पहलगाम चरमपंथी हमले के बाद केंद्र सरकार की ओर से एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. इस दौरान सभी दलों ने सरकार को हमले की जवाबी कार्रवाई में अपना समर्थन देने की बात कही.
हालांकि, विपक्ष ने सरकार के सामने सूरक्षा में चूक का मामला भी उठाया.
हमले के बाद पहले भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सिंधु जल संधि को निलंबित करने समेत पाँच बड़े फ़ैसले किए.
जवाब में पाकिस्तान ने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हस्ताक्षरित शिमला समझौते को निलंबित कर दिया और भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया. पाकिस्तान के इस कदम के बाद सोशल मीडिया पर इंदिरा गांधी की चर्चा तेज़ है.
इंदिरा गांधी पर कौन और क्या कह रहा है?पहलगाम हमले के विरोध में हैदराबाद में विपक्ष के नेताओं की तरफ से एक कैंडल मार्च निकाला गया था.
कैंडल मार्च के दौरान कांग्रेस नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी , "देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से एक गुज़ारिश है. जिन आतंकवादियों ने हमारे देशवासियों पर हमला किया, उन हमलावरों को हम सब 140 करोड़ देशवासी मिलकर जवाब देने के लिए तैयार हैं."
रेवंत रेड्डी ने कहा, "1967 में जब चीन ने हमारे देश पर हमला किया तो इंदिरा जी ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था. उसके बाद 1971 में जब पाकिस्तान ने देश पर हमला किया तो इंदिरा जी ने मुंहतोड़ जवाब देकर पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इंदिरा जी को दुर्गा कहा था."
शिव सेना (यूबीटी) के नेता संजय राऊत ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर इंदिरा गांधी की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, "आज देश को इंदिरा गांधी की बहुत याद आ रही है."
वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने एक निजी समाचार चैनल के शो पर कहा, "आप सुरक्षा में चूक की बात करते हैं. बिल्कुल सर्वदलीय बैठक में सरकार ने इस बात को स्वीकार किया है कि सुरक्षा में चूक हुई है. देश में सबसे बड़ी सुरक्षा में चूक क्या थी? प्रधानमंत्री के घर में ही प्रधानमंत्री की हत्या हो गई."
उन्होंने सवाल किया, "हमने कभी मुद्दा बनाया था इंदिरा जी को, बोलिए?"
31 अक्तूबर 1984 को इंदिरा गांधी के आवास पर ही उनके दो अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या की थी.
दरअसल, अगर हम शिमला समझौते की पृष्ठभूमि देखें तो यह साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई जंग से जुड़ा हुआ है.
1971 में भारत ने बांग्लादेश (जिसे तब पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था) को पाकिस्तान से आज़ाद करवाने में मदद की थी. उस वक्त क़रीब 90 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों से आत्मसमर्पण कराया गया था.
1971 की जंग के बाद भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के बीच एक समझौते पर दस्तख़त किए गए थे. इसे ही शिमला समझौते के नाम से जाना जाता है.

पहलगाम हमले के बाद तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और शिव सेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत के इंदिरा गांधी पर दिए बयान पर सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. कुछ लोग उनके बयानों का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसके पक्ष में नहीं है.
रेवंत रेड्डी के बयान पर आयुष मिश्रा नाम के एक यूज़र ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स है, "पूरे देश को एक साथ आता देखकर गर्व महसूस हो रहा है."
कन्हैया लाल शरण नाम के यूज़र ने एक्स पर है, "अगर आज इंदिरा गांधी जिंदा होती तो पाकिस्तान कल का सूरज नहीं देखता."
प्रभास फैन नाम के एक यूज़र ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर करते हुए है, "देखिए साल 1971 भारतीय सेना ने कैसे पाकिस्तान के सैनिकों से आत्मसमर्पण कराया था. यह करने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ही थीं."
वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स शिमला समझौते को यादकर उस समय पाकिस्तान के सैनिकों को छोड़ने पर सवाल उठा रहे हैं.
उनका कहना है कि भारत ने मैदान पर तो जंग जीत ली थी लेकिन शिमला समझौते के कारण चर्चा की मेज़ पर जंग हार गया.
क्या था शिमला समझौता?1971 में भारत-पाकिस्तान की जंग के बाद शिमला हुआ था. यह एक औपचारिक समझौता था, जिसे दोनों देशों के बीच शत्रुता ख़त्म करने के लिए अहम माना गया था.
इसके साथ ही शांतिपूर्ण समझौते को आगे बढ़ाने में भी शिमला समझौते की ख़ास भूमिका मानी जाती थी.
शिमला समझौते के मुताबिक़ दोनों देश इस बात पर सहमत थे कि दोनों सभी मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय वार्ता और शांतिपूर्ण तरीक़ों से करेंगे.
1971 की जंग के बाद शिमला समझौते के तहत लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) बना और दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि वो इसका सम्मान करेंगे और कोई भी एकतरफ़ा फ़ैसला नहीं लेगा.
दोनों पक्ष एलओसी को पैमाना मान एक-दूसरे के इलाक़े से सैनिकों को हटाने पर सहमत हुए थे.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक हुई.
भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित रखने का फ़ैसला किया.
साथ ही भारत ने अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को तुरंत प्रभाव से बंद करने का फ़ैसला किया.
बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेस में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि अब पाकिस्तानी नागरिक सार्क वीज़ा छूट स्कीम (एसवीईएस) के तहत जारी वीज़ा के आधार पर भारत की यात्रा नहीं कर पाएंगे.
एसवीईएस के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को पूर्व में जारी किए वीज़ा रद्द माने जाएंगे. एसवीईएस के तहत जो भी पाकिस्तानी नागरिक भारत में हैं उन्हें भारत छोड़ना होगा.
नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को अवांछित (पर्सोना नॉन ग्राटा) व्यक्ति करार दिया गया है.
भारत इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग के रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को भी वापस बुला लिया. दोनों उच्चायोग में ये पद ख़त्म माने जाएंगे.
उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से धीरे-धीरे घटाकर 30 कर दी जाएगी. ये फ़ैसला 1 मई 2025 से लागू हो जाएगा.
पाकिस्तान का जवाबभारत की ओर से उठाए गए कदमों का जवाब देते हुए पाकिस्तान की ओर से भी कई कदम उठाए गए हैं.
पाकिस्तान ने भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित कर दिया है. इसमें शिमला समझौता शामिल है.
उसने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र और अपनी सीमाओं को बंद करने और भारत के साथ व्यापार को निलंबित करने की घोषणा की है.
भारत की तरह पाकिस्तान ने भी वहां मौजूद भारतीय रक्षा सलाहकारों और उनके सहायकों को देश छोड़ने को कहा है. साथ ही उसने अपने राजनयिक स्टाफ को भी सीमित कर दिया है.
पाकिस्तान ने कहा है अगर भारत सिंधु नदी के पानी के प्रवाह को रोकने या मोड़ने की कोशिश करता है तो उसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा और इसका पूरा ताकत से जवाब दिया जाएगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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