लखनऊ, 25 अप्रैल . अर्थव्यवस्था के लिहाज से यूपी अब देश के राज्यों में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है. आठवें नंबर से दूसरे नंबर का यह जंप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आठ साल के कार्यकाल के दौरान आया. मुख्यमंत्री का संकल्प 2029 तक यूपी को देश की नंबर वन अर्थव्यवस्था (वन ट्रिलियन डॉलर) वाला राज्य बनाना है.
एक बदनाम और बदहाल राज्य की अर्थव्यवस्था के कायाकल्प में अन्य फैक्टर्स के साथ निवेश और इससे संबंधित पॉलिसीज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आगे भी रहेगी. उल्लेखनीय है कि योगी 1.0 से लेकर योगी 2.0 के अब तक के कार्यकाल में इन्वेस्टर्स समिट और उसके बाद आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए ऐसा हुआ भी है. 2018 से अब तक हुए इन्वेस्टर्स समिट्स में कुल 45 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले. इनमें से 15 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावों का क्रियान्वयन भी कराया जा चुका है. इससे 60 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला.
प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) दोगुने से अधिक होकर 27.51 लाख करोड़ रुपए का हो गया. 2016-2017 में यह मात्र 12.89 लाख करोड़ रुपए था. वित्तीय वर्ष 2025-2026 का लक्ष्य 30.77 लाख करोड़ रुपए का है. इसके लिए सरकार औद्योगिक एवं निवेश संवर्धन नीति लेकर आई है. इस नीति के तहत निवेशकों को कर में आकर्षक छूट और भूमि आवंटन में सहूलियत दी गई है. संभावनाओं के अनुसार 33 सेक्टोरियल पॉलिसीज लाई गई हैं.
इस सबका नतीजा यह रहा कि कारोबारी सुगमता के लिहाज से 2017 में दूसरे पायदान पर रहने वाला उत्तर प्रदेश छलांग लगाकर 2022 में दूसरे नंबर पर आ गया. इसी तरह 2022 में यूपी बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (बीआरएपी) में भी टॉप अचीवर्स स्टेट रहा. गुड गवर्नेंस में 2021 में ही यूपी पहले नंबर पर पहुंच गया. विरासत में मिली अराजकता और भ्रष्टाचार के पर्याय रहे उत्तर प्रदेश में इन आयोजनों की सफलता, निवेशकों का यूपी में निवेश के प्रति आकर्षण खुद में मिसाल है. इस सबके पीछे अराजकता को खत्म करने के लिए बेहतर कानून व्यवस्था, निवेश के सभी संभावित सेक्टर्स के लिए निवेश फ्रेंडली सेक्टोरियल पॉलिसीज, एक्सप्रेसवे और एयर कनेक्टिविटी के जरिए वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
पॉलिसी और बुनियादी संरचना को और बेहतर बनाने का काम लगातार जारी है. इसमें जिन एक्सप्रेसवे पर काम चल रहा है और जो प्रस्तावित हैं, उनका काम पूरा होने पर प्रदेश की सड़क मार्ग से कनेक्टिविटी इतनी बेहतर हो जाएगी कि लैंड लॉक्ड होने से प्रदेश की प्रगति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसके अलावा शीघ्र ही संचालित होने वाला एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट तो मील का पत्थर ही साबित होगा.
प्रदेश का चौतरफा विकास हो. कोई क्षेत्र विकास का टापू न बने. हर क्षेत्र में स्थानीय लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार रोजी-रोजगार मिले, शुरू से ही सीएम योगी की यह मंशा रही है. इसलिए, क्षेत्रवार विकास पर पूरा फोकस है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर लखनऊ के आसपास के जिलों को मिलाकर राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) का गठन उसी सोच की कड़ी है. योगी सरकार इस सोच को और विस्तार दे रही है. झांसी और कानपुर के बीच नोएडा से बड़ा इंडस्ट्रील हब बनाने के लिए बुंदेलखंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथोरिटी (बीडा) का गठन किया गया. आजादी के बाद यह अपनी तरह की नई पहल होगी. झांसी बाया ग्वालियर मार्ग पर बसाए जाने वाले इस औद्योगिक एवं आवासीय परियोजना के लिए 5,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है. इसमें 30 से अधिक गांवों की जमीन अधिग्रहित होनी है. पूरी परियोजना का विस्तार करीब 56,000 एकड़ में होगा.
इसी तरह कानपुर नगर एवं देहात, बांदा, फतेहपुर, हमीरपुर, जालौन, औरैया और कन्नौज के समेकित विकास के लिए कानपुर इंटीग्रेटेड अथॉरिटी का गठन, वाराणसी और प्रयागराज के आसपास के जिलों के विकास के लिए भी ऐसी ही कार्ययोजना है.
2029 में उत्तर प्रदेश को देश की नंबर एक अर्थव्यवस्था बनाने के प्रयासों के क्रम में योगी सरकार एक और इन्वेस्टर्स समिट की भी तैयारी कर रही है. इसके तहत देश के प्रमुख शहरों (मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद आदि) के अलावा विदेशों के करीब डेढ़ दर्जन शहरों (न्यूयॉर्क, पेरिस, लंदन, सिंगापुर आदि) में रोड शो कराने की योजना है. इस समिट के जरिए सरकार का लक्ष्य 33 लाख करोड़ रुपए निवेश लाने का है. 2027 तक ऐसे आयोजनों के जरिए 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य योगी सरकार ने रखा है. निवेश को और गति देने के लिए मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में इन्वेस्ट यूपी के ऑफिस खुलेंगे. हर ऑफिस की संबंधित शहर के अनुसार भूमिका तय होगी.
मसलन, देश की आर्थिक राजधानी मानी जाने वाली मुंबई का ऑफिस बड़े कॉर्पोरेट के संपर्क में रहकर उनको यूपी में बड़े प्रोजेक्ट लगाने को प्रेरित करेगा. दिल्ली ऑफिस इसी मकसद से अलग-अलग देशों के दूतावासों के संपर्क में रहेगा. बेंगलुरु ऑफिस का जोर टेक्नोलॉजी के लिहाज से संपन्न और इनोवेटिव काम करने वाली कंपनियों के संपर्क में रहकर यूपी में निवेश के लिए मोटिवेट करेगा.
पारदर्शिता और पहले से अधिक प्रभावी बनाने के लिए इन्वेस्ट यूपी में जरूरी सुधार भी किए जा रहे हैं. इन सुधारों पर व्यक्तिगत रूप से सीएम योगी की नजर है. अभी पिछले दिनों इन्वेस्ट यूपी की समीक्षा बैठक में उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए.
निवेश मित्र की सभी समस्याओं को दूर करने, सिंगल विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम को और प्रभावी एवं पारदर्शी बनाने, यथाशीघ्र इसमें सिस्टम एग्रीगेटर की प्रक्रिया शुरू की जाए. एग्रीगेटर की प्रक्रिया शुरू होने पर अलग-अलग विभागों के डाटा को एकत्र कर उनका एक ही स्थान पर निराकरण संभव हो सकेगा. किसी मामले की तय प्रक्रिया से देरी के लिए जिस स्तर से अनावश्यक देरी हुई है, उस अधिकारी की जवाबदेही तय की जा सकेगी. ऐसे अधिकारी के विरुद्ध वरिष्ठ अधिकारियों से सीधे ऑनलाइन शिकायत करने की सुविधा भी प्रदान की गई है.
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एसके/एबीएम
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