हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) और होनासा कंज्यूमर लिमिटेड के बीच सनस्क्रीन विज्ञापन विवाद बढ़ता ही जा रहा है. क्षेत्र के दोनों दिग्गज इस मामले को कोर्ट तक ले गए. एक विज्ञापन से शुरू हुआ यह विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. जानते हैं विवाद कैसे शुरू हुआ और अभी स्थिति क्या है. सनस्क्रीन के विज्ञापन से शुरुआत एचयूएल के लेक्मे सन एक्सपर्ट एसपीएफ 50 सनस्क्रीन के विज्ञापन से इस विवाद की शुरुआत हुई. लेक्मे के विज्ञापन में यह कहा गया कि कई सनस्क्रीन 50 एसपीएफ का दावा करती है लेकिन उनमें 20 एसपीएफ ही होता है. विज्ञापन में पीले रंग की बोतलों को दिखाया गया, जो होनासा की द डर्मा को 1% हायलुरोनिक सनस्क्रीन एक्वा जेल SPF 50 की के जैसे दिख रही है. एचयूएल के विज्ञापन को होनासा ने अपनी ब्रांड द डर्मा को के खिलाफ अपमानजनक, भ्रामक और अनुचित बताया. जिसमे बाद ममाअर्थ और द डर्मा को जैसे ब्रांड्स की मूल कंपनी होनासा ने इस विज्ञापन को हटाने या बदलने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. एचयूएल और होनासा का फेसऑफ जहां होनासा दिल्ली हाई कोर्ट गई वहीं एचयूएल ने भी होनासा के एक विज्ञापन के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में जवाबी मुकदमा दायर किया. होनासा ने अपने विज्ञापन में लेक्मे तो 50 एसपीएफ हासिल करने के लिए बधाई दी और लिखा कि ' वेलकम टू द डर्मा को स्टैंडर्ड'. होनासा के इस विज्ञापन के लिए एचयूएल ने कोर्ट में दावा किया है कि इससे लेक्मे की बदनामी हो रही है. क्लासिक हिट एंड रन का मामला होनासा के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिबाल का कहना है कि एचयूएल का विज्ञापन क्लासिक हिट एंड रन का मामला है. जिसमें उनकी सनस्क्रीन को भ्रामक और अप्रभावी बताकर बदनाम किया जा रहा है. द डर्मा को की सनस्क्रीन का मित्तल ग्लोबल क्लिनिकल ट्रायल सर्विसेज जैसे तीसरे पक्ष की प्रयोगशालाओं में सफल परीक्षण किया जा चुका है. उनका प्रोडक्ट अमेजॉन पर नंबर वन सनस्क्रीन सेलिंग प्रोडक्ट है. इस मामले को लेकर होनासा की सह-संस्थापक गजल अलघ ने सोशल मीडिया पर एचयूएल पर जमकर भड़ास निकाली थी. उन्होंने कहा कि लेक्मे ने अंततः इन-विवो टेस्टिंग शुरू की, जो द डर्मा को पहले से करता है. हिंदुस्तान युनिलीवर का दावा अपना बचाव करते हुए हिंदुस्तान यूनिलीवर के द्वारा यह कहा गया कि उनके विज्ञापन उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए है. ताकि उपभोक्ता इन-विवो टेस्टिंग के महत्व को समझ सके. इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि लेक्मे साल 2015 से अपनी सनस्क्रीन के लिए इन-विवो टेस्टिंग का उपयोग कर रही है. कंपनी के प्रवक्ता की तरफ से यह कहा गया कि बाजार में ऐसे कई ब्रांड हैं, जो एसपीएफ 50 का दवा तो करते हैं लेकिन प्रयोगशाला में जब उनका परीक्षण किया गया तो उनके दावे गलत पाए गए. इससे ग्राहकों की त्वचा पर नुकसान होता है. क्या है स्थिति होनासा द्वारा दायर याचीका पर कोर्ट ने एचयूएल को जवाब पेश करने के लिए समय दिया और अगली सुनवाई के लिए 17 अप्रैल 2025 की तारीख तय की. होनासा द्वारा अखबारों, बिलबोर्ड या सोशल मीडिया पर चल रहे एचयूएल विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिसे कोर्ट ने इनकार कर दिया है. होनासा के बिलबोर्ड विज्ञापन के खिलाफ मुकदमा भी 17 अप्रैल को सुनवाई के लिए निर्धारित है.
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