जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में संचालित पोषण सर्वेक्षण से एक बार फिर कुपोषण की चिंताजनक स्थिति सामने आई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जिले के 1707 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 76,000 से अधिक बच्चों में से 2,891 बच्चे कुपोषित श्रेणी में पाए गए हैं।
हालांकि राहत की बात यह है कि पिछले महीने की तुलना में यह संख्या लगभग 120 बच्चों तक कम हुई है, जो पोषण सुधार कार्यक्रमों की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, यह आंकड़े अक्टूबर माह के अंत तक की समीक्षा के बाद जारी किए गए हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं द्वारा किए गए वजन, ऊँचाई और आयु के अनुपात के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
जिले में चल रहे “सुपोषण अभियान”, “प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना” और “पोषण ट्रैकर” के नियमित उपयोग से कुछ हद तक सुधार दर्ज किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि कुपोषित बच्चों का प्रतिशत ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक है।
कई गांवों में अब भी पोषण आहार की कमी, अशिक्षा और स्वास्थ्य जागरूकता का अभाव मुख्य कारण बने हुए हैं।
वहीं, शहरी और सेमी-शहरी इलाकों में स्थिति थोड़ी बेहतर दिखाई दी है।
पंचमहल, गरल और कुकड़ा जैसे ब्लॉकों में अब भी कुपोषण दर औसत से अधिक है।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि जिलेभर के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर “हॉट कुक्ड मील” (गरम भोजन) की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही, प्रत्येक केंद्र पर ‘थीम आधारित पोषण दिवस’, पोषण वाटिका और माता-पिता जागरूकता सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जा रहे हैं।
इन प्रयासों का नतीजा है कि पिछले दो महीनों में कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
कुपोषण से प्रभावित बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने के लिए विभाग ने चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर (CDPO) और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMHO) के बीच समन्वय बढ़ाया है।
जहां भी गंभीर कुपोषण (Severe Acute Malnutrition - SAM) वाले बच्चे पाए जाते हैं, उन्हें न्यूट्रिशन रिहैबिलिटेशन सेंटर (NRC) में रेफर किया जा रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि समय पर इलाज और पौष्टिक आहार से अधिकांश बच्चे कुछ ही हफ्तों में सामान्य श्रेणी में लौट आते हैं।
जिला कलेक्टर ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि कुपोषण से लड़ाई सिर्फ सरकारी योजनाओं से नहीं जीती जा सकती, बल्कि परिवार और समाज की भागीदारी जरूरी है।
अगले महीने तक और सुधार का लक्ष्य“हर परिवार यह सुनिश्चित करे कि बच्चे को संतुलित आहार मिले।
यह केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व भी है।” — (जिला कलेक्टर)
महिला एवं बाल विकास विभाग ने लक्ष्य तय किया है कि दिसंबर तक जिले में कुपोषण दर को 3% तक घटाया जाएगा।
इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर बच्चों की फॉलोअप मॉनिटरिंग और माताओं की डाइट काउंसलिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।
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