अपनी खूबसूरत झीलों और समृद्ध विरासत के लिए विश्व प्रसिद्ध लेक सिटी उदयपुर एक बार फिर चर्चा में है। इतिहासकार श्री कृष्ण जुगनू बताते हैं कि इस शहर की हर गली, हर इमारत में सदियों पुरानी कहानी छिपी है। हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनिया की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देना है।
सिटी पैलेस: महाराणा उदय सिंह द्वितीय द्वारा 1559 में निर्मित यह महल 55 साल में बनकर तैयार हुआ था। इसकी वास्तुकला पूरी तरह से मेवाड़ी शैली में है। यहां की मीनाकारी, कांच और लकड़ी की कारीगरी बेजोड़ है। मेवाड़ का पूर्व राजपरिवार आज भी यहां रहता है। समय: सुबह 9 से रात 9 बजे तक।
बागोर की हवेली: गणगौर घाट से सटी इस हवेली में मेवाड़ी जीवनशैली को दर्शाने वाला संग्रहालय और कठपुतली घर है। यहां हर शाम पारंपरिक राजस्थानी नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। 1923 में बुद्ध पर आधारित फिल्म "लाइट्स ऑफ एशिया" की शूटिंग भी यहीं हुई थी। समय: सुबह 9 से शाम 5 बजे तक।
जगदीश मंदिर: महाराणा जगत सिंह द्वारा 1651 में निर्मित यह दो मंजिला मंदिर मेरु शैली में बना है। यहां भगवान विष्णु की प्रतिमा है। मंदिर के शिलालेख को मध्यकालीन भारत की पहली महिला गाइडबुक कहा जाता है। समय: सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 10:30 बजे तक।
महासतियाँ: यहाँ मेवाड़ के राजपरिवार के दिवंगत सदस्यों की छतरियाँ हैं। करीब 2500 साल पुराना यह स्थान आहड़ सभ्यता से जुड़ा है और गंगू कुंड इसकी खासियत है। यह पूरे दिन खुला रहता है।
सहेलियों की बाड़ी: 18वीं शताब्दी में बनी यह बाड़ी रानियों के आराम करने की जगह थी। यहाँ लगे फव्वारे और दीवारों पर बनी पेंटिंग पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। समय: सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक।
गुलाब बाग: शहर का सबसे ठंडा इलाका माना जाने वाला यह बाग महाराणा सज्जन सिंह और फतेह सिंह ने बनवाया था। यहीं नवलखा पैलेस में स्वामी दयानंद सरस्वती ने 'सत्यार्थ प्रकाश' लिखा था। समय: सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक।
सज्जनगढ़ किला (मानसून पैलेस): अरावली की बांसडा चोटी पर बना यह सफेद संगमरमर का किला झीलों के शहर का मुकुट कहलाता है। इसकी ऊंचाई से शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।
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