हरियाणा अपडेट: 1 अप्रैल 2004 को केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने नई पेंशन योजना (NPS) को लागू किया और पुरानी पेंशन योजना (OPS) को समाप्त कर दिया। इसके बाद से, सरकारी कर्मचारी संगठनों ने OPS की पुनर्स्थापना की मांग की है। उनका कहना है कि नई योजना में न तो पर्याप्त सुरक्षा है और न ही बुढ़ापे के लिए कोई विश्वसनीय व्यवस्था है।
राज्य कर्मचारी संगठन की सक्रियता
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने प्रधानमंत्री को कई ज्ञापन भेजकर OPS की बहाली की मांग की है। उनका मानना है कि कर्मचारियों को नई और पुरानी दोनों योजनाओं में से एक का चयन करने का विकल्प मिलना चाहिए, ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें।
कुछ राज्यों में OPS की पुनर्स्थापना
कुछ राज्यों ने कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए OPS को फिर से लागू किया है, लेकिन इसके साथ कई तकनीकी समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि नई पेंशन योजना के तहत जो राशि कर्मचारियों से काटी गई है, उसका हिसाब अभी तक स्पष्ट नहीं है। केंद्र सरकार ने 2009 में कुछ शर्तों के साथ विकल्प दिया था, लेकिन यह सभी पर लागू नहीं होता था।
योगी सरकार का समर्थन और केंद्र की समिति
26 अगस्त को, जे.एन. तिवारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से OPS की बहाली पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और एक समिति का गठन किया गया है। रिपोर्ट में भी OPS के पक्ष में बातें की गई हैं, लेकिन अंतिम निर्णय अभी लंबित है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
पुरानी पेंशन योजना की बहाली केवल कर्मचारियों की मांग नहीं है, बल्कि यह एक चुनावी मुद्दा भी बन चुका है। यदि सरकार समय पर समाधान नहीं निकालती, तो आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
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