आज के समय में स्मार्टफोन और इंटरनेट ने हमारे जीवन को आसान बनाया है। पहले जहां कई कामों को करने के लिए पूरा दिन भी कम पड़ता था, वहीं अब इंटरनेट के माध्यम से कई जरूरी काम पल भर में हो जाते हैं। जैसे बैंकिंग से जुड़े काम। इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के मामले भी तेज हो रहे हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए दूरसंचार विभाग ने वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) लॉन्च किया है। जानते हैं आखिर क्या है फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर और यह कैसे काम करता है। वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) क्या है?एफआरआई को वित्तीय जोखिम और साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए लॉन्च किया है। यह एक बहू आयामी टूल है, जिसे डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म के तहत विकसित किया गया है। इसके माध्यम से संबंधित मोबाइल नंबरों की पहचान करके यूपीआई सेवा प्रदाताओं, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को जोखिम का स्तर बताकर अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है एफआरआई की विशेषताएं यहां जानें 1.संदिग्ध नंबरों की पहचान होगी आसानवित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) टूल से संदिग्ध नंबरों की पहचान आसान हो जाएगी। यह टूल कई स्रोतों से डाटा एकत्रित करके उन मोबाइल नंबर को चिन्हित करता है, जो साइबर अपराध या वित्तीय धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। 2. खुफिया जानकारी शेयर करना यह टूल यूपीआई बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं के साथ वास्तविक समय में खुफिया जानकारी शेयर करेगा। 3. जोखिम वाले मोबाइल नंबरों की अतिरिक्त जांच यदि कोई मोबाइल नंबर जोखिम भरा पाया जाता है तो एफआरआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान के दौरान उसकी अतिरिक्त सुरक्षा जांच की जाएगी। 4. रियल टाइम में कार्यवाहीजोखिम को कम करने के लिए इस टूल का जोखिम आधारित मैट्रिक साइबर अपराधियों के खिलाफ तुरंत एक्शन लेगा। ताकि धोखाधड़ी को रोका जा सके 5. डिजिटल प्लेटफॉर्म को सुरक्षित बनाएगायह टूल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोखिम भरे नंबरों को तुरंत ब्लॉक करके या उनके निगरानी करने में मदद करेगा, जिससे साइबर फ्रॉड के मामलों में कमी आएगी। 6. अलर्ट सिस्टमयह संदिग्ध नंबर से लेनदेन की कोशिश होने पर बैंकों और यूपीआई प्लेटफॉर्म्स को अलर्ट भेजा जाता है। साइबर अपराध पर लगेगी लगाम दूरसंचार विभाग का यह कदम ‘साइबर सुरक्षित भारत’ के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। भारत में साइबर अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। अकेले उत्तर प्रदेश में ही साल 2023 में 2 लाख से अधिक साइबर फ्रॉड के मामले सामने आए। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी साइबर फ्रॉड के मामले लाखों में थे। साइबर अपराधी नए-नए तरीकों का इस्तेमाल करके लोगों को ठग रहे हैं। कभी फर्जी ऐप्स का इस्तेमाल करके तो कभी डिजिटल अरेस्ट, फिशिंग या फर्जी लिंक भेज कर साइबर अपराध कर रहे हैं। ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए आरबीआई और सरकार के द्वारा समय-समय पर लोगों को जागरूकता दी जाती है। जैसे - किसी भी अनजान नंबर से आए कॉल, मैसेज या लिंक से सावधान रहने के लिए कहा जाता है। कभी भी किसी के साथ ओटीपी शेयर ना करें, डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में तुरंत साइबर पुलिस की सहायता लें।
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