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बिहार: दलित बच्ची की बलात्कार के बाद मौत, परिजन बोले- 'बच्ची को लेकर अस्पताल में भटकते रहे'

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Getty Images पटना में घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन करते कांग्रेस के कार्यकर्ता

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में दस साल की एक दलित बच्ची से बलात्कार का मामला सामने आया है. बच्ची की पटना में इलाज के दौरान मौत हो गई.

बच्ची के परिजनों ने पटना स्थित पीएमसीएच हॉस्पिटल के प्रशासन पर इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि इस वजह से बच्ची की जान चली गई. जबकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उन्होंने बच्ची को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की है.

इस घटना के बाद राज्य की विपक्षी पार्टियों ने क़ानून व्यवस्था और अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं.

विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने आरोप लगाया है कि 'अस्पताल के नाम पर बनाए जा रहे बड़े-बड़े भवनों का क्या फ़ायदा जब वहां अव्यवस्था हो.'

वहीं, सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया है.

मामले का स्वत: संज्ञान ने लिया है. आयोग की अध्यक्षा विजया किशोर रहाटकर ने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को मामले की गहन और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इस मामले में अस्पताल अधिकारियों और पुलिस की भूमिका की भी जांच करने को कहा है.

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image BBC क्या है पूरा मामला?

26 मई को मुज़फ़्फ़रपुर में दस साल की बच्ची से बलात्कार का मामला सामने आया. इस मामले में पुलिस ने अभियुक्त रोहित कुमार सहनी को गिरफ़्तार किया है. पुलिस के मुताबिक़ वो बच्ची की मौसी के घर के पास ही रहता था, इसलिए वो बच्ची को पहले से ही जानता था.

बच्ची के चाचा ने बीबीसी को बताया, "सुबह 10 बजे बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी, जब रोहित उसे मौसी के घर ले जाने की बात कहकर साइकिल पर ले गया. लेकिन रोहित बच्ची को रोड से तक़रीबन 150 मीटर दूर एक चौर (खेत के आसपास का इलाक़ा) में ले गया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया. उसने बच्ची को मारने की नीयत से उसके शरीर पर कई वार किए."

बच्ची के चाचा बताते हैं कि बच्ची जब बहुत देर तक घर नहीं आई तो उन्होंने उसे ढूंढना शुरू किया.

उनका कहना हैं, "हम लोगों ने रोहित को पकड़ा और पूछा लेकिन उसने कुछ नहीं बताया. हमने पुलिस को फ़ोन किया और उसे (रोहित) थाने ले गए. लेकिन वो कुछ बता नहीं रहा था. तभी हमें फ़ोन आया कि एक बच्ची रोड पर जख़्मी हालत में पड़ी है. हम लोग बच्ची को लेकर पहले स्थानीय अस्पताल गए, फ़िर वहां से मुज़फ़्फ़रपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल रेफ़र कर दिया गया."

तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची के पिता की मौत कई साल पहले हो चुकी है. उसकी मां मज़दूरी करके अपने तीन बच्चों का लालन-पालन करती है.

image Getty Images पटना स्थित पीएमसीएच हॉस्पिटल. पुलिस ने क्या बताया?

बीबीसी ने मामले पर मुज़फ़्फ़रपुर के ग्रामीण एसपी विद्या सागर से बातचीत की है.

एसपी विद्या सागर ने बताया, "इस मामले में हमारी कोशिश है कि हम लोग दस दिन में चार्जशीट तैयार करके स्पीडी ट्रायल करें. घटनास्थल से बच्ची की फ्रॉक समेत कई साक्ष्य मिले हैं और हम लोग साइंटिफिक एविडेंस पर काम कर रहे हैं."

अभियुक्त के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया, "बच्ची को इसने कुरकुरे और चॉकलेट दी थी. अभियुक्त के परिजन फरार हैं और उसकी पत्नी उसे पहले ही छोड़कर चली गई थी."

बच्ची मुज़फ़्फ़रपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में पीकू (पैडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनीट) आईसीयू में भर्ती थी.

एसकेएमसीएच सुपरिटेंडेंट कुमारी विभा ने बीबीसी को बताया, "बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था. गले और छाती पर जख़्म के निशान थे. छाती पर चोट उतनी गहरी नहीं थी लेकिन गले में घाव बहुत गहरा था. बच्ची की हालत स्थिर हो गई थी और उसकी श्वास नली की रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी होनी थी."

श्वास नली के रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की सुविधा एसकेएमसीएच में नहीं थी. इसके लिए एसकेएमसीएच प्रशासन ने एम्स पटना के ईएनटी विभाग से संपर्क किया.

कुमारी विभा बताती हैं, "ईएनटी विभाग में श्वास नली की रिकंस्ट्रक्शन करने वाली डॉक्टर छुट्टी पर थीं. ऐसे में हम लोगों ने बच्ची को 31 मई को पटना मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच) रेफ़र कर दिया. जहां वो रात भर ज़िंदा रही."

image BBC 'डॉक्टर हम लोगों को भगाते थे'

31 मई को पीएमसीएच रेफ़र होने के बाद परिजन बच्ची को लेकर पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (पीएमसीएच) पहुंचे.

