई जाती है, ताकि वे मरीजों से कम्युनिकेट कर पाएं। 5 साल की पढ़ाई के बाद उन्हें एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप करनी पड़ती है। इस दौरान स्टूडेंट्स को असल दुनिया में सामने आने वाली चुनौतियों और मरीजों का इलाज करना सिखाना जाता है। (Pexels)
चीन के टॉप मेडिकल कॉलेज कौन से हैं?

- पेकिंग यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंस सेंटर
- फुडान यूनिवर्सिटी
- सिंघुआ यूनिवर्सिटी
- शंघाई जियाओ टोंग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन
- झेजियांग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन
- हुआझोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
- सुन यात-सेन यूनिवर्सिटी
- सिचुआन यूनिवर्सिटी
- वुहान यूनिवर्सिटी
- नानजिंग यूनिवर्सिटी (Pexels)
चीन में मेडिकल कॉलेज में एडमिशन कैसे होता है?

- विदेशी छात्रों के लिए चीन के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया सीधी और सरल है। अगर आपके पास कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट और क्वालिफिकेशन है, तो फिर आप आसानी से यहां पर MBBS में एडमिशन ले सकते हैं। आइए एडमिशन प्रोसेस को समझते हैं।
- एजुकेशनल क्वालिफिकेशन: चीन में MBBS के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी की पढ़ाई करना जरूरी है। बहुत सी यूनिवर्सिटीज में सिर्फ उन्हीं स्टूडेंट्स को एडमिशन मिलता है, जिनके इन तीनों सब्जेक्ट्स में कम से कम 50-70% नंबर हो।
- एंट्रेंस एग्जाम: वैसे तो चीन के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम की जरूरत नहीं होती है। लेकिन भारतीयों को NEET-UG क्वालिफाई करने के बाद ही यहां डॉक्टर बनने जाना चाहिए। इसकी वजह ये है कि NEET-UG क्वालिफाई होने पर ही देश में प्रैक्टिस के लिए जरूरी FMGE एग्जाम में बैठने की इजाजत मिलती है।
- भाषा की जानकारी: वैसे तो चीन में MBBS की पढ़ाई अंग्रेजी में ही करवाई जाती है। इस वजह से कुछ यूनिवर्सिटीज में IELTS या TOEFL स्कोर मांगा जाता है। लेकिन ज्यादातर यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए इसकी जरूरत नहीं पड़ती है।
- जरूरी डॉक्यूमेंट्स: अकेडमिक ट्रांसस्क्रिप्ट, पासपोर्ट की फोटोकॉपी, पासपोर्ट साइज फोटो, नीट यूजी स्कोरकार्ड, मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट और पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट की एडमिशन के दौरान जरूरत पड़ती है। (Pexels)
चीन में मेडिकल कोर्स की फीस कितनी है?

चीन में मेडिकल कोर्सेज की पॉपुलैरिटी की एक मुख्य वजह यहां ली जाने वाली फीस है, जो भारत की तुलना में काफी कम है। यहां पर 3.5 लाख से लेकर 6 लाख रुपये सालाना में MBBS कोर्स किया जा सकता है। इस तरह छह साल में आपको 20 लाख से 35 लाख रुपये ही खर्च करने पड़ेंगे। रहने-खाने का खर्च भी चीन में काफी कम है। यहां स्टूडेंट्स के पास चाइनीज गवर्नमेंट स्कॉलरशिप पाने का ऑप्शन भी रहता है, जिससे ना सिर्फ ट्यूशन फीस माफ हो जाती है, बल्कि रहने-खाने का खर्चा भी कवर हो जाता है। (Pexels)
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