सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के विधेयकों पर राष्ट्रपति के फैसले के लिए 3 महीने की समयसीमा तय की, जिसमें से एक महीने बाद भी सालों पहले दिल्ली भेजे गए राजस्थान के 7 विधेयक राष्ट्रपति की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। इनमें ऑनर किलिंग और मिलावटखोरों के दोषियों को आजीवन कारावास देने की मंशा से विधानसभा से पारित विधेयक भी शामिल है। वहीं, कर्ज में डूबे छोटे किसानों की जमीन को कुर्की से बचाने के लिए पारित विधेयक भी केंद्र सरकार के पास अटका हुआ है।
ये विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं
राजस्थान सम्मान और परंपरा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक-2019
पारित- 5 अगस्त 2019
क्यों पड़ी जरूरत- युवाओं के अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने के अधिकार पर असर। कई बार हत्या भी हो जाती है।
प्रावधान- ऑनर किलिंग के मामले में आजीवन कारावास तक की सजा।
राजस्थान कारागार विधेयक-2023
पारित- 18 जुलाई 2023
क्यों जरूरत- ब्रिटिश शासन के 1894 के कानून में सजा पर जोर, अब सुधार पर जोर। हाईकोर्ट ने जेल सुधार के लिए अपने निर्देशों के अनुपालन के लिए कानून में बदलाव करने को कहा।
प्रावधान- कैदियों के मानवाधिकार, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास जैसे पहलू शामिल हैं।
दंड विधि (राजस्थान संशोधन) विधेयक- 2021
पारित- 18 सितंबर 2021
क्यों जरूरत- हाईकोर्ट ने मिलावट के मामले पर चिंता जताई और सख्त सजा की जरूरत जताई।
प्रावधान- खाद्य पदार्थों और दवाओं में मिलावट के घातक मामलों में आजीवन कारावास तक की सजा।
सिविल प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक-2020
पारित- 2 नवंबर 2020
क्यों जरूरत- कर्ज में डूबे छोटे किसानों की जमीन बच सकेगी।
प्रावधान- कर्जदार किसान की पांच एकड़ तक की जमीन जब्त या बेची नहीं जानी चाहिए।
राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023
पारित- 18 जुलाई 2023
क्यों है इसकी जरूरत- राज्य में संगठित अपराध बढ़े हैं। गैंगवार, मादक पदार्थ तस्करी, फिरौती और जेल से गिरोह चलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
प्रावधान- विशेष न्यायालय, लोक अभियोजक, गवाह संरक्षण और अपराधियों की संपत्ति जब्त करना।
राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक-2023
पारित- 21 मार्च 2023
क्यों है इसकी जरूरत- वकीलों के खिलाफ हिंसा और झूठे मामले बढ़ रहे हैं, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ रही है और साथ ही न्याय व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
प्रावधान- वकील पर हमला करने पर सात साल की कैद और 50 हजार रुपये का जुर्माना।
राजस्थान सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक-2023
पारित- 19 जुलाई 2023
क्यों है इसकी जरूरत- सहकारी समितियों के रिकॉर्ड से जुड़े विवाद आए दिन सामने आ रहे हैं।
प्रावधान- सहकारी समिति के पुराने सीईओ अगर नए अधिकारी को रिकॉर्ड नहीं सौंपते हैं तो रजिस्ट्रार तलाशी और जब्ती की कार्रवाई कर सकेंगे।
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