Study Abroad News : 'टाइम पर असाइनमेंट सब्मिट कर दो, नहीं तो फिर नंबर कट जाएंगे।' कॉलेज में पढ़ते वक्त ये बातें आपने प्रोफेसर्स से जरूर सुनी होंगी। भारत में   कॉलेज-यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान भी ऐसा मालूम होता है, जैसे हम अभी स्कूल में ही हैं। स्टूडेंट्स को हर चीज के लिए गाइड किया जाता है। हालांकि, जब आप विदेश में पढ़ने जाएंगे, तो फिर आपको वहां की संस्कृति हैरान कर सकती है। इसकी वजह ये है कि विदेशी यूनिवर्सिटीज में छात्रों से हर चीज खुद करने की उम्मीद की जाती है।   
      
   
ऐसा ही 'कल्चर शॉक' एक भारतीय छात्र ने भी महसूस किया, जब वह विदेश पढ़ने के लिए पहुंचा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर उसने एक पोस्ट किया, जिसमें छात्र ने बताया कि विदेश में किस तरह स्टूडेंट्स आजाद होते हैं। प्रोफेसर्स असाइनमेंट लेने के लिए पीछे नहीं पड़ते हैं। उसने बताया कि विदेश में टाइम पर आने को काफी गंभीरता से लिया जाता है। उसकी पोस्ट पर अन्य लोगों ने भी अपने एक्सपीरियंस शेयर किए। लोगों ने बताया कि किस तरह विदेश पहुंचने पर उन्हें बिल्कुल ही अलग महसूस हुआ।
पढ़ने से लेकर खाना परोसने तक का तरीका अलग: भारतीय छात्र
भारतीय छात्र ने रेडिट पर 'विदेश जाने के बाद मुझे किन सांस्कृतिक झटकों का सामना करना पड़ा-आपको सबसे अधिक आश्चर्य किस बात से हुआ?' नाम से एक पोस्ट की। इसमें उसने लिखा, 'मैं हाल ही में अपनी पढ़ाई के लिए विदेश पहुंचा हूं। ईमानदारी से कहूं तो यहां पर सांस्कृतिक बदलावों ने मेरी उम्मीद से ज्यादा मुझे हैरान किया है। लोगों के एक-दूसरे से मिलने-जुलने के तरीके से लेकर क्लास में पढ़ाई और यहां तक कि खाना परोसने के तरीके तक, सब कुछ नया सा लग रहा था।'
   
   
असाइनमेंट के लिए नहीं पूछते प्रोफेसर्स: भारतीय छात्र
छात्र ने आगे कहा, 'मेरे लिए सबसे बड़ा झटका यह था कि छात्रों से कितना आजाद होने की उम्मीद की जाती है। प्रोफेसर आपसे असाइनमेंट के लिए नहीं पूछते और यहां समय की पाबंदी का मतलब ही समय की पाबंदी है।' उसने बताया कि लोग विदेश में खुलकर चीजों पर बात करते हैं। उसने कहा, ' मुझे एक और चीज हैरानी भरी कि लोग बातचीत में कितने खुले हैं। वे बिना किसी हिचकिचाहट के किसी भी विषय पर बात कर लेते हैं, जो शुरू में ताजा और अजीब दोनों लगते थे।'
सड़क पर चलते लोग मुस्कारते, सबको कहते थैंक्यू
भारतीय छात्र की पोस्ट पर एक अन्य यूजर ने कमेंट पोस्ट किया। इसमें उसने अमेरिका के सांस्कृतिक बदलावों की बात की। उसने बताया, 'अमेरिका में लोग आपके लिए दरवाजे पकड़कर खड़े रहते हैं। लोग हमेशा थैंक्यू और प्लीज कहते हुए दिख जाएंगे। अगर वे सड़क पर चल रहे हैं, तो वे आपको मुस्कुराते हुए दिख जाएंगे और कई बार तो लोगों को विश भी कर देते हैं। इसी तरह से सड़कों पर कोई ओवरटेक नहीं करता और ना ही हॉर्न बजाता है। माइनस 20 डिग्री में लोग आपको ठंडा पानी पीते दिखेंगे।'
खुद के फैसले लेते युवा, बड़े लोगों जैसा व्यवहार
एक अन्य यूजर ने बताया कि पश्चिमी देशों में युवा खुद बड़े लोगों से जैसा व्यवहार करते हैं और खुद के फैसले लेते हैं। उसने लिखा, 'पश्चिमी देशों में युवा असल में व्यस्क लोगों की तरह व्यवहार करते हैं। अपने परिवार से बहुत कम या बिना किसी प्रभाव के अपने फैसले लेते हैं और अपने फैसले के लिए जिम्मेदारी भी लेते हैं।' उसने आगे कहा, 'भारतीयों की तुलना में ये बिल्कुल अलग है, क्योंकि यहां पर लोग अपने पैरेंट्स से बंधे रहते हैं। भारत में माता-पिता ही तय करते हैं कि उनका बच्चा क्या करेगा।'
   