बच्ची के चाचा बीबीसी को बताते हैं, "हम लोग बच्ची को लेकर यहां एक बजे के बाद पहुंच गए थे लेकिन ये लोग हमको चार घंटे तक टहलाते रहे. कभी इस वॉर्ड में बच्ची को भेज देते थे, कभी उस वॉर्ड में. एसकेएमसीएच में बच्ची को ठीक से रखा था लेकिन यहां (पीएमसीएच) व्यवस्था सही नहीं थी. रात भर मेरी बच्ची परेशान होती रही. हम लोग जाते थे तो गार्ड भगा देता था. सुबह जब देखा तो उसके गले और मुंह से ख़ून गिर रहा था और मेरी बच्ची मर गई."

बीबीसी ने इस संबंध में पीएमसीएच के अधीक्षक आई एस ठाकुर से बात की.

उन्होंने कहा, "31 मई को मैं छुट्टी पर था. मेरा चार्ज डॉ. अभिजीत कुमार के पास था. लेकिन मरीज का रजिस्ट्रेशन दोपहर एक बजकर 23 मिनट पर हुआ है और तीन बजकर 36 मिनट पर उसे स्त्री रोग विभाग में भर्ती कर लिया गया है."

भर्ती में देरी की वजह पूछने पर वो कहते हैं, "चूंकि मुजफ़्फ़रपुर में बच्ची पीकू में भर्ती थी इसलिए परिजन उसे पहले शिशु रोग विभाग ले गए. लेकिन वहां उसे डॉक्टरों ने देखकर ईएनटी (कान, नाक और गला) विभाग में भेज दिया. चूंकि, ईएनटी में हमारे यहां आईसीयू नहीं है इसलिए बच्ची को स्त्री रोग विभाग के आईसीयू में रखा गया. हर जगह डॉक्टर ने उन्हें देखा. बच्ची एडवांस लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम एम्बुलेंस में थी जो एक तरह से छोटा अस्पताल ही होता है. उसको बेड नहीं मिलने के आरोप निराधार हैं."

क्या पीएमसीएच प्रशासन को बच्ची के रेफ़र होने और इस मामले की जानकारी नहीं थी?

इस सवाल पर आई एस ठाकुर कहते हैं, "हम लोगों को कोई जानकारी एसकेएमसीएच की तरफ़ से नहीं दी गई थी. बच्ची की हालत नाजुक थी. उसकी तबीयत शाम छह बजकर 15 मिनट पर बिगड़नी शुरू हुई. हम लोगों ने रात भर मेहनत की, लेकिन बच्ची को बचा नहीं सके."

image BBC मुज़फ़्फ़रपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल की तस्वीर. घटना के बाद लोगों में ग़ुस्सा

इस घटना पर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारे में राज्य की कानून-व्यवस्था और अस्पतालों में इलाज़ को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

31 मई को जब बच्ची को एडमिट करने में देरी हुई तो प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ता भी अस्पताल पहुंचे थे. आरजेडी समेत वामपंथी दलों ने भी इस घटना पर सरकार को आड़े हाथों लिया है.

कांग्रेस प्रवक्ता शरवत जहां फ़ातिमा ने मुज़फ़्फ़रपुर में बच्ची से मुलाकात की थी. वो कहती हैं, " हम लोगों की मांग थी कि बच्ची को एयरलिफ़्ट करके इलाज करवाया जाए लेकिन ये लोग बच्ची को अपने पास रखे रहे क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी को 29 और 30 मई को बिहार आना था. "

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अनामिका सिंह पटेल सरकार का बचाव करते हुए कहती हैं, "मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन मैं ख़ुद एक हॉस्पिटल चलाती हूं, मुझे मालूम है कि अस्पताल में बेड मिलना एक प्रक्रिया है जिसमें वक़्त लगता है. हमारी सरकार में लोग ज़िम्मेदारी से काम कर रहे हैं."

जेडीयू प्रवक्ता अंजुम आरा कहती हैं, "ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. अभियुक्त की गिरफ़्तारी हुई है. इस मामले की जांच की जा रही है और इसमें जो भी दोषी होंगे उन पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी."

आरजेडी ने एक्स पर सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए लिखा, "पीएमसीएच के बाहर भर्ती किए जाने के लिए घंटों इंतज़ार करती रही बलात्कार पीड़िता बच्ची! पर संवेदनहीन व्यवस्था टस से मस नहीं हुई! कुर्सी बाबू, अस्पताल के नाम पर बनाए जा रहे बड़े-बड़े भवनों का क्या लाभ जब वहां चारों ओर अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार, अभाव और संवेदनहीनता ही पसरा हो?"

बिहार में पहले भी सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था की ख़बरें आई हैं. हाल ही में पटना के ही सरकारी अस्पताल एनएमसीएच में एक दिया था. वैसे एनएमसीएच में ये पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी नवंबर 2024 में भी एक शव से आंख गायब हो गई थी. इस मामले के सामने आने के बाद भी ये कहा गया था कि चूहे ने आंख कुतर दी है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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