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'आईएमईसी' के जरिए विश्व से संपर्क स्थापित करने का विश्वसनीय सेतु बनेगा 'भारत' : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

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नई दिल्ली, 17 अप्रैल . केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के माध्यम से देश वैश्विक संपर्क का एक विश्वसनीय सेतु बनने के लिए तैयार है.

केंद्रीय मंत्री गोयल ने एक समारोह के दौरान कहा कि ‘आईएमईसी’ भारत और मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप के नेतृत्व और साझेदारी का एक सशक्त समर्थक है. यह एक बहुत ही प्रगतिशील और दूरदर्शी अवधारणा है, जिसने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘आईएमईसी’ केवल एक व्यापार मार्ग नहीं है, बल्कि एक मॉडर्न-डे सिल्क रूट है, जो साझेदारी में बराबरी, संपर्क और तालमेल बढ़ाने के साथ ही समृद्धि को बढ़ावा देता है.

उन्होंने कहा, “इससे लॉजिस्टिक्स लागत में 30 प्रतिशत तक की कमी आएगी, परिवहन समय में 40 प्रतिशत की कमी आएगी और महाद्वीपों के बीच बिना किसी बाधा के व्यापारिक संबंध बनेंगे.”

उन्होंने कहा, “हम न केवल व्यापारिक संबंध जोड़ेंगे; बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया से खाड़ी तक, मध्य पूर्व से मध्य यूरोप की सभ्यताओं और संस्कृतियों को भी जोड़ेंगे.”

केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि आईएमईसी मध्य पूर्व के माध्यम से अफ्रीका तक कनेक्टिविटी भी बढ़ा सकता है.

इस गलियारे में रेलवे, सड़क मार्ग, ऊर्जा पाइपलाइन और समुद्र के नीचे केबल सहित क्लीन एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल होगा.

उन्होंने कहा, “भारत पहले से ही क्लीन एनर्जी ट्रांसमिशन पर सिंगापुर के साथ चर्चा कर रहा है. हम सऊदी अरब और यूएई के साथ भी बातचीत कर रहे हैं.”

केंद्रीय मंत्री गोयल ने स्थिरता और डिजिटल कनेक्टिविटी की अहमियत को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा, “यह पहल संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती है. यह प्रभुत्व या आर्थिक संघ बनाने को लेकर न होकर आपसी विश्वास, समावेशिता और स्थिरता पर आधारित साझेदारी है.”

केंद्रीय मंत्री ने आईएमईसी पहल के लिए आगे के रास्ते के रूप में पांच प्रमुख सुझावों के बारे में बताया.

सबसे पहले, गोयल ने आईएमईसी को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के नजरिए से देखने के महत्व पर जोर दिया.

उन्होंने एक सहयोगी मॉडल का आह्वान किया, जिसमें निजी क्षेत्र नेतृत्व करे और अपनी वास्तविक दुनिया की विशेषज्ञता, जरूरतों और इनोवेटिव क्षमताओं को सामने लाए.

दूसरा, उन्होंने केवल फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से आगे बढ़कर विनियामक कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर ज़ोर दिया.

तीसरा, उन्होंने गलियारे के विकास और इससे होने वाले व्यापार दोनों का समर्थन करने के लिए इनोवेटिव फाइनेंसिंग मॉडल की जरूरत पर जोर दिया.

चौथा, उन्होंने उद्योग निकायों और व्यापार संघों के साथ सक्रिय जुड़ाव की सिफारिश की और कहा कि व्यवसायों की वास्तविक जरूरतों के साथ तालमेल रखने वाले गलियारे को डिजाइन करने के लिए उनके विचार भी जरूरी हैं.

आखिर में, केंद्रीय मंत्री गोयल ने विजनिंग और डिजाइन प्रक्रिया में थिंक टैंक और शिक्षाविदों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा.

एसकेटी/केआर

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