  
ऐसा ही 'कल्चर शॉक' एक भारतीय छात्र ने भी महसूस किया, जब वह विदेश पढ़ने के लिए पहुंचा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर उसने एक पोस्ट किया, जिसमें छात्र ने बताया कि विदेश में किस तरह स्टूडेंट्स आजाद होते हैं। प्रोफेसर्स असाइनमेंट लेने के लिए पीछे नहीं पड़ते हैं। उसने बताया कि विदेश में टाइम पर आने को काफी गंभीरता से लिया जाता है। उसकी पोस्ट पर अन्य लोगों ने भी अपने एक्सपीरियंस शेयर किए। लोगों ने बताया कि किस तरह विदेश पहुंचने पर उन्हें बिल्कुल ही अलग महसूस हुआ।
पढ़ने से लेकर खाना परोसने तक का तरीका अलग: भारतीय छात्र
भारतीय छात्र ने रेडिट पर 'विदेश जाने के बाद मुझे किन सांस्कृतिक झटकों का सामना करना पड़ा-आपको सबसे अधिक आश्चर्य किस बात से हुआ?' नाम से एक पोस्ट की। इसमें उसने लिखा, 'मैं हाल ही में अपनी पढ़ाई के लिए विदेश पहुंचा हूं। ईमानदारी से कहूं तो यहां पर सांस्कृतिक बदलावों ने मेरी उम्मीद से ज्यादा मुझे हैरान किया है। लोगों के एक-दूसरे से मिलने-जुलने के तरीके से लेकर क्लास में पढ़ाई और यहां तक कि खाना परोसने के तरीके तक, सब कुछ नया सा लग रहा था।'
असाइनमेंट के लिए नहीं पूछते प्रोफेसर्स: भारतीय छात्र
छात्र ने आगे कहा, 'मेरे लिए सबसे बड़ा झटका यह था कि छात्रों से कितना आजाद होने की उम्मीद की जाती है। प्रोफेसर आपसे असाइनमेंट के लिए नहीं पूछते और यहां समय की पाबंदी का मतलब ही समय की पाबंदी है।' उसने बताया कि लोग विदेश में खुलकर चीजों पर बात करते हैं। उसने कहा, ' मुझे एक और चीज हैरानी भरी कि लोग बातचीत में कितने खुले हैं। वे बिना किसी हिचकिचाहट के किसी भी विषय पर बात कर लेते हैं, जो शुरू में ताजा और अजीब दोनों लगते थे।'
सड़क पर चलते लोग मुस्कारते, सबको कहते थैंक्यू
भारतीय छात्र की पोस्ट पर एक अन्य यूजर ने कमेंट पोस्ट किया। इसमें उसने अमेरिका के सांस्कृतिक बदलावों की बात की। उसने बताया, 'अमेरिका में लोग आपके लिए दरवाजे पकड़कर खड़े रहते हैं। लोग हमेशा थैंक्यू और प्लीज कहते हुए दिख जाएंगे। अगर वे सड़क पर चल रहे हैं, तो वे आपको मुस्कुराते हुए दिख जाएंगे और कई बार तो लोगों को विश भी कर देते हैं। इसी तरह से सड़कों पर कोई ओवरटेक नहीं करता और ना ही हॉर्न बजाता है। माइनस 20 डिग्री में लोग आपको ठंडा पानी पीते दिखेंगे।'
खुद के फैसले लेते युवा, बड़े लोगों जैसा व्यवहार
एक अन्य यूजर ने बताया कि पश्चिमी देशों में युवा खुद बड़े लोगों से जैसा व्यवहार करते हैं और खुद के फैसले लेते हैं। उसने लिखा, 'पश्चिमी देशों में युवा असल में व्यस्क लोगों की तरह व्यवहार करते हैं। अपने परिवार से बहुत कम या बिना किसी प्रभाव के अपने फैसले लेते हैं और अपने फैसले के लिए जिम्मेदारी भी लेते हैं।' उसने आगे कहा, 'भारतीयों की तुलना में ये बिल्कुल अलग है, क्योंकि यहां पर लोग अपने पैरेंट्स से बंधे रहते हैं। भारत में माता-पिता ही तय करते हैं कि उनका बच्चा क्या करेगा।'
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