अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। हाल ही में, उन्होंने एक ऐसे कानून पर रोक लगाने का निर्णय लिया है जो लगभग 50 वर्षों से विदेशी कंपनियों को अमेरिकी बाजार में प्रवेश के लिए रिश्वत देने से रोकता है।
FCPA पर ट्रंप का दृष्टिकोण
ट्रंप ने इस कानून को लागू करने से रोकने के लिए एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए हैं। उनका मानना है कि यह कानून अमेरिकी कंपनियों के लिए हानिकारक है। इस आदेश के तहत, न्याय विभाग को FCPA (Foreign Corrupt Practices Act) के नियमों को लागू करने से रोका गया है, जब तक कि नए दिशा-निर्देश जारी नहीं किए जाते।
अदाणी ग्रुप पर प्रभाव
यह आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच 12 फरवरी को होने वाली बैठक से पहले आया है, जो दोनों देशों के आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगा। अदाणी ग्रुप के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल में उन पर रिश्वत देने के आरोप लगाए गए थे।
बाइडेन प्रशासन के दौरान, अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी को धोखाधड़ी और रिश्वत योजना के आरोपों का सामना करना पड़ा था, लेकिन अदाणी ग्रुप ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया।
इस नए आदेश का असर अदाणी ग्रुप के शेयरों पर भी देखने को मिला है, जहां उनके अधिकांश शेयरों में तेजी आई है.
FCPA का महत्व
यह कानून अमेरिकी कंपनियों को विदेशों में व्यापार करने के लिए विदेशी अधिकारियों को पैसे या उपहार देने से रोकता है। ट्रंप ने पहले भी इस कानून को समाप्त करने की कोशिश की थी, यह कहते हुए कि यह अमेरिकी व्यापार के लिए हानिकारक है।
FCPA के कड़े नियमों के कारण अमेरिकी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में बाधा का सामना करना पड़ता है। इस कानून का उपयोग कई कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाने के लिए किया गया है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता ने कहा है कि यह विचार अमेरिकी कंपनियों के लिए अनुकूल नहीं है, क्योंकि अधिकांश कंपनियां रिश्वतखोरी को एक अनुत्पादक लागत के रूप में देखती हैं।
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