पाकिस्तान पोलियो जैसी गंभीर बीमारी पर नियंत्रण पाने में असफल रहा है, जबकि वैश्विक प्रयास जारी हैं। इसके अलावा, जनता के बीच फैली भ्रांतियों ने वैक्सीनेशन प्रक्रिया को और भी प्रभावित किया है।
हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा में एक वैक्सीनेशन टीम पर हमला हुआ, जिसमें एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी गई। सुरक्षा कारणों से, पूरे पाकिस्तान में वैक्सीनेशन टीमों को पुलिस के सशस्त्र जवानों के साथ काम करना पड़ता है।
एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के 21 जिलों में पोलियो वायरस के लक्षण पाए गए हैं। पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, और अन्य संगठनों के विशेषज्ञ शामिल हैं। हालांकि, अफवाहों और गलत सूचनाओं के कारण सुरक्षा में चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
पाकिस्तानी सरकार दशकों से इस बीमारी के खिलाफ संघर्ष कर रही है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह विरोध मुख्यतः इस धारणा के कारण है कि पोलियो वैक्सीन बच्चों को नपुंसक बना देती है।
खैबर पख्तूनख्वा में एक वैक्सीनेशन टीम पर हमले की घटना कोई नई नहीं है। पिछले साल दिसंबर में भी एक स्वास्थ्य कर्मी और दो पुलिसकर्मियों की हत्या की गई थी।
पाकिस्तानी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1990 से अब तक कई बार पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम चलाए गए हैं। हर बार उग्रवादी समूह गलत सूचनाएँ फैलाकर लोगों को भड़काते हैं। अब तक लगभग 200 स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस वालों की जान जा चुकी है। अधिकारियों का मानना है कि इन हमलों के पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और उसके विभाजित गुटों का हाथ है।
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