राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने आगामी चुनावों के मद्देनज़र अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर अपनी रणनीति को स्पष्ट संकेतों के साथ आगे बढ़ाया है। राजस्थान बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने हाल ही में एक अहम बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि "विकसित भारत बिना मुसलमानों के संभव नहीं है।" इस बयान ने प्रदेश की सियासत में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
जयपुर में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी की सोच समावेशी है और पार्टी देश के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की पक्षधर है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भाजपा के सभी मोर्चे अल्पसंख्यक मोर्चे के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि समाज के हर तबके की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
राधा मोहन दास अग्रवाल ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से मुसलमान, भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी भी समुदाय को हाशिये पर नहीं छोड़ना चाहती, बल्कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के सिद्धांत पर चलती है।
कांग्रेस पर तीखा हमलाबीजेपी प्रदेश प्रभारी ने अपने बयान में कांग्रेस पार्टी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा स्थापित सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का असली उद्देश्य आज साफ हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि "सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का सही अर्थ वक्फ के नए कानून में निहित है।"
उन्होंने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने सिर्फ मुस्लिम समुदाय को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया और वास्तविक विकास या भागीदारी की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। वहीं, भाजपा मुसलमानों को राष्ट्रनिर्माण की मुख्यधारा में शामिल करना चाहती है।
अग्रवाल ने वक्फ बोर्ड से संबंधित नए कानूनों की ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार द्वारा लाए गए प्रावधानों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और सम्पत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना है, न कि किसी विशेष समुदाय को लाभ या हानि पहुँचाना।
सियासी मायनेराजस्थान जैसे राज्य में जहां मुस्लिम आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भाजपा की यह रणनीति आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। राधा मोहन दास अग्रवाल का यह बयान एक ओर जहां पार्टी की व्यापक सोच को दर्शाता है, वहीं यह संकेत भी देता है कि भाजपा अब सभी वर्गों तक अपनी पहुंच बनाने के प्रयास में है।
कुल मिलाकर, भाजपा का यह रुख अल्पसंख्यकों को लेकर उसकी बदली हुई रणनीति का प्रतीक माना जा रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का जमीनी राजनीति में कितना असर देखने को मिलेगा।
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