कैमूर जिले की चैनपुर सीट पर इस बार का मुकाबला बेहद खास रहेगा.
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आज समाप्त हो रही है। इसके बाद चुनाव प्रचार में तेजी आएगी और राजनीतिक रैलियों का दौर शुरू होगा। कई सीटें चर्चा में हैं, और चैनपुर सीट भी उनमें से एक है। यह सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए ऐतिहासिक रही है, जहां से 45 साल पहले जीत का खाता खोला गया था। अब, लालमुनि चौबे के बेटे हेमंत चौबे को नई पार्टी के लिए जीत दिलाने की चुनौती है।
चैनपुर सीट पर बीजेपी का प्रभाव मजबूत रहा है। यहां से लालमुनि चौबे और बृज किशोर भिंड ने लगातार जीत हासिल की है। महाबलि सिंह ने भी बीएसपी और राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज की है। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने अप्रत्याशित जीत हासिल की थी, जब मोहम्मद जमा खान ने बीजेपी के बृज किशोर भिंड को 24,000 से अधिक वोटों से हराया।
लालमुनि चौबे का राजनीतिक सफरचैनपुर सीट लालमुनि चौबे के नाम से जानी जाती है। इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने उनके बेटे हेमंत चौबे को उम्मीदवार बनाया है। लालमुनि चौबे ने 1972 में पहली बार चैनपुर सीट से जीत हासिल की थी और 1980 में बीजेपी में शामिल होकर पार्टी के लिए जीत का खाता खोला। तब से बीजेपी ने यहां 5 बार चुनाव जीते हैं।
वंशवाद का मुद्दाप्रशांत किशोर ने हेमंत चौबे को उम्मीदवार बनाकर राजनीतिक वंशवाद को बढ़ावा दिया है, जबकि वह खुद इसका विरोध करते रहे हैं। हेमंत चौबे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके पिता लालमुनि चौबे चार बार बक्सर संसदीय सीट के सांसद रहे हैं और चैनपुर से भी चार बार विधायक चुने गए हैं।
चुनाव में जीत की चुनौतियाँचैनपुर का राजनीतिक समीकरण कुछ इस प्रकार है: यहां अनुसूचित जाति के करीब 21% और अनुसूचित जनजाति के 9.38% वोटर्स हैं, जबकि मुस्लिम वोटर्स की संख्या लगभग 10% है। हेमंत चौबे के लिए जीत आसान नहीं होगी, क्योंकि एनडीए की ओर से जनता दल यूनाइटेड ने मोहम्मद जमा खान को मैदान में उतारा है। महागठबंधन की ओर से विकासशील इंसान पार्टी के बाल गोविंद भिंड भी चुनौती पेश कर रहे हैं। पिछले चुनाव में जेडीयू के मोहम्मद जमा खान ने बीएसपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। अब देखना होगा कि मुस्लिम वोटर्स का समर्थन किस प्रत्याशी को मिलता है।
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