रेगिस्तान के बीच बसे जैसलमेर जिले में अब शिक्षा का चेहरा बदल रहा है। जहां कभी पारंपरिक शिक्षा तक पहुँचाने में दूर-दराज़ के इलाकों, संसाधनों की कमी और मौसम की कठिनाइयों से बड़ी बाधाएँ आती थीं, वहीं अब डिजिटल शिक्षा नई उम्मीदों का द्वार खोल रही है।
ग्रामीण अंचलों तक पहुँची ऑनलाइन क्लासेसजिले के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय तक बच्चों की पढ़ाई स्कूल तक सीमित रही। लेकिन अब स्मार्टफोन, इंटरनेट और सरकारी ई-मित्र केंद्रों की मदद से शिक्षा की पहुँच हर घर तक होने लगी है। बच्चे और युवा ही नहीं, बल्कि महिलाएँ भी डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ उठाकर आगे बढ़ रही हैं। जानकारों का कहना है कि वर्तमान समय में जैसलमेर के लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र इंटरनेट से जुड़ चुके हैं। यह आँकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि तकनीक की मदद से शिक्षा का दायरा निरंतर बढ़ रहा है।
चुनौतियों के बावजूद उत्साहबिजली की अनियमित आपूर्ति और नेटवर्क की समस्याएँ अभी भी बड़ी चुनौतियाँ हैं। फिर भी छात्र और उनके अभिभावक डिजिटल शिक्षा के प्रति उत्साहित हैं। ग्रामीण बच्चों में मोबाइल ऐप्स, यूट्यूब चैनलों और डिजिटल पाठ्यक्रमों के प्रति रुझान बढ़ा है। ई-मित्र केंद्रों पर विशेष रूप से ऑनलाइन क्लासेस, डिजिटल कंटेंट और वीडियो लेक्चर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कई जगहों पर सामूहिक रूप से बच्चों को एक साथ बैठाकर ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारीइस डिजिटल क्रांति का सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि महिलाएँ भी शिक्षा से जुड़ रही हैं। घर की जिम्मेदारियों के बीच समय निकालकर महिलाएँ मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन क्लासेस के जरिए अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं। यह बदलाव उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ समाज में उनकी भूमिका को भी मजबूत कर रहा है।
विशेषज्ञों की रायशिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल शिक्षा ने जिले में नई ऊर्जा भर दी है। पहले जहाँ रेगिस्तान के कठिन भौगोलिक हालात, स्कूलों की कमी और शिक्षकों की अनुपलब्धता बड़ी समस्या थी, वहीं अब तकनीक के जरिए इन बाधाओं को काफी हद तक दूर किया जा सका है। एक शिक्षा अधिकारी के अनुसार, “डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। बच्चे अब बड़े शहरों की तरह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर पा रहे हैं।”
भविष्य की संभावनाएँसरकार और सामाजिक संगठनों का कहना है कि आने वाले वर्षों में जैसलमेर जिले के हर गाँव तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँचाने की योजना है। साथ ही, ई-मित्र केंद्रों की संख्या बढ़ाने और डिजिटल सामग्री को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया जा रहा है।
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