अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में राज्य के सबसे ज़्यादा बाघ-बाघिनें हैं। यहाँ लगभग 78 बाघ, बाघिन और शावक विचरण कर रहे हैं। साथ ही, यहाँ जन्मे बाघ-बाघिनों ने राज्य के सरिस्का, कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व और करौली-धौलपुर टाइगर रिजर्व को आबाद किया है। वर्तमान में रणथंभौर बाघों और बाघिनों में अंतःप्रजनन की समस्या से जूझ रहा है। इससे पहले भी अंतःप्रजनन के कारण कई बाघ-बाघिनों को ऐसी ही बीमारियों का सामना करना पड़ा है, इसके बाद भी वन विभाग और सरकार यहाँ ध्यान नहीं दे रही है। इसका खामियाजा बाघ-बाघिनों को भुगतना पड़ रहा है।
राज्य में आएंगे 5 बाघ, 7 बाघ होंगे स्थानांतरित
जानकारी के अनुसार, कोटा के मुकुंदरा हिल्स और बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में 7 बाघ-बाघिनों को स्थानांतरित किया जाएगा, जिनमें से 5 बाघ-बाघिनें दूसरे राज्यों से स्थानांतरित की जाएँगी। इनमें से दो रणथंभौर से और 5 अन्य राज्यों से होंगे। इस संबंध में सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा अनुमति भी दे दी गई है।
अंतर्प्रजनन क्या है?
एक ही जीन पूल के बाघों और बाघिनों के बीच संभोग से पैदा हुए शावकों को अंतःप्रजनन की प्रक्रिया कहा जा सकता है। एक अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया था कि एक ही जीन पूल के बाघों और बाघिनों की शारीरिक क्षमताएँ भिन्न जीन पूल से पैदा हुए बाघों और बाघिनों की तुलना में कम होती हैं।
राज्य में बाघों, बाघिनों और शावकों की संख्या
अगर राज्य के अभयारण्यों में बाघों, बाघिनों और शावकों की बात करें, तो वर्ष 2025 के अनुसार, रणथंभौर में इनकी संख्या 78 है। वहीं, सरिस्का बाघ अभयारण्य में 48, करौली-धौलपुर अभयारण्य में 11, रामगढ़ विषधारी राष्ट्रीय उद्यान में 07 बाघ हैं। इसके अलावा, मुकुंदरा बाघ अभयारण्य में बाघों की कुल संख्या 06 है।
स्थानांतरण का प्रयास
राज्य में पहली बार अंतर्राज्यीय स्थानांतरण प्रस्तावित है। हालाँकि, अभी रणथंभौर में अंतर्राज्यीय स्थानांतरण नहीं हो रहा है। लेकिन भविष्य में रणथंभौर में भी अंतर्राज्यीय स्थानांतरण का प्रयास किया जाएगा।
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