समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को बीजेपी की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की। हमीरपुर जिले में एक 23 साल की गर्भवती महिला को कीचड़ और पानी से भरी कच्ची सड़क पर बैलगाड़ी में अस्पताल ले जाना पड़ा, क्योंकि कथित तौर पर एम्बुलेंस उसके गांव तक नहीं पहुंच पाई।
अखिलेश यादव ने राज्य सरकार पर “एम्बुलेंस को बैलगाड़ी में बदलने” का आरोप लगाया और विकास के उसके दावों पर सवाल उठाया। इसके साथ ही सपा प्रमुख ने ‘एक्स’ पर घटना का एक वीडियो भी साझा किया।
उन्होंने लिखा, ''बीजेपी के कुशासन ने एंबुलेंस को ‘बुल’ऐंस बना दिया है। उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस की जगह बैलगाड़ी चलने लगी है। क्या ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बैलगाड़ी खींचेगी। अगली बार मुख्यमंत्री जी जब फसल का मुआयना करने निकलें तो नीचे सड़क और एंबुलेंस का हाल भी देख लें। अगर न दिखाई दे तो दिल्ली की दूरबीन या ड्रोन का सदुपयोग कर लें।''
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य मंत्री’ महोदय अगर नामपट्टिका तक सीमित नहीं कर दिए गए हैं तो ‘समारोह’ में न सही, कम-से-कम बीमार लोगों की मुश्किलों में तो अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।''
भाजपा के कुशासन ने एंबुलेंस को ‘बुल’ऐंस बना दिया है। उप्र में एंबुलेंस की जगह बैलगाड़ी चलने लगी है। क्या ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बैलगाड़ी खींचेगी। अगली बार मुख्यमंत्री जी जब फ़सल का मुआयना करने निकलें तो नीचे सड़क और एंबुलेंस का हाल भी देख लें। अगर न दिखाई दे तो दिल्ली की दूरबीन… pic.twitter.com/SCIlr5UFMY
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 27, 2025
यह घटना शनिवार को हमीरपुर के मौदहा प्रखंड के परसदवा डेरा गौ घाट छानी गांव में हुई, जहां रेशमा को प्रसव पीड़ा हुई थी। कीचड़ वाली जमीन की वजह से एम्बुलेंस फंस जाने के बाद, उसके 60 साल के ससुर कृष्ण कुमार केवट उसे बैलगाड़ी पर करीब 7 किलोमीटर दूर सिसोलोर स्वास्थ्य केंद्र ले गए। दलदली और ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरने में करीब तीन घंटे लगे।
डॉक्टरों ने परिवार को बताया कि प्रसव में अभी दो दिन बाकी हैं और शुरुआती इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। स्थानीय लोगों ने कहा कि इलाके के करीब 500 लोगों को हर मॉनसून में ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि कच्ची सड़क कीचड़ भरे दलदल में बदल जाती है, जिससे वे आस-पास के शहरों से अलग हो जाते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अरुण निषाद ने कहा, "इमरजेंसी में, हमारे पास मरीजो को अपने कंधों या बैलगाड़ियों पर ले जाने के अलावा कोई चारा नहीं होता है।"
उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीणों ने मार्च 2024 में एक अच्छी सड़क की मांग को लेकर छह दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा कि उस समय के उप जिलाधिकारी ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि लोकसभा चुनाव के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा, लेकिन एक साल से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
गांव वालों ने दावा किया कि उन्होंने अब जिला प्रशासन, स्थानीय विधायक से दखल देने और उनके गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली पक्की सड़क बनवाने की अपील की है। इस मामले पर जवाब के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों से तुरंत संपर्क नहीं हो सका।
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