नया वेतन आयोग: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि यह आयोग 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा। इसके परिणामस्वरूप 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनधारकों की सैलरी और पेंशन में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
7वें वेतन आयोग का महत्व
7वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 को लागू हुआ था। इसके लागू होने के बाद सरकार ने कर्मचारियों के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार किए। फिटमेंट फैक्टर को 2.57 पर निर्धारित किया गया, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में काफी वृद्धि हुई। न्यूनतम बेसिक सैलरी को 18,000 रुपये कर दिया गया, जो पहले 6वें वेतन आयोग में 7,000 रुपये थी। इसके अलावा, पेंशनधारकों की न्यूनतम पेंशन को 3,500 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये कर दिया गया। इन परिवर्तनों ने 7वें वेतन आयोग को कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए विशेष बना दिया।
6वें वेतन आयोग के लाभ
6वां वेतन आयोग जनवरी 2006 में लागू हुआ था। इसके तहत फिटमेंट फैक्टर को 1.86 पर सेट किया गया, जिससे कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 2,750 रुपये से बढ़कर 7,000 रुपये हो गई। पेंशनधारकों की न्यूनतम पेंशन भी 1,275 रुपये से बढ़कर 3,500 रुपये हो गई। हालांकि, 6वां वेतन आयोग कर्मचारियों के लिए उतना बड़ा बदलाव नहीं था, लेकिन जो सुधार हुए, वे सकारात्मक थे और कर्मचारियों ने उनका लाभ उठाया।
8वें वेतन आयोग से कर्मचारियों की अपेक्षाएँ
अब, 8वें वेतन आयोग से कर्मचारियों की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर को 2.28 से 2.86 तक बढ़ाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 41,000 रुपये से 51,480 रुपये तक हो सकती है। कर्मचारियों का मानना है कि आठवां वेतन आयोग उनके लिए एक बड़ा आर्थिक राहत पैकेज साबित होगा, जिससे उनकी सैलरी और पेंशन में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।
8वां वेतन आयोग: सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद
इस प्रकार, 8वां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।
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