New Delhi, 31 अगस्त . नंदन बाल भारत के पूर्व टेनिस खिलाड़ी और मशहूर कोच हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया. खिलाड़ी जीवन के बाद वह एक सफल कोच बने और कई युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन दिया. नंदन बाल भारतीय टेनिस में अपने खास योगदान के लिए पहचाने जाते हैं.
1 सितंबर 1959 को जन्मे नंदन बाल के पिता परभनी (महाराष्ट्र) में काम करते थे. गर्मियों की छुट्टियां पड़ती, तो नंदन अपने पिता से मिलने चले जाते.
नंदन को आम का बेहद शौक था. गर्मियों के मौसम में नंदन खूब आम खाते. इसी शौक ने उनके वजन को इतना बढ़ा दिया कि पिता को फिटनेस की चिंता सताने लगी.
नंदन करीब 12 साल के हो गए थे. गर्मियों की छुट्टियों में जब फिर से पिता से मिलने गए, तो पिता ने इस बार बेटे को ऑफिसर क्लब में टेनिस खेलने की सलाह दी. नंदन यहां टेनिस खेलने पहुंचे. हालांकि, शुरू में जल्द थक गए, लेकिन उन्हें यह खेल पसंद आने लगा था. नंदन ने टेनिस खेलना जारी रखा और यह उनके लिए जुनून बन गया.
नंदन बाल के पिता पुरुषोत्तम बाल एक राज्य स्तर के टेनिस खिलाड़ी थे. मां माणिक बाल एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन खिलाड़ी थीं. ऐसे में खेल उनकी रगों में था. हालांकि, डॉ. जीए रानाडे को नंदन अपना ‘गॉडफादर’ मानते हैं, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना.
70 के दशक की शुरुआत में पुणे ने दो बार डेविस कप की मेजबानी की. नंदन डेविस कप मुकाबलों में बॉल बॉय की भूमिका निभाई. इस बीच उन्होंने मशहूर खिलाड़ियों को बेहद करीब से खेलते देखा. नंदन ने ठान लिया था कि उन्हें भी ऐसा ही बनना है.
नंदन ने कड़ी मेहनत की और 1978 में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के फाइनल में पहुंचे. साल 1979 में उन्होंने विंबलडन पुरुष फाइनल क्वालीफाइंग राउंड में जगह बनाई.
1982 के एशियन गेम्स मे रजत पदक विजेता नंदन बाल ने दो बार डेविड कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
नंदन बाल को एक खिलाड़ी के तौर पर इतनी ख्याति नहीं मिली, जितने मशहूर वह बतौर कोच हुए. इस सफल कोच ने लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना जैसे चैंपियन खिलाड़ियों को तैयार किया.
नंदन बाल को टेनिस में उत्कृष्ट योगदान के लिए मेजर ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया. साल 2020 में महाराष्ट्र राज्य लॉन टेनिस एसोसिएशन की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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आरएसजी
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