अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% का टैरिफ लगाया है। जिसके कारण कई सेक्टर्स पर दबाव बढ़ गया है। इसी बीच भारत सरकार के द्वारा कपड़ा निर्यातकों को राहत देने के उद्देश्य से कपास के शुल्क-मुक्त आयात को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है। अब 31 दिसंबर 2025 तक शुल्क-मुक्त आयात जारी रहेगा। इसके पहले 30 सितंबर 2025 आयात शुल्क में छूट दी गई थी। अभी सितंबर महीना शुरू भी नहीं हुआ है उसके पहले ही डेडलाइन और बढ़ा दी गई है।
वित्त मंत्रालय का बयान
वित्त मंत्रालय की तरफ से यह कहा गया कि केंद्र सरकार के द्वारा कपड़ा निर्यातकों को राहत देने के लिए आयात शुल्क की समय सीमा बढ़ाई गई है। अभी कपास पर लगभग 11 फीसदी आयात शुल्क है।
अपील का परिणाम
सीआईटीआई की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी का कहना है कि उद्योग प्रतिनिधियों कि तरफ से लगातार सरकार से अपील कि जा रही थी। जिसके बाद सरकार ने मांग मान ली। इससे कपड़ा, सूत, परिधान की लागत कम होने से न केवल निर्माताओं को बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। अमेरिकी सरकार द्वारा कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और चमड़ा जैसे अन्य भारतीय प्रोडक्टस पर 50 % शुल्क लगाया है। जिसमे बाद से अमेरिका में सामान भेजनें वाले व्यापारियों की टेंशन बढ़ गई है।
आयात शुल्क का फायदा
सरकार के द्वारा दी गई आयात छूट से घरेलू बाजार को ज्यादा लाभ होगा। इससे कपास की कीमतें स्थिर रहेगी और उपलब्धता बढ़ेगी। भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है। जिसने कपास आयात पर 11% की शुल्क को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। कपास की सप्लाई ब्राज़ील, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से होने की संभावना है। पिछले साल के आंकड़े देखे तो भारत का सबसे बड़ा वस्त्र और आभूषण का बाजार अमेरिका ही था। साल 2020 में अमेरिका के साथ इस सेक्टर में 22 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ,लेकिन अब ट्रंप के टैरिफ के कारण इस पर असर दिखाई दे सकता है।
वित्त मंत्रालय का बयान
वित्त मंत्रालय की तरफ से यह कहा गया कि केंद्र सरकार के द्वारा कपड़ा निर्यातकों को राहत देने के लिए आयात शुल्क की समय सीमा बढ़ाई गई है। अभी कपास पर लगभग 11 फीसदी आयात शुल्क है।
अपील का परिणाम
सीआईटीआई की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी का कहना है कि उद्योग प्रतिनिधियों कि तरफ से लगातार सरकार से अपील कि जा रही थी। जिसके बाद सरकार ने मांग मान ली। इससे कपड़ा, सूत, परिधान की लागत कम होने से न केवल निर्माताओं को बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। अमेरिकी सरकार द्वारा कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और चमड़ा जैसे अन्य भारतीय प्रोडक्टस पर 50 % शुल्क लगाया है। जिसमे बाद से अमेरिका में सामान भेजनें वाले व्यापारियों की टेंशन बढ़ गई है।
आयात शुल्क का फायदा
सरकार के द्वारा दी गई आयात छूट से घरेलू बाजार को ज्यादा लाभ होगा। इससे कपास की कीमतें स्थिर रहेगी और उपलब्धता बढ़ेगी। भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है। जिसने कपास आयात पर 11% की शुल्क को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। कपास की सप्लाई ब्राज़ील, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से होने की संभावना है। पिछले साल के आंकड़े देखे तो भारत का सबसे बड़ा वस्त्र और आभूषण का बाजार अमेरिका ही था। साल 2020 में अमेरिका के साथ इस सेक्टर में 22 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ,लेकिन अब ट्रंप के टैरिफ के कारण इस पर असर दिखाई दे सकता है।
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