अमेरिका में पढ़ाई की इच्छा रखने वाले भारत समेत दुनियाभर के स्टूडेंट्स के लिए ट्रंप सरकार की तरफ़ से एक और बुरी ख़बर आई.
हाल के महीनों में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में हार्वर्ड समेत कई विश्वविद्यालयों पर तमाम प्रतिबंध लगाए हैं और उसका कहना है कि विश्वविद्यालयों को 'राजनीतिक लड़ाई का मंच' नहीं बनाया जाना चाहिए. प्रशासन ने कहा है कि अमेरिकी मूल्यों की मुखालफ़त करने वाले छात्र-छात्राओं की सूचना सरकार को दी जाए.
अब ट्रंप सरकार ने इस दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए दुनिया भर में अपने दूतावासों को स्टूडेंट वीज़ा के लिए अपॉइंटमेंट देना बंद करने का आदेश दिया है.
ट्रंप सरकार का कहना है कि वह आवेदकों के सोशल मीडिया अकाउंट की गहन जांच की तैयारी के लिए एक योजना पर काम कर रही है.
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ओर जारी बयान में कहा गया है कि स्टूडेंट वीज़ा के लिए सोशल मीडिया जांच बढ़ाई जाएगी.
ट्रंप सरकार के इस फ़ैसले का सीधा असर अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाख़िला लेने की कोशिश करने वाले भारत और दुनिया भर के स्टूडेंट्स पर पड़ सकता है.
तो क्या इसका मतलब ये है कि सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करने वाले स्टूडेंट्स के लिए अमेरिका में पढ़ाई के रास्ते बंद हो जाएंगे?
कैसे होगी सोशल मिडिया की जाँच और नए प्रतिबंधों का स्टूडेंट्स वीज़ा इंटरव्यू पर क्या असर हो सकता है.
जानिए, इन सभी सवालों के जवाब.
हर साल हजारों भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं.
इंटरनेशनल एजुकेशनल एक्सचेंज के लिए के मुताबिक़ 2023-24 में क़रीब 3.30 लाख भारतीय छात्र-छात्राएं अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे.
अमेरिकी विश्वविद्यालयों में नए सत्र की शुरुआत अगस्त में होती है. जो स्टूडेंट नए सेशन के लिए वीजा हासिल करने कोशिशों में जुटे हुए हैं वो इस फ़ैसले से प्रभावित हो सकते हैं.
अमेरिकी विदेश विभाग के ज्ञापन को बीबीसी के अमेरिकी सहयोगी सीबीएस न्यूज़ ने देखा है.
इस ज्ञापन में मंगलवार को अमेरिकी दूतावासों को निर्देश दिया गया कि वे वीज़ा के इच्छुक छात्र-छात्राओं के लिए अपने कैलेंडर से सभी अधूरे अपॉइंटमेंट्स हटा दें.
हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक़ जिन स्टूडेंट्स को पहले ही वीजा के लिए अपॉइंटमेंट मिल चुका है उनकी एप्लिकेशन पर इस फ़ैसले की वजह से कोई असर नहीं पड़ेगा.
सोशल मीडिया अकाउंट का वीजा पर क्या असर होगा?अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने की राह सोशल मीडिया अकाउंट्स से प्रभावित हो सकती है.
बीते महीने ट्रंप सरकार ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों के कैंपस में फ़लस्तीनियों के समर्थन में आंदोलन करने वाले सैकड़ों स्टूडेंट्स के वीजा रद्द कर दिए थे.
इनमें से अधिकतर ने फ़लस्तीनियों के समर्थन में सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट भी किए थे.
अमेरिकी प्रशासन का कहना था कि स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए वीजा दिया जाता है एक्टिविजम करने के लिए नहीं की रिपोर्ट के मुताबिक़ कई भारतीय छात्र भी अमेरिकी सरकार के इस फ़ैसले की वजह से प्रभावित हुए थे.
रूबियो ने अपने संदेश में दूतावासों को बताया है कि सभी स्टूडेंट वीज़ा आवेदनों पर लागू होने वाली आवश्यक सोशल मीडिया स्क्रीनिंग और जांच के विस्तार की तैयारी चल रही है.
इस संदेश में यह नहीं बताया गया है कि जांच में क्या-क्या शामिल होगा.

सोशल मीडिया वेटिंग या स्क्रीनिंग का मतलब ये है कि अमेरिका में पढ़ाई करने के इच्छुक स्टूडेंट्स के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर होने वाली गतिविधियों को जांचा जाएगा.
जांच के बाद ही ये तय किया जाएगा कि स्टूडेंट्स को अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई करने के लिए वीजा दिया जाए या नहीं.
फेसबुक, एक्स, लिंक्डइन, टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस वेटिंग या स्क्रीनिग के दायरे में आते हैं.
क्या पहले से पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स की परेशानी बढ़ेगी?वीजा प्रक्रिया कड़ी करने के साथ ट्रंप प्रशासन ने ऐसे नियम भी लागू किए हैं जिनकी वजह से पहले से अमेरिका में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स का वीजा रद्द हो सकता है.
ट्रंप सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर विदेशी स्टूडेंट्स क्लास में नहीं जाते या फिर कॉलेज में अपने कोर्स से ड्रॉप आउट का विकल्प चुनते हैं तो फिर उनका वीजा रद्द किया जा सकता है.
ट्रंप प्रशासन ने ये भी कहा है कि अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी स्टूडेंट्स को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर की जाने पोस्ट्स को लेकर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत है.
प्रशासन का कहना है कि स्टूडेंट्स के सोशल मीडिया अकाउंट्स से ऐसी पोस्ट नहीं होनी चाहिए जो 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा' पैदा करने के दायरे में आए.
क्या इन समस्याओं का समाधान होगा?विदेशी स्टूडेंट्स के सामने आई ये परेशानी काफी हद तक ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी की यूनिवर्सिटीज के बीच चल रहे विवाद का भी नतीजा है.
ट्रंप सरकार ने विश्वविद्यालयों के लिए करोड़ों डॉलर की फंडिंग रोक दी है और कई स्टूडेंट्स को निर्वासित करने का क़दम उठाया है. इसके अलावा हज़ारों वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं.
इन क़दमों में से कुछ पर अदालतों ने रोक भी लगाई है.
व्हाइट हाउस ने कुछ अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर आरोप लगाया है कि वो कैंपस में फ़लस्तीन के समर्थन को यहूदी विरोधी भावना में बदलने की अनुमति दे रहे हैं.
कॉलेजों ने ट्रंप प्रशासन पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.
ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी की यूनिवर्सिटीज के बीच चल रहे इन विवादों के सुलझने तक इस समस्या का समाधान होने की संभावना नजर नहीं आती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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