राजस्थान पुलिस के एडीजी दिनेश एमएन ने एक कार्यक्रम के दौरान अपने जीवन के कठिन दौर को याद करते हुए भावुक बयान दिया। उन्होंने कहा कि जब वे जेल में थे, तो वहां का माहौल भी इंसान को भीतर तक बदल देता है — “कोई चुटकुले सुनाता था, कोई डांस करता और कोई गाना गाता था। इस हवन (काम) को करते-करते हमारा हाथ ही नहीं, बल्कि हम खुद ही जल गए थे।”
🗣️ एडीजी ने साझा किए संघर्ष के अनुभवउदयपुर में आयोजित एक पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रम में एडीजी दिनेश एमएन ने अपने जेल जीवन और संघर्ष के अनुभवों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था जब वे और उनके साथी पूरी तरह से निराश हो गए थे, लेकिन उस दौर ने उन्हें और मजबूत बना दिया।
उन्होंने कहा, “जेल में भी जिंदगी रुकती नहीं है। वहां भी लोग हंसने के कारण ढूंढ लेते हैं। कोई चुटकुले सुनाकर माहौल हल्का कर देता था, तो कोई गाना गाकर सभी को मुस्कुराने पर मजबूर कर देता था।”
दिनेश एमएन ने अपने वक्तव्य में अपने काम को “हवन” की उपमा देते हुए कहा, “हमने जब यह सेवा शुरू की थी, तो इसे एक हवन की तरह किया। लेकिन इस हवन में सिर्फ हाथ ही नहीं जले, हम खुद भी जल गए। यह तपस्या थी, जिसमें कभी शिकायत का स्थान नहीं था।”
उन्होंने कहा कि पुलिस सेवा में समर्पण और त्याग सबसे बड़ी पूंजी है, और कभी-कभी अधिकारी को अपने निर्णयों की भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है।
एडीजी ने कार्यक्रम में मौजूद पुलिस अधिकारियों और जवानों से कहा कि वे हर परिस्थिति में सत्य, ईमानदारी और सेवा की भावना बनाए रखें। उन्होंने कहा, “पुलिस का काम केवल अपराध रोकना नहीं, बल्कि समाज को भरोसा दिलाना है कि न्याय जिंदा है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कठिनाइयों के समय में मनोबल बनाए रखना ही सबसे बड़ी ताकत होती है।
यह कार्यक्रम उदयपुर में आयोजित पुलिस अधिकारियों के साथ एक “प्रेरक संवाद सत्र” का हिस्सा था। इसमें राज्य के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। दिनेश एमएन के अनुभव और स्पष्टवादी शैली ने कार्यक्रम में मौजूद जवानों पर गहरा प्रभाव डाला।
💬 लोगों में चर्चा का विषय बना बयानएडीजी का यह भावनात्मक बयान सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसे एक अधिकारी के जीवन की सच्चाई और संवेदना से जोड़कर देख रहे हैं।
कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि दिनेश एमएन का वक्तव्य यह दर्शाता है कि फर्ज निभाने के रास्ते में आने वाली मुश्किलें व्यक्ति को तोड़ती नहीं, बल्कि और मज़बूत बनाती हैं।
उदयपुर में एडीजी दिनेश एमएन का यह संबोधन न सिर्फ पुलिस बल के लिए प्रेरणा बना, बल्कि इसने यह भी याद दिलाया कि कठिन समय इंसान की असली परीक्षा होती है, और जो उसे पार कर ले, वही सच्चा कर्मयोगी कहलाता है।
You may also like

'डर बड़ी चीज है, ये वही है न जिसे अजान से ख़लल पड़ती थी', सोनू निगम अजान के लिए 2 मिनट रुके तो लोगों ने धो डाला

रियल मैड्रिड को झटका, करीब 2 महीने मैदान से बाहर रहेंगे कार्वाजल

असम: जागी रोड में भयावह सड़क हादसा, डॉक्टर समेत तीन की मौत

हेट स्पीच और महिलाओं का अपमान करने का आरोप... कर्नाटक में RSS नेता के खिलाफ केस दर्ज

यूक्रेन के चेरनोबिल में कुत्ते हो रहे नीले, अचानक आए रहस्यमय बदलाव से दुनिया हैरान, क्या 40 साल पुरानी त्रासदी है वजह?




