इजराइल के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को कहा कि इजराइली सरकार ने फलस्तीनी कैदियों को ठीक से भोजन तक नहीं दिया, और सरकार को आदेश दिया कि वह इन कैदियों को पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराए।
यह फैसला ‘एसोसिएशन फॉर सिविल राइट्स इन इजराइल’ और ‘गीशा’ नामक मानवाधिकार संस्था द्वारा पिछले वर्ष दायर याचिका पर सुनाया गया। ऐसा बहुत कम देखने को मिला है कि 23 महीने से जारी इजराइल-हमास युद्ध के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सरकार के फैसलों पर इस तरह से सवाल उठाया हो।
सीजफायर के बावजूद इजरायल की हरकत पर भड़क उठे ट्रंप, कड़े लहजे में दे दी सीधी चेतावनीउच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा कि इजराइली सरकार की यह कानूनी जिम्मेदारी है कि वह फलस्तीनी कैदियों को ‘‘बुनियादी जीवन स्तर’’ सुनिश्चित करने के लिए दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराए। अदालत ने प्राधिकारियों को यह दायित्व निभाने का आदेश दिया।
अदालत ने माना कि सरकार ने जानबूझकर जेलों में फलस्तीनी कैदियों को पर्याप्त भोजन नहीं दिया, जिससे इजराइल-हमास युद्ध के दौरान उन्हें कुपोषण और भुखमरी का सामना करना पड़ा।
गाजा में भोजन की तलाश कर रहे फलस्तीनियों पर इजरायल ने की बमबारी! गर्भवती महिला समेत 78 लोगों की मौतफैसले में कहा गया, ‘‘हम यहां आरामदायक जिंदगी या किसी तरह की सुविधा की बात नहीं कर रहे, बल्कि बस उतनी जरूरी चीजों की बात कर रहे हैं जो जिंदा रहने के लिए कानून के मुताबिक जरूरी हैं। हमें अपने सबसे बुरे दुश्मनों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए।’’
इजराइली सेना ने गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक में बड़ी संख्या में फलस्तीनियों को आतंकवादी संबंधों के संदेह में गिरफ्तार किया है। इनमें से हजारों लोगों को महीनों तक बिना किसी आरोप के शिविरों और जेलों में रखा गया और बाद में रिहा कर दिया गया।
इजरायल ने गाजा के सबसे बड़े शहर को युद्धक्षेत्र घोषित किया, मानवीय सहायता पर लगाया पूर्ण रोकइन लोगों ने बताया कि हिरासत के दौरान हालात बेहद खराब थे - जगह बहुत छोटी थी, पर्याप्त भोजन नहीं मिलता था, इलाज भी ठीक से नहीं होता था, और खाज-खुजली जैसी बीमारियां फैली हुई थीं।
दो मानवाधिकार संगठनों ने इसे इज़राइली सरकार की एक "सुनियोजित नीति" बताया।
फलस्तीनी अधिकारियों के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से कम से कम 61 फलस्तीनी लोगों की इजराइल की कैद में रहने के दौरान मौत हो चुकी है। मार्च में, इजराइल की जेल में एक 17 वर्षीय फलस्तीनी लड़के की मौत हो गई थी, जिसके बाद चिकित्सकों ने कहा था कि मौत का मुख्य कारण भुखमरी हो सकती है।
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